कब्ज़ के कारण और उपचार

असंयमित व असुंलित खान-पान तथा अनियमित दिनचर्या के दौर में कब्ज़, गैस, अजीर्ण आदि की समस्‍या ने बड़ी तेज़ी से अपना पैर फैलाया है। कब्ज़ के चलते अनेक गंभीर समस्‍याओं से जूझना पड़ सकता है। जब शरीर में मल की मात्रा शरीर के निष्‍कासन क्षमता के बाहर हो जाती है तो मल आँतों में सड़ने लगता है और अनेक प्रकार की बीमारियों को जन्‍म देता है। पेट न साफ़ होने से सिर दर्द, पैरों में दर्द, गैस, अजीर्ण, सुस्‍ती, कमज़ोरी, थकान, किसी काम में मन नहीं लगना आदि समस्‍याएँ उत्‍पन्‍न होने लगती हैं।

कब्ज़ के मूल कारण

अनियमित दिनचर्या, मैदा का ज़्यादा सेवन, शरीर में पानी की कमी, शारीरिक श्रम का अभाव, बड़ी आँत में घाव, कैंसर या चोट, थायरॉयड हार्मोन का कम बनना, कैल्शियम व पोटैशियम की कमी, मधुमेह, पार्किंसन (शरीर कांपने की बीमारी) आदि के चलते पाचन तंत्र प्रभावित होता है।

कब्ज़ की समस्या

खान-पान में थोड़ा बदलाव करें

नाश्‍ते में गेहूं का दलिया, मौसमी फल आदि लें। दोपहर को हरी सब्‍ज़ी, सलाद, चोकर व आँटा की बनी रोटी खाएँ। शाम को हरी सब्‍ज़ियों का सूप पियें। रात को कई हरी सब्‍ज़ियों को मिलाकर बनाएँ और उसमें मिर्च-मसाला न डालें, साथ में दलिया या दोपहर जैसी रोटी लें। सुबह के समय थोड़ा टहलने की आदत डालें। भीगे या उबले चने का सेवन करें। रात को चना भि‍गो दें। सुबह उसमें जीरा व सोंठ का चूर्ण मिलाकर खाएँ इसके एक घंटे बाद जिस पानी चना भिगोए थे, उसे पी जाएँ।

उबले हुए चने में नमक व अदरक मिलाकर भी खाया जाता है। चने की रोटी खाने से भी दस्‍त साफ़ होता है। ज़रूरत के मुताबिक चने में गेहूं का आँटा मिलाकर भी रोटी खा सकते हैं। ताज़ा फलों का सेवन ज़्यादा करें। ख़ासतौर से सेब धुलकर छिलके सहित खाएँ। पानी पर्याप्‍त पिएँ, व्‍यक्ति को चौबीस घंटे में तीन से पांच लीटर पानी पीना चाहिए।

कब्ज़ दूर करने के औषधीय उपाय

– रोज़ रात को सोने से पहले काला नमक व छोटी हरड़ का चूर्ण एक-एक चम्‍मच गरम पानी से लेने से दस्‍त खुलकर आता है।

– दो चम्‍मच ईसबगोल की भूसी को छह घंटे पानी में भिगों दें, उसके बाद उसमें दो चम्‍मच मिश्री मिलाकर पी जाएँ। बिना भिगोए भी ईसबगोल की भूसी व मिश्री लिया जा सकता है।

– बेल का शरबत कब्ज़ में लाभकारी है। यह आँतों का पूरा मल बाहर निकाल देता है।

– रात को सोते समय गर्म पानी के साथ नींबू का रस पीने से भी दस्‍त खुलकर आता है। 12-12 ग्राम नींबू का रस व शक्‍कर एक गिलास पानी में मिलाकर रात को पीने से कुछ दिनों में कब्ज़ ठीक हो जाता है।

– नारंगी का जूस यदि सुबह नाश्‍ते में नियमित लिया जाए तो पेट सही रहता है और पाचन शक्ति मज़बूत होती है।

– मेथी का साग भी कब्ज़ की समस्‍या से मुक्ति दिलाता है।

– कब्ज़ की अवस्‍था में गेहूं के ज्‍वारे का रस भी फायदेमंद है।

– रात को सोते समय आधा चम्‍मच सौंफ का चूर्ण लेने से कब्ज़ दूर हो जाता है।

– नियमित दालचीनी, सोंठ, इलायची का सेवन करने भी कब्ज़ ठीक होता है।

– रात में चुकंदर की सब्‍ज़ी खाने से आराम मिलता है।

कब्ज से बचने के अन्य उपाय

– दूध में 8-10 मुनक्का उबालकर उसका बीज निकालकर खा लें और ऊपर से दूध पी जाएँ।

– रात को तांबे के बर्तन में पानी भरकर रख दें और सुबह उठकर उसे पी जाएँ।

– कब्ज़ में रात में आधा चम्‍मच अजवाइन गुड़ के साथ खाकर ऊपर से गुनगुना दूध पी लेने से आराम मिलता है।

– एरंड के तेल में दो-चार छोटी हरड़ सेंककर सुबह खाली पेट खाने से भी आराम मिलता है।

– दूध में गुलकंद मिलाकर लेने से भी कब्ज़ दूर होता है।

– दोपहर भोजन के बाद छाछ पीना लाभकारी है।

– टिंडा, तरोई या टमाटर की सब्‍ज़ी से कब्ज़ दूर होता है। टमाटर अमाशय, आँतों को मज़बूती देने के साथ ही मल को बाहर निकालने में मदद करता है।

इनके सेवन से बचें

– रेशायुक्‍त भोजन से परहेज करें, बहुत ज़रूरी हो तो अल्‍प मात्रा में लें।

– तेल, घी व चिकनाई वाले पर्दा‍थों का सेवन न करें।

– मिर्च-मसाले से परहेज़ करें।

– रिफ़ाइंड, सोयाबीन, कपास, सूर्यमुखी, पाम, राइस ब्रॉन व वनस्पति घी कब्ज़ में बिल्‍कुल न लें, यह विषतुल्य है। इनकी जगह मूंगफली, तिल, सरसों व नारियल तेल का प्रयोग किया जा सकता है।

– चीनी का सेवन न करें, उसकी जगह धागे वाली मिश्री या गुड़ का प्रयोग करना चाहिए।

– आयोडीन युक्त नमक की जगह सेंधा नमक या टुकड़े वाले नमक का प्रयोग करना चाहिए। मैदा से बने पदार्थों का प्रयोग न करें।

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