अपने बच्चे से दोस्ती करने के फ़ायदे

अपने और अपने बच्चों के बीच इतनी दूरियाँ न आने दें कि आपके बच्चों को आपसे बातें छुपानी पड़ें। पति और पत्नी के बीच जब एक छोटा और नन्हा मेहमान आता है तो उनकी दुनिया ख़ुशियों से भर जाती है। माता पिता बनने का सुखद एहसास उनके जीवन को एक नई ख़ुशी प्रदान करता है। बच्चे का पहली बार माँ और पापा बोलना और माता पिता के द्वारा अपने बच्चों को उँगली पकड़ कर उसे चलना सिखाना इन सब का सुखद एहसास जीवन को एक नया रूप प्रदान करता है, फिर अचानक समय बीतने पर माता पिता और उनके बच्चों के बीच ऐसा क्या हो जाता है? क्यों इतनी अधिक दूरियाँ आ जाती है? कि उनके बच्चों को अपने माता पिता से हर एक बात छुपानी पड़ती है, क्यों वो अपने माता पिता से हर एक बात कह नहीं पाते? क्यों माता पिता अपने बच्चे से दोस्ती नहीं कर पाते हैं? क्या आपने कभी इन सारी बातों को सोचा है? अगर नहीं तो अब सोचिए क्योंकि यह एक ज्वलंत मुद्दा है जिस पर बात करना बेहद ज़रूरी है और इस समस्या का निवारण करना भी बेहद ज़रूरी है।

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अच्छे पैरेंट्स अपने बच्चे से दोस्ती करते हैं

तो आइए जानते हैं कि ऐसा क्या करें कि आप अपने बच्चे से दोस्ती कर सकें ताकि आपका बच्चा आपसे हर बात शेअर करे –

1. हद से ज़्यादा पाबंदी और अनुशासन

अक्सर माता पिता अपने बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए उन पर हद से ज़्यादा पाबंदी कर बैठते हैं, जैसे समय पर उठो, समय पर काम करो, ज़्यादा बाहर घूमने मत जाओ, रात में घर से बाहर नहीं निकलना है, घर से कहीं बाहर जाना है तो घर के किसी सदस्य के साथ जाओ, लड़को से दोस्ती न करनी चाहिए, लड़कों से ज़्यादा बात नहीं करनी चाहिए, वगैरह वगैरह…। ज़रूरी है कि माता पिता अपनी सोच बदलें। बच्चों को अनुशासित बनाने के लिए उन्हें अनुशासन में रखना तो उचित है परंतु हद से ज़्यादा कोई भी चीज़ हो वो नुकसान ही पहुँचाती है फ़ायदा नहीं। इसलिए बच्चों को हद से ज़्यादा अनुशासन में रखने के बजाय पहले माता पिता ख़ुद अनुशासित बनें क्योंकि माता पिता अपने बच्चों के आदर्श होते हैं और उनको आदर्श मानकर बच्चे उनका अनुसरण करने लगते हैं, इसलिए माता पिता को बच्चों के सामने एक ऐसी छवि रखनी चाहिए जिसका वे अनुसरण कर सके, न की उनसे दूरियाँ बनायें। ऐसा करने आप अपने बच्चे से दोस्ती करने में सफल हो जाएंगे। आपकी आधी प्रॉब्लम तो यूँ ही सॉल्व हो जाएगी।

2. अपने बच्चे को समझें

जब बच्चे छोटे होते हैं तो उन्हें कब और कौन सी वस्तु की ज़रूरत है, ये उनके माता पिता से बेहतर कोई नहीं समझ पाता है। तो जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो क्यों माता पिता अपने बच्चों को समझ नहीं पाते हैं और क्यों आपके बच्चे आपसे हर एक बात छुपाने लगते हैं? क्या आपने इसके पीछे छिपे कारणों को जानने की कोशिश की अगर नहीं तो आज से ही इन कारणों को जानने की कोशिश कीजिए।

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चूँकि बच्चे जैसे जैसे बड़े होते हैं वो चाहते है उन्हें आपका प्यार मिले और उनके माता पिता का व्यवहार बच्चों के प्रति एक मित्र की तरह हो, जिनसे वो अपनी हर बात शेयर कर सकें, परंतु आज कि भागमभाग भरी ज़िंदगी में अगर आपके बच्चे आपसे स्कूल की छोटी छोटी बातों को अपनी भावनाओं शेयर करते हैं तो माता पिता के पास समय नहीं होता कि वो उनकी छोटी से छोटी बातों को सुनें या अपनी छोटी छोटी भावनाओं को बाँटें। ऐसे में बच्चों का दिल टूट जाता है वो समझ नहीं पाते कि वो किससे अपनी बातों को कहें। जब उन्हें कुछ समझ नहीं आता तो ऐसे में वो कोई और सहारा ढूँढ़ने लगते हैं जिसे वो अपना दोस्त मानकर अपनी हर एक बात कह सके जो उन्हें, उनकी बातों को और उनकी भावनाओं को समझ सके। बस माता पिता और बच्चों के बीच दूरियों का बीज यहीं से पड़ जाता है और बच्चे अपने इस नए दोस्त और दूसरीए बातों को माता पिता से छिपाने लगते हैं। यहाँ तक की सड़क पर खड़े रहकर वो इस नए दोस्त से मिलते हैं, बात करते हैं, परंतु अपने घर नहीं बुलाते और माता से भी कुछ नहीं बताते हैं।

Be a true friend with childआज माता पिता और बच्चों के बीच इन्हीं दूरियों के कारण जब बच्चे किसी दोस्त की तलाश करते हैं और उन पर हद से ज़्यादा भरोसा, तो कभी कभी इसी कारणों से कुछ बड़े बड़े हादसे हो जाते जिनके बारे आप या हम सोच भी नहीं सकते और जिस कारण से बाद में सिवाय पछताने के कुछ भी शेष नहीं बचता।

आपकी ज़िंदगी में ये दिन न आये इसलिए आज से ही अपने आपको बदले अपने बच्चों को समय दें, समय रहते अपने बच्चे से दोस्ती करें, उनसे कुछ अपनी कहें और कुछ उनकी सुनें। एक अच्छे दोस्त बनकर जीवन में उन्हें एक अच्छी गाइडलाइन दें ताकि वे जीवन में कभी किसी को आपना दोस्त बनायें तो उससे मिलने के लिए उन्हें आपसे झूठ का सहारा न लेना पड़े बल्कि वो उसे घर बुलायें आप सबसे से मिलवाए। अगर इस तरह की एक छोटी सी कोशिश भी की जाये तो भविष्य में होने वाले ऐसे कई बड़े हादसों को टालकर आप अपने बच्चों की ज़िंदगी की सँवारने की कोशिश कर सकते हैं।

आशा है कि इस मुद्दे पर आप भी गहराई से ज़रूर सोचेंगे ताकि आपके और आपके बच्चों के बीच ये दूरियाँ कभी न जन्में।

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