योगासन मानसिक शांति का अपूर्व साधन है। योगासन से चित्त में एकाग्रता एवम् स्थिरता आती है, मन की एकाग्रता से विकसित होने वाली बुद्धि और स्मरण शक्ति का विकास होता है। वहीं योग के द्वारा अनेक मानसिक रोगों का शमन भी होता है, जिससे मानसिक शांति प्राप्त होती है। इसलिए योग को अपने जीवन में एक मुख्य स्थान देकर एक ख़ुशहाल और स्वस्थ जीवन को प्राप्त करें। तो आइए आज हम लोग वज्रासन करने की विधि के बारे में जानें।
वज्रासन योग
वज्रासन का अर्थ है बलवान स्थिति। इस आसन को करने से शरीर वज्र के समान मज़बूत बनता है और पाचनशक्ति, वीर्यशक्ति तथा स्नायुशक्ति भी ठीक रहती है।
वज्रासन करने की विधि
- एक आसन बिछाएं और इस पर दोनों पैर सामने की तरफ़ फैलाकर बैठ जाएं।
- इसके बाद बायें पैर के घुटने को मोड़कर इस प्रकार बैठे के पैरों के पंजे पीछे और ऊपर की और हो जाएं।
- अब दाएं पैर का घुटना भी मोड़कर इस प्रकार बैठे की पैरों के पंजे पीछे और ऊपर की ओर हो जाएं और नितम्ब दोनों एड़ियों के बीच में आ जाएं।
- दोनों पैर के अंगूठे एक दूसरे से मिलाकर इस प्रकार रखें कि दोनों एड़ियों के बीच अंतर बना रहे।
- शरीर सीधा रखें। दोनों हाथों को घुटनों के ऊपर रखें।
- शरीर को ढीला रखें। आँखें बंद करें और धीरे धीरे लम्बी गहरी साँसे लें और छोड़ें।
- इस आसन में आप जितनी देर तक आराम से बैठ सकते हैं। इस आसन को आप तब तक कर सकते हैं।
- इस आसन को 5 मिनट से 60 मिनट तक कर सकते हैं।
वज्रासन के लाभ
- आँखों की रोशनी तेज़ होती है।
- मन की चंचलता दूर होकर व्यक्ति बुद्धिवान बनता है।
- भोजन के बाद इस आसन में बैठने से पाचन शक्ति तेज होती है। कब्ज़ में राहत प्राप्त होती है।
- स्त्रियों के मासिक धर्म की अनियमितता की समस्या दूर होती है।
- नियमित करने से घुटनों का दर्द, गठिया रोग दूर हो जाता है।
सावधानियां
जिन लोगों को जोड़ो में दर्द हो वे लोग वज्रासन न करें।
अगर वज्रासन करते समय आपको कमर दर्द, कमज़ोरी या चक्कर आने लगे तो इस आसन को बंद कर अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।