कचनार के औषधीय प्रयोग

कचनार एक फूल है। लगभग हर जगह यह सहजता से मिल जाता है। लेकिन यह अनेक रोगों की औषधि भी है, इसे बहुत कम लोग जानते हैं। यह अपने सौंदर्य की वजह से जाना जाता है। इसका रंग सफेद व लाल होता है और स्‍वाद कड़वा। इसके पत्‍ते लसोहड़ा के पत्‍तों के समान होते हैं लेकिन इसके पत्‍ते एक या दो जोड़े में होते हैं। इसकी फली की लंबाई छह से बाहर इंच होती है। फरवरी-मार्च में इसमें फूल आते हैं और अप्रैल-मई में इसमें फल लग जाते हैं। इसमें शर्करा और टैनिन्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। साथ ही इसमें मिर्सीताल और ग्लाइकोसाइड भी मौजूद होते हैं।

कचनार का फूल

औषधि के रूप में प्रयोग की मात्रा

कचनार की छाल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम (आधा से एक चम्मच) ठंडे पानी के साथ लिया जाता है। फूलों का रस 10 से 20 मिलीलीटर तथा छाल का काढ़ा 40 से 80 मिलीलीटर तक प्रयोग किया जा सकता है। सुबह-शाम इसका काढ़ा चार-चार चम्‍मच मधु मिलाकर भी लिया जा सकता है।

1. ख़ूनी बवासीर

एक कप मट्ठा में कचनार की छाल का एक चम्‍मच चूर्ण मिलाकर दिन में तीन बार एक गिलास छाछ के साथ लेने से या केवल चूर्ण भी लेने से ख़ूनी बवासीर में लाभ होता है, ख़ून आना बंद हो जाता है।

ख़ूनी बवासीर में  इसकी कलियों का पाउडर मक्‍खन व शक्‍कर के साथ 21 दिन तक खाने से लाभ होता है।

2. सूजन

यदि शरीर में कहीं भी सूजन है तो कचनार की जड़ को पानी में घिस लें और उसे गर्म कर लगाने से सूजन में चला जाता है।

3. मुंह के छाले

मुंह के छालों पर कचनार की छाल के काढ़ा में कत्‍था मिलाकर लगाने से आराम मिलता है।

4. प्रमेह

प्रमेह रोग में कचनार की हरी व सूखी कलियों का चूर्ण व मिसरी समान मात्रा में मिला लें और एक-एक चम्‍मच दिन में तीन बार कुछ सप्‍ताह तक सेवन करें।

5. गंडमाला

गंडमाल रोग के लिए कचनार की छाल के काढ़ा में सोंठ का चूर्ण मिलाकर आधा कप दिन में तीन बार पीना लाभदायक है।

6. भूख न लगना

इसकी फूल की कलियां घी में भूनकर सुबह-शाम खाने से भूख खुलकर लगती है।

7. एसिडिटी

कचनार की छाल का 20 मिलीलीटर काढ़ा में आधा चम्मच पिसी हुई अजवायन मिलाकर लेने से गैस, पेट फूलना आदि की समस्‍या दूर हो जाती है। केवल इसकी छाल का काढ़ा भी लेने से गैस व पेट फूलने की समस्‍या में आराम मिलता है।

8. खांसी व दमा

दो चम्‍मच कचनार की छाल का काढ़ा मधु के साथ दिन में तीन बार लेने से खांसी व दमा में आराम मिलता है।

9. दांत का रोग

कचनार की छाल को जलाकर राख बना लें, इस राख से सुबह एवं रात को खाना खाने के बाद मंजन करने से दांतों का दर्द व मसूढ़ों से ख़ून आना बंद हो जाता है। इसकी छाल को पानी में उबालकर रख लें। रोज़ 50-50 मिलीमीटर पानी गर्म करके कुल्‍ला करने से दांतों का हिलना, दर्द, ख़ून निकलना, मसूढ़ों का सूजन व पायरिया ख़त्‍म हो जाता है।

10. जीभ व त्वचा की सुन्नता

दो से चार ग्राम मात्रा में कचनार की छाल का चूर्ण सुबह-शाम खाने से जीभ व त्वचा की सुन्‍नता दूर होती है तथा रस ग्रंथियों की क्रिया ठीक होती है।

11. कब्ज़

कब्‍ज़ की समस्‍या में कचनार के फूलों को चीनी के साथ घोंटकर शर्बत की तरह बनाकर सुबह-शाम सेवन से लाभ होता है, मल साफ़ होता है और कब्ज़ दूर होता है। इसके फूलों का गुलकंद रात में सोने से पूर्व दो चम्‍मच लेने से भी कब्‍ज़ में आराम मिलता है।

12. पेट का कैंसर

पेट के कैंसर में कचनार की छाल का काढ़ा रामबाण है।

13. बार-बार दस्‍त आना

दिन में दो बार कचनार की छाल का काढ़ा पीने से दस्‍त ठीक हो जाता है। यदि दस्त के साथ ख़ून आए तो इसके फूल का काढ़ा सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।

14. पेशाब के साथ ख़ून आना

पेशाब के साथ यदि ख़ून आ रहा है तो कचनार के फूलों का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीना चाहिए। पेशाब से ख़ून आना बंद हो जाएगा। इससे रक्‍त प्रदर व रक्‍तस्राव में भी आराम मिलेगा।

15. रक्तपित्त

रक्‍तपित्‍त में कचनार के फूलों का 1 से 2 ग्राम चूर्ण का सुबह-शाम सेवन करने से आराम मिलता है।  साथ ही इसका साग खाने से भी रक्तपित्त में लाभ होता है। इसके सूखे फूलों का चूर्ण शहद के साथ दिन में तीन बार सेवन करने या इसके फूलों की सब्‍ज़ी बनाकर खाने से भी रक्‍तपित्‍त में लाभ होता है, रक्‍त विकार दूर होता है। इसके पत्तों का 6 ग्राम रस पीने से मुंह से ख़ून का आना बंद हो जाता है।

16. कूबड़

यदि बच्‍चों में कूबड़ का रोग हो तो बिस्‍तर पर पीठ के नीचे कचनार का फूल बिछाकर सुलाना चाहिए। साथ ही एक ग्राम का चौथाई भाग कचनार व गुग्‍गुल को मधु के साथ मिलाकर चटाना चाहिए। इसका काढ़ा भी कुबड़ापन दूर करने में कारगर है।

इसके काढ़ा में प्रवाल भस्म मिलाकर पिलाने से भी आराम होता है।

17. स्तनों की गांठ

कचनार की छाल का आधा ग्राम चूर्ण, सोंठ और चावल के पानी (धोवन) के साथ मिलाकर पीने तथा स्तनों पर उसका लेप करने से स्तन की गांठ ख़त्‍म हो जाती है।

18. गर्मी का रोग या उपदंश

125 ग्राम की मात्रा में कचनार की छाल, इंद्रायण की जड़, बबूल की फली, छोटी कटेरी की जड़ व पत्ते तथा पुराना गुड़ लेकर किसी मिट्टी के बर्तन में 2.80 लीटर पानी में मिलाकर पकाएं, जब पानी थोड़ा सा बचे तो छानकर एक बोतल में भरकर रख दें और सुबह-शाम सेवन करें।

19. सिर में फोड़ा

सिर में यदि फोड़ा निकल आया है तो कचनार की छाल, वरना की जड़ व सोंठ मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे 20 से 40 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करें तथा इसे फोड़े पर लगाएं भी। फोड़ा पककर ठीक हो जाएगा।

20. गलकोष की सूजन

कत्‍था का फल, दाड़िम फूल व कचनार की छाल मिलाकर काढ़ा बना लें। इससे सुबह-शाम गरारा करने से गले की सूजन ख़त्‍म होती है। सिनुआर के सूखे पत्ते को धूम्रपान की तरह प्रयोग करने से भी लाभ होता है।

21. गला बैठना

गला बैठ गया है तो कचनार मुंह में रखकर चबाने या चूसने से ठीक होता है। इससे आवाज़ भी मधुर होती है।

22. चेचक

चेचक निकलने पर कचनार की छाल के काढ़ा में स्‍वर्ण भस्‍म मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।

23. गले की गांठ

कचनार की छाल के 20 ग्राम काढ़ा में सोंठ मिलाकर सुबह-शाम पीने से गले की गांठ में आराम मिलता है।

24. कंठमाला

कंठमाला या गले की गांठ में कचनार की छाल को पीसकर उसे चावल के पानी में डाल दें और उसमें थोड़ी सी मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है। इसकी छाल को चावल के धोवन में पीसकर उसमें आधा चम्मच सौंफ का पावडर मिलाकर एक माह तक खाने से भी लाभ होता है।

25. पुराना कोढ़

कचनार की छाल का काढ़ा बनाएं और उसमें बावची के तेल की 20-25 बूंदे मिलाकर रोज़ पियें। इससे बहुत पुराना कोढ़ भी समाप्‍त हो जाता है।

26. मुंह के छाले

मुंह में छाले पड़ गए हों और ठीक न हो रहे हों तो कचनार की छाल के काढ़ा से कुल्‍ला करना चाहिए। शीघ्र लाभ मिलता है।

27. थायराइड

कचनार के फूलों की सब्‍ज़ी या पकौड़ी खाने से थायराइड की समस्‍या दूर होती है। इसका नियमित दो माह सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। उसके बाद जांच करानी चाहिए।

28. कचनार के कुछ अन्य प्रयोग

– आंतों के कीड़ों को मारने के लिए पीले कचनार के पेड़ की छाल का काढ़ा लाभप्रद है।

– इसकी छाल का काढ़ा 10-11 दिन नियिमित पीने से आंतों के कीड़े मर जाते हैं।

– इसका एक फूल सुबह-शाम तीन दिन तक चबाने से ख़ूनी आंव बंद हो जाता है।

– आधा चम्मच अजवाइन इसकी जड़ के काढ़ा में मिलाकर पीने से 10-11 दिनों पेट अंदर चला जाता है।

– इसकी जड़ का काढ़ा पीने से लीवर की सूजन ख़त्‍म होती है।

– दांतों के दर्द में कचनार की टहनियों की राख से मंजन करना लाभप्रद है।

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