छोटे छोटे बच्चे और पढ़ाई का इतना ज़्यादा बोझ, नाज़ुक कंधों पर लगे भारी बैग, स्कूल का लंबा समय, फिर ट्यूशन और इन सबका प्रेशर – इन सारी बातों ने बच्चों की ज़िंदगी को बोझिल बना दिया है। जिस कारण से बच्चों का ग़ुस्सा अंदर ही अंदर बढ़ता रहता है। ऐसी स्थिति में आप क्या करते हैं? यक़ीनन अपने बच्चे को मनाने की कोशिश करते होंगे। कई बार बच्चे ऐसी चीज़ों की ज़िद भी करते होगें जो उनके लिये सही नहींं होती, क्योंकि बच्चे नादान होते है उन्हें नहींं पता होता कि उनके लिए क्या उचित है और क्या अनुचित? कभी किन्हीं बातों पर बच्चों का ग़ुस्सा करना स्वाभाविक हैं लेकिन यही ग़ुस्सा जब हद से ज़्यादा बढ़ने लगे तो उसे सही समय पर रोकना ज़रूरी होता है। ऐसे में यह जानना ज़रूरी है कि बच्चों के ग़ुस्से को कैसे कम करें –
बच्चों का ग़ुस्सा और आपका रोल
1. ग़ुस्से के पीछे का कारण जानें
Reason behind anger
सबसे पहले बच्चे के ग़ुस्सा करने का कारण जानें, कारण जाकर उनकी समस्या दूर करने का प्रयास करें। अगर वह नहीं मानता है, तो थोड़ी देर के लिये उसे अकेले छोड़ दें फिर उससे बात करने का प्रयास करें। शायद अब वो आपकी बात समझने का प्रयास करें। आप जब अपने बच्चे को मनाने का प्रयास करें तो शांत रहकर प्यार और स्नेह के साथ बच्चे से बात करें, उसके दोस्त बनकर उसकी समस्या को समझने की कोशिश करें। आपका यह एहसास आपके बच्चे को शांत करा सकता है। जब आपका बच्चा शांत स्वाभाव का हो जाये तो उसे इस बात का एहसास दिलायें की ग़ुस्सा उसको कितना नुक़सान पंहुचा सकता है।
2. इधर उधर की बातें करें
Be proactive with child
बच्चे की भावनाओं को समझें। कई बार उसके ग़ुस्से का कारण आपकी यूँ ही कही गयी कोई बात भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में उसके साथ हँसी मज़ाक करें उसके साथ इधर उधर की फ़नी व रोचक बातें करें। उस जो खाने में पसंद हो वो उसे बनाकर दें। उसे जो एक्टिविटी करना पसंद हो वो करना शुरू कर दें फिर देखिए, कैसे वो अपना सारा ग़ुस्सा भूलकर ख़ुद-बख़ुद सारा ग़ुस्सा भूलकर उन एक्टिविटी को करने लगेगा।
3. बच्चे ग़ुस्से पर कन्ट्रोल सिखाएँ
Control anger of your child
एक बच्चे के लिए उसकी माँ प्रथम शिक्षिका होती है और परिवार उसकी प्रथम पाठशाला। अतः बच्चे को परिवार में एक ऐसा माहौल दें, जिससे वो अपनी भावनाओं को सही ढंग से व्यक्त करना सीखें। उसमें हर समस्याओं से लड़ने की क्षमता भी उत्पन्न करें ताकि वो हर समस्या का आसानी से समाधान कर सकें। आप उसमें ईमानदारी से काम करने की आदत डालें इससे आप ही उसके रोल मॉडल होंगे ।
ज़रूरी है कि माता पिता अपने बच्चे के अच्छे दोस्त बनकर रहें और माता पिता का व्यवहार अपने बच्चे के प्रति स्नेहपूर्ण हो ताकि बच्चा अपनी हर समस्या को आपसे आसानी से कह सके और आपका बच्चा डिप्रेशन और तनाव से मुक्त रहे।