फोड़े फुंसी का घरेलू उपचार और ध्यान देने की बातें

फोड़े फुंसी का प्रमुख कारण रक्त का दूषित होना है। जब शरीर का रक्त दूषित हो जाता है तो उसका प्रभाव बाहर त्वचा पर भी नज़र आने लगता है। आज दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति हर रोग से पीड़ित है फिर वो चाहे बुखार, जुकाम हो या फिर दाद, खाज, खुजली हो या फिर फोड़ा फुंसी। ऐसे में इन रोगों से छुटकारा पाना आवश्यक हो जाता है। मात्र कुछ घरेलू उपाय करके फोड़े फुंसी की समस्या ख़त्म हो सकती है।

त्वचा पर फोड़े फुंसी

फोड़े फुंसी का घरेलू उपचार

  1. थोड़ी सी साफ़ रुई देशी घी में भिगोयें और फिर हथेली से दबाकर अतिरिक्त घी निकाल दें। तवा गरम करके उस पर रुई फाहे को गरम करें। जब रुई का फाहा सहने योग्य गरम रह जाये, तब इसे फोड़े पर रखकर पट्टी बांध दें। ऐसा सुबह शाम करने से फोड़ा पककर फूट जायेगा तथा उसकी जड़ भी निकल जाएगी।
  2. फोड़े फुंसियों पर वट वृक्ष या बरगद के पत्तों को गरम करके बांधने से फोड़ा पककर फूट जाता है। और साथ ही उसकी कील भी निकल जाती है।
  3. आयुर्वेद के अनुसार नीम के सूखी छाल को पानी के साथ घिसकर फोड़े फुंसी पर लेप लगाने से बहुत लाभ मिलता है। जब तक फोड़े फुंसी पूरी तरह से ठीक न हों जाएँ, तब तक शक्कर से बनी चीज़ों, बासी, तले और मिर्च मसाले वाले पदार्थों को खाना छोड़ देना चाहिए।
  4. नींबू के छोटे छोटे पत्ते खाने से लाभ होता है। नींबू में मौजूद विटामिन सी ख़ून को साफ़ करता है। फोड़े फुंसियों पर नींबू की छाल पीसकर लगाने से भी आपको लाभ मिलेगा।
  5. सप्ताह में एक बार मुल्तानी मिट्टी का फोड़े फुंसी पर लेप लगाएँ और एक दो घंटे बाद नहाएँ।
  6. पालक, प्याज, टमाटर, गाजर, अमरूद और पपीता आदि को अपने भोजन में नियमित रूप से शामिल करें।
  7. सुबह ख़ाली पेट 4-5 तुलसी पत्तियाँ खाने से त्वचा रोगों में स्थाई लाभ मिलता है।
  8. रोज़ पानी अधिक से अधिक पिएँ।
  9. सुबह उठकर नित्य टहलें और व्यायाम भी करें। ताकि आपके शरीर और रक्त को ऑक्सीजन युक्त शुद्ध हवा मिल सके और शरीर का रक्त प्रवाह भी सुधर सकें।

फोड़े फुंसी हों तो ध्यान दें

अगर फोड़े फुंसी हों और उन्हें गम्भीरता से न लिया जाए तो वह काफी गंभीर रूप ले ले सकते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि फोड़े फुंसी होने पर साफ़ सफ़ाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

  1. नित्य शरीर की सफ़ाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  2. नित्य साफ़ पानी से नहाना चाहिए। आवश्यक हो तो दिन में 3 से 4 बार नहाएँ।
  3. स्नान के लिए नीम की पत्तियों का पानी उबालकर प्रयोग कीजिए।
  4. नहाने के पानी में एंटीसेप्टिक और डेटॉल का इस्तेमाल करें।
  5. नित्य पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की आदत डालनी चाहिए।
  6. नित्य व्यायाम करें और सुबह ताज़ी हवा के संपर्क में आयें।
  7. भोजन में ताज़े फल और सलाद अधिक खायें।
  8. तले और गरिष्ठ भोजन से बचें।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *