हमारे घर के आस पास ऐसे कई पेड़ पौधे होते हैं जिनकी तरफ़ हमारा ध्यान ही नहीं जाता है क्योंकि इनके औषधीय गुणों से हम लोग अंजान होते हैं। इन्हीं वनस्पतियों में एक गूलर भी है जो औषधीय गुणों की खान है और यह ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से मिल जाता है। गूलर को संस्कृत में उदुम्बर व जन्तुफल कहा जाता है। हिंदी में इसे गूलर, काकमाल तथा मराठी में इसे उम्बर तथा औदुम्बर, गुजराती में इसे उम्बरों और कन्नड़ में अति के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद में गूलर की जड़, गूलर के फूल और गूलर के फल का उपयोग कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है।
गूलर का कच्चा फल कसैला एवं दाहनाशक है। जबकि पका हुआ गूलर रुचिकारक, मीठा, शीतल व कब्ज़ मिटाने वाला है। इसकी जड़ में रक्तस्राव रोकने तथा जलन को शांत करने का गुण है। गूलर के कच्चे फलों की सब्ज़ी बनाई जाती है तथा पके फल खाए जाते हैं।
गूलर के फल से घरेलू उपचार
1. रक्तस्राव
गूलर के पके फल का रस 20 ग्राम की मात्रा में गुड़ या शहद के साथ सेवन करने से रक्तस्राव रुक जाता है।
2. मधुमेह
गूलर के फल को पीसकर पानी के साथ इसका सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ मिलता है। इसके अलावा गूलर के फलों की सब्ज़ी बनाकर सेवन करने से भी मधुमेह रोगी को बहुत लाभ मिलता है।
3. खूनी बवासीर
खूनी बवासीर की समस्या होने पर गूलर के फलों को सुखाकर पीस लें। फिर इसमें चीनी मिलाकर सेवन करें। इससे खूनी बवासीर जड़ से ख़तम हो जाता है।
4. निमोनिया
निमोनिया हो जाने पर गूलर के फल को पानी में मिलाकर काढ़ा बनाएं और इस काढ़े को निमोनिया रोगी को पिलाएँ। इस काढ़े के सेवन से निमोनिया रोगी को बेहद राहत मिलती है।
5. स्त्रियों की मासिक धर्म संबंधित समस्या
स्त्रियों में मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव होने पर गूलर के पके हुए फलों के रस में शहद मिलाकर सेवन कराने से अत्यधिक बहाव रुक जाता है।
गूलर के पत्ते के कुछ घरेलू उपचार
1. दांतों की समस्या में
मुँह में छाले होने पर व मसूढ़ों से खून आने पर गूलर की छाल या पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से विशेष लाभ होता है। साथ ही आपके मसूढ़े और दांत भी स्वस्थ रहते हैं।
2. नेत्र रोग
आंखें लाल होना, आंखों में पानी आना, जलन होना आदि के उपचार में गूलर बहुत उपयोगी है। इसके लिए गूलर के पत्तों का काढ़ा बनाकर उसे साफ़ और महीन कपड़े से छान लें। ठंडा होने पर इसकी दो−दो बूंद दिन में तीन बार आंखों में डालें। इस उपचार से आँखों की ज्योति भी बढ़ती है।
3. मुंह के छाले
मुंह में यदि छाले हो गए हों तो गूलर के पेड़ की पत्तियों को चूसें। ऐसा करने से मुंह के छाले ठीक हो जाएंगे।
4. योनि रोग
योनि विकारों में भी गूलर काफ़ी फ़ायदेमंद है। गूलर की छाल का काढ़ा बनाकर योनि को धोने से योनि रोग में फ़ायदा होता है।
गूलर के दूध से घरेलू उपचार
1. वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के लिए
वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के लिए 1 छुहारे की गुठली निकालकर उसमें गूलर के दूध की 25 बूंद भरकर रोज़ाना सुबह खाने से ज़बरदस्त लाभ मिलता है।
2. फोड़ा फुंसी के लिए
यदि फोड़ा या फुंसी हो तो उस जगह पर गूलर के दूध को लगाने से फोड़ा फुंसी धीरे धीरे ग़ायब हो जाता है।
3. धातुक्षीणता
गूलर के दूध को 2 बताशे में डालकर सुबह शाम दूध के साथ सेवन करने से धातुक्षीणता दूर होती है।
सेवन की मात्रा
– गूलर की छाल का 5 से 10 ग्राम की मात्रा में सेवन करना चाहिए।
– लगभग 2 से 4 गूलर के फलों का सेवन करना चाहिए।
– बड़ों को गूलर के दूध की लगभग सोलह बूदों का ही सेवन करना चाहिए।
– छोटे बच्चों को गूलर के दूध की लगभग पांच बूदें देनी चाहिए।