महिलाएँ साइबर बुलिंग का सामना कैसे करें

इंटरनेट का दायरा बढ़ रहा है लेकिन इसके साथ साथ इसके माध्य्म से अपराधिक गतिविधियाँ भी तेज़ी से बढ़ रही हैं। इसमें सबसे ज़्यादा महिलाएँ साइबर बुलिंग का शिकार हो रही हैं।

सोशल मिडिया एक ऐसा आनलाइन मंच है, जहाँ आप एक साथ कई लोगों के साथ जुड़ सकते हैं, बात कर सकते हैं, फोटो शेयर कर सकते हैं और पुरानी यादें भी। एक तरफ़ इसका अच्छा उपयोग है वहीं दूसरी तरफ़ लोग इसका ग़लत इस्तेमाल भी करते हैं। आजकल इस सशक्त माध्यम का प्रयोग किसी के आत्मसम्मान व सामाजिक रुतबे को चोट पहुँचाने के लिए भी किया जाने लगा है जिससे स्थिति काफ़ी परेशानी भरी हो जाती है। इसे साइबर बुलिंग कहा जाता है, जो साइबर क्राइम की श्रेणी में आता है।

साइबर बुलिंग का सामना

साइबर बुलिंग कई स्तर की होती है जैसे कि अभद्र संदेश भेजना, सोशल मिडिया पर ग़लत अफ़वाह फैलाना, ग़लत पोस्ट करना आदि।

एक अध्ययन के मुताबिक पुरुषों की तुलना महिलाएँ साइबर बुलिंग की ज़्यादा शिकार होती हैं। सोशल नेटवर्क साइट्स का इस्तेमाल बंद कर देना इस समस्या का हल नहीं है। बेहतर यह होगा कि आप इस स्थिति से उभरने और बुलिंग करने वालों को सबक सिखाने की कोशिश करें।

साइबर बुलिंग का शिकार होने पर क्या करें

बुलिंग करने वाले को ब्लॉक करें

अगर बुलिंग करने वाला व्यक्ति आपको फ़ोन सन्देश, फ़ेसबुक, ट्विटर पर यदि ग़लत सन्देश भेजता है तो आप अपने फ़ोन और सोशल अकाउंट पर उसे ब्लॉक कर सकती हैं।

छोटी छोटी बातों को नज़रअंदाज़ करें

छोटी छोटी बातों को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करें, क्योंकि छोटी छोटी बात पर गंभीर प्रतिक्रिया देने पर बातें बढ़ जाती हैं और अपराधी आपको अधिक परेशान करने लगता है जिससे उसको अधिक मज़ा आने लगता है।

बातों का रिकॉर्ड रखें

यदि कोई आपको अपमानजनक सन्देश भेज रहा है तो उन सन्देश को डिलीट न करें। बल्कि उनको एक सबूत के तौर पर एक सीडी या पैन ड्राइव में संभालकर रखें ताकि समय आने पर आप उसे कड़ी सजा दिला सकें।

साइबर बुलिंग का शिकार होने पर ये न करें

साइबर बुलिंग का शिकार होने पर कभी कभी सामने वाले को जवाब देने के लिए आप अपनी तरफ़ से भी बुलिंग करने लगते हैं तो ऐसा बिलकुल भी न करें क्योंकि इस तरह से आप भी अपराधिक गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं।

साइबर बुलिंग पर क़ानून क्या कहता है

अगर कोई किसी को ग़लत सन्देश भेजकर मानसिक आघात पहुँचाता है, तो यह एक दण्डनीय अपराध है। यह अपराध इनफ़ॉरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के सेक्शन 72 के अन्तर्गत आता है। इस एक्ट के मुताबिक यदि कोई किसी की निजी जानकारी को सार्वजनिक करता है या निजी जानकारी को ग़ैर क़ानूनी रूप से उसकी सहमति के बिना दूसरों के साथ साँझा करता है तो उसे 2 साल की सज़ा और 1 लाख का जुर्माना पड़ सकता है।

ज़रूरी है कि महिलाएँ जागरूक बनें ताकि साइबर बुलिंग या किसी अन्य तरह से उन पर कोई निशाना न साध पाये।

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