उष्ट्रासन की विधि और लाभ

क्रोध मनुष्य का वह अवगुण है, जिस पर उसका कोई संयम नहीं रहता। परिणाम स्वरूप से आपसी सम्बंधों में अक्सर दरारें आ जाती हैं। क्रोध हमारी दिनचर्या और सफलता दोनों को बाधित करती है। अतः एक सफल जीवन जीने के लिए क्रोध पर नियंत्रण करना अति आवश्यक है। उष्ट्रासन योग आपको एक ऐसी जीवनशैली देता है, जिसके द्वारा आप न केवल अपने क्रोध पर संयम कर सकते हैं, बल्कि योग को अपनाकर तन और मन से स्वस्थ भी रह सकते हैं। आज क्रोध को कम करने के लिए उष्ट्रासन करने की विधि को सीखेंगे।

उष्ट्रासन - Ustrasana Steps & Benefits

उष्ट्रासन के चरण । Ustrasana Steps

  1. भूमि पर एक मोटी दरी बिछाकर अपने घुटनों के बल बैठ जाएँ।
  2. घुटने को अपने कूल्हे की चौड़ाई के बराबर फैलाएं, इससे ज़्यादा नहीं।
  3. अपने दोनों हाथ कमर पर इस प्रकार रखें, कि उंगलियां पेट की ओर हों और अंगूठा पीठ में गुर्दो पर, इस स्थिति में गर्दन को पीछे लटकाते हुए कमर को पीछे झुकाएं।
  4. इस स्थिति में कुल्हे आपके घुटने के ठीक ऊपर होने चाहिए।
  5. जब आप पूरी तरह झुक जाएं तो हाथों को कमर से हटाकर पैरों के तलवों पर ले जाएं, श्वास भरकर पेट को आगे की ओर खीचें और गर्दन को पीछे की ओर मोड़ते हुए शरीर को पूरी तरह खीचें।
  6. अब गहरी साँस लीजिए, थोड़ी देर इस स्थिति मे रुके फिर धीरे धीरे पुन: प्रारम्भ की स्थिति में आ जाएं।
  7. थोड़ी देर रुकें। धीरे धीरे पुनः अभ्यास करें।

उष्ट्रासन के लाभ

  1. पीछे की तरफ मुड़ने वाले इस आसन से हमारे स्नायु तंत्र और मेरुदंड पर असर पड़ता है और आपको तनाव भरी परिस्थितियों में स्वयं पर नियंत्रण करने में आसानी होती है।
  2. पीछे की ओर मुड़ते हुए अपनी श्वसन क्रिया पर ध्यान लगाने से मन शांत रहता है। जिससे अहम भाव को समाप्त करने में सफलता मिलती है।
  3. यह आसन सर्वाइकल स्पांडलायटिस में बहुत लाभकारी है।
  4. यह पाचन शक्ति को ठीक कर पेट के विकारों को दूर करता है।
  5. यह कमर और उदर की स्थूलता को नष्ट करके उसे लचीला बनाता है।

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