सर्दी में नहाने से जुड़ी ज़रूरी टिप्स

सर्दियां शुरू हो गई है और सर्दी में नहाने से जुड़ी जानकारी हम सभी को होनी चाहिए। सर्दियाँ शुरू होते ही लोगों को नहाने से डर लगने लगता है। इसी डर के कारण लोग जाड़ों में सप्ताह में सिर्फ़ 3 या 4 दिन ही नहाते हैं। यहाँ तक कुछ लोग सप्ताह में सिर्फ़ एक बार ही नहाते हैं। जाड़ा हो या गर्मी सभी को प्रतिदिन नहाना चाहिए। क्योंकि दिन भर काम करने के कारण शरीर पर धूल गंदगी जम जाती है जिससे हमारे शरीर की बाह्य त्वचा में विद्यमान रोम छिद्र बंद हो जाते हैं। त्वचा में स्थित रोम छिद्रों के माध्यम से शरीर में विद्यमान अत्तिरिक्त ऊष्मा और विषैले तत्व बाहर निकलते हैं।

सर्दी में नहाने की टिप्स
Bathing tips winters

रोज़ नहाना क्यों ज़रूरी है?

शरीर के अंदर सतत होने वाली प्रक्रियाओं के परिणाम स्वरूप अनेक विजातीय द्रव्य शरीर के बाहर उत्सर्जित किए जाते हैं। इनमें से कुछ मल मूत्र के द्वारा बाहर निकलते हैं और कुछ पसीने के द्वारा बाहर निकलते हैं। अगर आप त्वचा की साफ सफाई नहीं रखेंगे तो रोम छिद्र से अवरुद्ध होने के कारण पसीना शरीर से बाहर नहीं निकल पाता है और इससे शरीर में कई रोग उत्पन्न होने लगते हैं। अतः त्वचा की पूरी सफाई के लिए जाड़ा हो या गर्मी हर मौसम में स्नान अवश्य करें।

सर्दी में नहाने के बारे में जानकारी

एक बात का हमेशा ध्यान रहें कि नहाने के लिए सदैव शीतल जल का उपयोग करना चाहिए। वैसे तो गर्मी के मौसम में लोग ख़ूब मज़े से नहाते हैं। कुछ लोग गर्मी के दिनों में एक बार नहीं बल्कि कई बार नहाते हैं लेकिन जाड़े में तो ठंडा पानी छूते ही शरीर कांपने लगता है। ऐसे में लोग जाड़ों में पानी गरम करके नहाते हैं। जबकि सर्दी में नहाने के लिए भी शीतल जल का उपयोग करना चाहिए।

सर्दी-ज़ुकाम में नहाना

यदि आपको पानी अधिक ठंडा लगे या आपको सर्दी ज़ुकाम हो तो सामान्य जल में थोड़ा गरम पानी मिला लें। लेकिन रोज़ाना शीतल जल से नहाने की आदत डालें। रोज़ गरम पानी से नहाने से हमारे शरीर की बाहरी त्वचा पर होने वाले रक्त संचार प्रभावित होता है और यह प्रवाह धीरे धीरे कम हो जाता है साथ ही बाहरी त्वचा के पास बनी हमारे शरीर की रक्त कोशिकाएं भी कमज़ोर हो जाती हैं।

शीतल पानी से नहाने के फ़ायदे

जबकि ठंडे पानी से स्नान करने से रक्त कोशिकाएं मजबूत बनती हैं। हमारे शरीर की बाहरी त्वचा जब ठंडे पानी के सम्पर्क में आती है तो वह स्वाभाविक रूप से सिकुड़ती हैं जिससे उसे आराम मिलता है। शीतल जल से स्नान करने से हमारे शरीर में रक्त संचार स्वाभाविक बना रहता है और उनकी शारीरिक क्षमता में वृद्धि भी होती है। इसीलिए सर्दी हो या गर्मी हर मौसम में नहाएँ और सदैव शीतल जल से नहाने की आदत डालें।

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