सर्पगंधा के औषधीय गुण और प्रयोग

सर्पगंधा (Sarpgandha) एक औषधीय वनस्पति है। कई रोगों के इलाज के लिए सर्पगंधा की जड़ का उपयोग किया जाता है। जड़ को प्राप्त करने के लिए इस पेड़ की लगातार कटाई की जा रही है। जिससे आज यह औषधि विलुप्त होने के कगार पर है। अतः इसका संरक्षण आज समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

प्राचीनकाल से ही सर्पगंधा उन्माद और पागलपन के इलाज के लिए उपयोग की जाती रही है। इसीलिए इसे पागलपन की दवा के नाम से भी जाना जाता है। इस वृक्ष की गंध से सर्प भाग जाते हैं इसीलिए इसे सर्पगंधा कहकर पुकारते हैं। सर्पगंधा को हिन्दी में छोटा चाँद, धवलबरूआ, नकुलकन्द, नाकुलीकन्द, हरकाई चन्द्रा, रास्नाभेद और सेत बड़वा आदि नामों से जानते हैं। इसे अंग्रेजी में सर्पेन्टीन (Rauwolfia serpentina) तथा स्नेक रूट (Indian Snakeroot) आदि नामों से जाना जाता है। इसके अलावा सर्पगंधा को सुगंधा, सुगंधिका, नाकुली, गन्धनाकुली, सर्पाक्षी और सुरसा आदि नामों से भी जानते हैं।

सर्पगंधा की जड़ का पेड़

सर्पगंधा के औषधीय उपयोग

१. सर्पगंधा की जड़ें तीखी, कड़वी, पौष्टिक तथा विषहर होती हैं। प्राचीन काल से सर्पगंधा की जड़ों का उपयोग प्रभावी विषनाशक के रूप में सर्पदंश तथा कीटदंश के उपचार में होता रहा है।

२. पागलपन, मानसिक असंतुलन, हिस्टीरिया (hysteria) तथा मिर्गी (epilepsy) के उपचार में सर्पगंधा की जड़ों के अर्क का प्रयोग किया जाता है।

३. सर्पगंधा की जड़ का उपयोग कब्ज़ रोग और और पेट का दर्द में भी लाभकारी है।

४. इसकी जड़ के अर्क का उपयोग फोड़े-फुँसियों के उपचार में भी किया जाता है।

५. प्रसव पीड़ा को कम करने के लिए भी सर्पगंधा की जड़ का अर्क प्रयोग किया जाता है।

६. रक्तचाप, अनिद्रा, संकुचन, घावों और बुखार दूर करने के लिए सर्पगंधा की जड़ एक गुणकारी औषधि है।

७. सर्पगंधा का उपयोग सोरेसिस तथा खुजली जैसी त्वचा की बिमारियों के उपचार में भी किया जाता है।

सर्पगंधा की जड़
Indian Snakeroot’s Dry Root

सर्पगंधा से घरेलू उपचार

१. सर्पगंधा की जड़ का रस अथवा अर्क उच्च-रक्तचाप के लिए औषधि के समान है। इसके उपयोग से उच्च रक्तचाप में कमी आती है और नींद भी अच्छी आती है। हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए सर्पगंधा की जड़ के चूर्ण का 1/2 छोटा चम्मच दिन में 3 बार सेवन करने से ज़बरदस्त आराम मिलती है।

२. अगर आपको नींद अच्छी नहीं आती है तो रात को 1/4 छोटा चम्मच सर्पगंधा की जड़ का चूर्ण घी के साथ सेवन करने से नींद अच्छी आने लगती है।

३. यदि कोई उन्माद या पागलपन का शिकार हो तो ऐसे रोगी को सर्पगंधा की जड़ का 1 ग्राम चूर्ण 1 गिलास बकरी के दूध के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से रोगी को आराम मिलता है। ध्यान रहें यह यह दवा लो ब्लड प्रेशर वालों के लिए नहीं है।

४. सर्पगंधा की पत्तियों का रस पीने से या पत्तियों को चबाने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।

५. कभी कभी गर्भवती महिला के प्रसव के समय काफ़ी कष्ट होता है। इस पीड़ा को कम करने के लिए 1 ग्राम मिश्री में 1 ग्राम सर्पगंधा का चूर्ण मिलाकर दो दो घण्टे पर सेवन करने से प्रसव बिना पीड़ा के शीघ्र हो जाता है।

६. सर्पगंधा में एक विशेष गुण है कि यह प्रसव के बाद गर्भाशय के दोषों को भी निकाल बाहर कर देता है। गर्भपात के बाद गर्भाशय में दूषित पदार्थों के रह जाने से पीड़ा होती रहती है साथ ही रक्त स्राव भी होता रहता है। ऐसी स्थिति में सर्पगन्धा का 1/2 ग्राम चूर्ण दिन में 4 बार शहद और अदरक के रस के साथ सेवन करने से गर्भाशय स्वच्छ होता है और रक्त स्त्राव से छूटकारा मिलता है।

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