श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यंत्र के दोनों ओर दो भागों में एक ग्रंथि होती है जिसे थायराइड कहते हैं। यह एक एंडोक्राइन ग्रंथि है जो थाइरॉक्सिन हार्मोन का निर्माण करती है तथा शरीर के ऊर्जा क्षय, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन के प्रति होने वाली संवेदनशीलता को नियंत्रित करती है। इससे शरीर का मेटाबॉल्जिम नियंत्रित रहता है। यह भोजन को ऊर्जा में बदलने का कार्य करती है तथा हृदय, माँसपेशियों, हड्डियों व कोलेस्ट्रॉल को संतुलित रखती है।
थाइराइड ग्रंथि क्यों बढ़ती है?
थाइराइड ग्रंथि का बढ़ना ही, थाइराइड होना कहा जाता है। एक तो यह बहुत छोटी ग्रंथि होती है, बढ़ती भी है तो शुरू में पता नहीं चलता है या इस पर कोई ध्यान नहीं देता, क्योंकि छोटी सी गाँठ सामान्य मान ली जाती है। यही अनदेखी भारी पड़ती है और आगे चलकर समस्या गंभीर रूप ले लेती है।
जब थाइराइड ग्रंथि बढ़ने लगती है तो उसकी हार्मोन बनाने की क्षमता कम हो जाती है। पिट्यूटरी ग्रंथि (अंग्रेज़ी: Pituitary gland) के कारण भी यह समस्या होती है क्योंकि वह थाइराइड ग्रंथि को हार्मोन उत्पादन करने के संकेत नहीं दे पाती है।
भोजन में आयोडीन की कमी और अधिकता दोनों ही थायरॉइड का कारण हो सकता है। कुछ दवाओं के साइड इफ़ेक्ट भी थाइराइड के कारण बनते हैं। इसोफ्लावोन गहन सोया प्रोटीन, कैप्सूल व पाउडर के रूप में सोया उत्पादों का ज़रूरत से ज़्यादा प्रयोग भी थायराइड को जन्म दे सकता है।
तनाव भी इसका कारण होता है। जब तनाव बढ़ेगा तो उसका प्रभाव थाइराइड ग्रंथि पर पड़ना लाज़मी है। इससे हार्मोन का स्राव बढ़ जाता है।
थाइरॉइड की वृद्धि के कारणों में वंशानुगत कारण भी एक है। परिवार में यदि किसी को थाइराइड की समस्या है तो इसके होने की आशंका प्रबल रहती है। ग्रेव्स रोग थायराइड का सबसे बड़ा कारण है, यह थाइराइड से हार्मोन के स्राव को बहुत अधिक बढ़ा देता है। यह रोग आनुवांशिक कारकों से संबंधित वंशानुगत विकार है। इसमें थाइराइड ग्रंथि से हार्मोन का स्राव बहुत अधिक बढ़ जाता है। यह आमतौर पर 20 से 40 वर्ष की उम्र के बीच महिलाओं को ज़्यादा प्रभावित करता है।
गर्भावस्था व प्रसव के बाद की अवधि में भी थाइराइड जन्म ले सकता है, क्योंकि यह महिलाओं के शरीर में बड़े परिवर्तन का समय होता है। महिलाएँ इस दौर में तनावग्रस्त भी रहती हैं। रजोनिवृत्ति भी इसका एक कारण है क्योंकि यह भी महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन का दौर होता है।
थाइराइड होने के लक्षण
कोई भी रोग हमारे शरीर में होता है तो शरीर उसका संकेत करने लगता है। जो अधिक संवेदनशील होते हैं, वे इस संकेत को तुरंत भाप लेते हैं और तत्काल चिकित्सक से संपर्क कर इलाज शुरू करा देते हैं। कुछ लोग भांपने के बाद भी टालने लगते हैं, उनके लिए बीमारी गंभीर और कभी-कभी लाइलाज हो जाती है। ऐसे ही थाइराइड होने पर भी हमारा शरीर हमें संकेत करता है। जरूरत है इस संकेत को समझने की और तत्काल इलाज कराने की।
– थाइराइड की समस्या जैसे ही शुरू होगी तो कब्ज़ शुरू हो जाएगा। भोजन नहीं पचेगा, भूख नहीं लगेगी, भोजन करने का मन नहीं करेगा।
– शरीर में हमेशा बुखार या अन्य बीमारियां प्रवेश करने लगती हैं। रोग-प्रतिरोधक क्षमता में उत्तरोत्तर कमी आती जाती है। वजन घटने लगता है। थकान लगती है। सुस्ती व आलस्य घेर लेता है और शरीर की ऊर्जा धीरे-धीरे क्षय होने लगती है।
– त्वचा के ऊपरी सेल्स नष्ट होने लगते हैं, जिससे त्वचा में रूखापन आने लगता है और त्वचा सूखने लगती है।
– थाइराइड की समस्या जब गंभीर होने लगती है तो व्यक्ति के हाथ-पैर ठंडे होने लगते हैं।
– थाइराइड डिप्रेशन को भी जन्म देता है। व्यक्ति अवसाद में चला जाता है, किसी काम में मन नहीं लगेगा, किसी से मिलना नहीं चाहेगा। स्मृति शक्ति कमज़ोर होने लगती है। सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होने लगती है।
– बालों का झड़ना भी थाइराइड होने का लक्षण हो सकता है। गंजापन आने लगता है, आंखों के भौहों के बाल भी झड़ने लगते हैं।
– शारीरिक व मानसिक विकास धीमा हो जाता है। जुकाम होने लगता है, यह जुकाम सामान्य जुकाम से अलग होता है और कभी भी पूरी तरह ठीक नहीं होता, ठीक हो जाने के बाद फिर हो जाता है। मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द हो सकता है। कमजोरी महसूस होने लगती है।