लव मैरिज या अरेंज मैरिज – क्या बेहतर है?

मम्मी और पापा अब ये चाहते है कि मुझे शादी के बारे में सोचना चाहिए और मै यह सोच रही हूँ कि मुझे लव मैरिज करना चाहिए या अरेंज मैरिज? क्यों मैं यह सोच रही हूँ कि किस तरह की शादी का चुनाव मेरे लिए हितकर होगा। यह सोच केवल मेरी नहीं है बल्कि आज के पूरे युवावर्ग की है, क्योंकि जीवन का सबसे महत्वपूर्ण फैसला शादी का होता है। इसलिए इसके बारे में वे सोच समझ कर इसका फैसला लेना चाहते हैं।

लव मैरिज और अरेंज मैरिज के फायदे

लव मैरिज / Love Marriage

आज के युवा वर्ग को अगर कोई पसंद आने लगता है तो वो उनके दिलो-दिमाग पर छाने लगता है। वह उस इंसान को अपना जीवन साथी बनाना चाहता है। किसी अजनबी इंसान के साथ शादी करने की जगह वे उससे शादी करना चाहते हैं, जिन्हें वे प्यार करते हैं, जिन्हें वे समझते हैं, जिन्हें वे जानते हैं। यदि लव मैरिज में जातिगत विसंगति न हो और जीवन स्तर भी लगभग सामान्य हो तो प्रायः घर वालों की सहमति की मुहर लग जाती है। परंतु किसी परिस्थिति में परिवार की सहमति न मिलने पर और घर वालों के विरुद्ध जाकर विवाह करना पड़े तो भविष्य का सारा दारोमदार जोड़े पर रहता है।

विवाह के पूर्व यदि ये प्रेमी जोड़ा ये समझ ले कि प्रेम में जहाँ कल्पनाओं की सतरंगी उड़ाने होती हैं, वहीं वैवाहिक जीवन यथार्थ के सच पर आधारित होता है। यह समझ जाने के बाद विवाहित जोड़े को एक दूसरे से शिकायत नहीं होती और वैवाहिक जीवन में ताउम्र सरसता बनी रहती है।

प्रेम विवाह कई बार असफल भी होता है। जब विवाह के बाद वे पति पत्नी बनते हैं तो वे कल्पनालोक से निकलकर वास्तविक जीवन में प्रवेश करते हैं। कल्पना की दुनिया हक़ीक़कत की दुनिया से बहुत अलग होती है। जहां एक दूसरे को प्रसन्न करने के लिए छोटे छोटे सुखद क्षण और उपहारों का आदान प्रदान करने स काम नहीं चलता बल्कि जीवन की सम्पूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वाह करना पड़ता है।

जब दोनों को एक दूसरे की ख़ामियां नज़र आने लगती है तो परवान चढ़ने वाला प्यार भी भाटा की तरह नीचे उतर जाता है। प्रेम विवाह में हर बात की ज़िम्मेदारी आपकी अपनी है अतः इसको सफल बनाने के लिए ज़द्दोज़हद आपको ही करनी होगी। यह भी समझ लेना ज़रूरी है कि पति पत्नी कोई वस्तु नहीं है, जो पसंद न आने पर आसानी से बदली जा सकती है।

अरेंज विवाह / Arrange Marriage

माता पिता अपनी सूझबूझ से व जाँच पड़ताल करके अपने बच्चों के लिए सही जीवनसाथी तलाश की करके उनका विवाह करते हैं। चूँकि लड़का लड़की की औपचारिक मुलाक़ात और बात दोनों कराई जाती है। आजकल तो दोनों की पसंद व नापसंद भी पूछी जाती है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि अरेंज मैरिज बच्चों पर थोपा जाता है। अगर इन रिश्तों में कोई जोखिम होता है तो घरवालों पर इसका उत्तरदायित्व रहता है। यानि दुःख सुख में घरवाले साथ रहते हैं।

कई बार दबाव में आकर लड़का या लड़की माता पिता के सामने खुलकर अपनी राय नहीं रख पाते हैं, जिससे विवाह के बाद दोनों में उचित तालमेल नहीं बैठ पाता। यह स्थिति और ख़राब तब हो जाती है जब इस रिश्ते में उचित तालमेल न बैठने पर इस रिश्ते को ढोने की नौबत आ जाती है। इसलिए जब जीवनसाथी चुनने का अवसर मिले तो रिश्ते के लिए सोच समझ कर अपनी स्वीकृति दें।

याद रहे अरेंज मैरिज हो या लव मैरिज दोनों ही सूरत में रिश्ता आपको निभाना होता है। इसलिए सोच समझ कर जीवनसाथी का चुनाव करें। बेहद ज़रूरी है कि एक सकारात्मक सोच के साथ नए रिश्तों की जिम्मेदारियों को जिम्मेदारियों से निभाने की कोशिश करें। ताकि आपकी शादी और आपका दाम्पत्य जीवन दूसरों के सामने एक मिसाल बने।

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