वर्किंग वूमन पति-पत्नी के रिश्ते में अहम भाव न आने दें

वर्किंग वूमन और रिश्ते – पत्नी की सफलता पर पति में अहम क्यों आ जाता है, पति पत्नी के रिश्तों के बीच अहम (ईगो) को न आने दें| पति पत्नी के बीच अहम यानी ईगो की भावना वैवाहिक सम्बंधों को दीमक की तरह खोखला कर देती है इसलिए बेहद ज़रूरी है कि आपसी सम्बंधों के बीच अहम को न आने दें क्योंकि दाम्पत्य जीवन की ख़ुशी का मूल आधार परस्पर विश्वास और निःस्वार्थ प्रेम है।

एक महिला (पत्नी) जब घर से बाहर निकल कर किसी क्षेत्र में क़दम बढ़ाती है और वर्किंग वूमन बन जाती है तो पति प्रत्येक क्षेत्र में उसके साथ रहता है कि मेरी पत्नी सफलता को प्राप्त करे। लेकिन जैसे ही वह सफलता हासिल करने लगती है तो अक्सर पति अपने पत्नी से कटे कटे से रहने लगते हैं, न केवल कटे कटे से रहने लगते हैं बल्कि उनके व्यवहार में भी परिवर्तन आ जाता है। ये सब सिर्फ़ एक अहम के कारण होता है। अगर पत्नी पति की सफलता पर ख़ुश हो सकती है तो पति क्यों नही ख़ुश हो सकते?

happy couple forget ego

वर्किंग वूमन का दाम्पत्य जीवन

Main Reason Why Ego Comes In Between Married Couple | Hindi Article

इस भाव के पक्ष और विपक्ष को बारीक़ी से आप इस प्रकार भी समझ सकते हैं –

1. सफलता की बुलंदियों को छूना

जब पत्नी घर की चारदीवारी में होती है तो पति का व्यवहार साधारण होता है। लेकिन जैसे ही पत्नी उस चार दीवारी से बाहर निकलकर अपनी एक अलग पहचान बनाने की कोशिश करने लगती है और अगर सफलता को प्राप्त कर लेती है तो अक्सर पति के अंदर हीन भावना आ जाती है। इसकी एक बहुत बड़ी वजह यह भी है कि सदियों से चली आ रही ये सोच कि सफलता पाने का हक़ केवल पुरुषों को है, स्त्रियों को नहीं। यह बात पुरुषों के व्यवहार को दुर्व्यवहार में बदल देती है।

आज समय परिवर्तन के कारण जब औरत पुरुषों के वर्चस्व को तोड़ते हुए बहुत आगे निकल आई है तो पुरुष के लिए उसकी सफलता और अलग पहचान को स्वीकारना मुश्किल हो रहा है। एक सफल महिला को अपने वैवाहिक जीवन को बचाये रखना मुश्किल सा लगने लगा है। अपने जीवन में सफलता की बुलंदियों को छूने वाली महिला जब घर आती है तो घर आकर उसे अपने पति की हीन भावना और दुर्व्यवहार का सामना करन पड़ता है।

2. असुरक्षा की भावना

वर्किंग वूमन पत्नी के सफल होने पर उन्हीं पुरुषों का अहम (ईगो) आहत होता है जिनमें असुरक्षा की भावना होती है। जो पुरुष ख़ुद सफल होते हैं, वे पत्नी की सफलता को सकारात्मक ढंग से लेते हैं। आज के समय बेहतर ज़िंदगी जीने के लिए पति और पत्नी दोनों को काम करना पड़ता है। अगर वो घर की ज़िम्मेदारियों को समझदारी से आपस बांट लें तो वैवाहिक जीवन में किसी भी बात को लेकर मन मुटाव नहीं होगा।

दिक्कतें तब आती है जहाँ महिला में सफलता पाने के बाद अहंकार आ जाता है और वह अपने पति को यह एहसास दिलाती है कि वह इससे कहीं अधिक बेहतर है। पूरे परिवार के प्रति उसके नज़रिए में फ़र्क आने से रिश्तों में दरारे आने लगती हैं इसलिए सफलता से ज़्यादा रिश्तों को बांधे रखना आवश्यक है।

3. पति को अपने से कम ना समझें

महिला को अपनी क़ामयाबी के आगे अपने पति को अपने से कम नही आंकना चाहिए। यदि वे ऐसा करती हैं तो रिश्ते की डोर कमज़ोर पड़ने लगती है। यह बहुत ज़रूरी है महिलाएं अपने बिजनेस या ऑफिस के क्षेत्र को अपने रिश्तों के बीच न आने दें। इन दोनों के बीच अन्तर बना कर चले क्योंकि काम अपनी जगह है और रिश्ते अपनी जगह।

अगर यह ध्यान रखकर कोई भी मनुष्य वो चाहे पुरुष हो या महिला दोनों क्षेत्रों में संतुलन बना कर रखते हुए दोनों चीजों को अपने अपने क्षेत्र में महत्व दें तो यक़ीनन वो चाहे कोई भी हो उसे सफलता दोनों क्षेत्रों में मिलेगी। इसलिए नाज़ुक डोर से बंधे इन नाज़ुक रिश्तों के बीच कभी अहम (ईगो) को न आने दें।

अंतत: कहना उचित होगा कि सुखी दाम्पत्य के लिए आवश्यक है कि पति-पत्नी के रिश्ते में कभी अहम न आये और आप एक-दूसरे को समझें और अपने साथी की सफलता को स्वयं की सफलता से अधिक महत्व दें।

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