मोटापा सेक्शुअल लाइफ़ का दुश्मन

मोटापा अपने साथ कई बीमारियाँ लेकर भी आता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को शारीरिक से ज़्यादा मानसिक और सामाजिक रूप से समस्याएँ झेलनी पड़ती हैं। भारत में होने वाले तलाक़ के 50% मामलों में सेक्शुअल लाइफ़ में अंसतोष मोटापे के कारण हो रहा है। यह रिसर्च डॉ० जश्री टोडकर, निर्देशक, जेटी ओबेसिटी सॉल्यूशन एट मुम्बई एंड पुणे ने की है।

मोटापे का सेक्शुअल रिलेशन पर असर

– सेक्स ड्राइव सीधे ही प्रभावित हो जाती है।
– एक पार्टनर मोटा हो जाए तो दूसरे की सेक्शुअल रिलेशन में रुचि ख़त्म होने लगती है।
– मोटापे से शरीर का डील डौल बिगड़ जाता है, जिससे वह पार्टनर को आकर्षित नहीं कर पाता है।
– सेक्शुअल डिस्कम्फ़र्ट की वजह से वैवाहिक जीवन में तनाव बढ़ जाता है।
– मोटापे के वजह से मसल्स लचीली नहीं रहती है, और थकान भी जल्दी हो जाती है। जिससे एक पार्टनर असंतुष्ट ही रह सकता है।
– मोटापे के समस्या डिप्रेशन और सोशल फ़ियर को जन्म देती है।
– ऑर्गैज़्म यानि चरमोत्कर्ष तक पहुंचने के लिए शरीर में स्टैमिना होना ज़रूरी है, जो मोटापा आप से छीन लेता है।
– हार्मोंस के असंतुलन से टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन कम हो सकता है, जिससे कामेच्छा कम हो जाती है। शरीर में फ़ैट जमा होने या घटने का सीधा असर कामेच्छा पर पड़ता है।

सेक्शुअल लाइफ़
Obese partner love

पुरुषों को होने वाली समस्याएँ

1. शीघ्र पतन

मोटा व्यक्ति जल्दी स्खलित हो जाने की वजह से अपने पार्टनर को ऑगैज़्म तक नहीं ले जा पाता है।

2. टेस्टोस्टेरॉन कम बनना

यह हार्मोन पुरुष सेक्स हार्मोन है। इसकी कमी से चिड़चिड़ापन और ग़ुस्सा आता है। साथ ही इसकी कमी व्यक्ति की कामेच्छा भी कम कर देती है। यह कमी से इंफ़र्टिलिटी का ख़तरा बढ़ जाता है।

3. इरेक्टाइल डिस्फ़ंक्शन

मोटे व्यक्ति से शरीर में रक्त संचार धीमा पड़ जाता है। हाई कोलेस्ट्रॉल और टाइप 2 मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसे बीमारियाँ धमनियाँ ब्लॉक करने लगती हैं। जननांगों तक रक्त संचार ठीक न होने से इरेक्टाइल डिस्फ़ंक्शन की समस्या जन्म लेती है।

4. बीमारियों का जंजाल

मोटापा ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारियों, मधुमेह और न जाने किन किन बीमारियों को अपने जाल में फांस लेता है। हम इलाज के लिए जिन दवाओं का इस्तेमाल करते उनसे सेक्शुअल लाइफ़ प्रभावित होती है। नॉर्मल वज़न वाले पुरुष की तुलना में मोटा पुरुष 25% अधिक समस्या ग्रस्त रहता है।

महिलाओं को होने वाली समस्याएँ

1. आत्मविश्वास खोना

बेडौल शरीर पहले महिला के दिमाग़ पर असर डालता है। जिस वजह से ख़ुद को दूसरों से कम ख़ूबसूरत समझने लगती है। सेक्शुअल एक्टिविटीज़ और मोटापे में गहरा संबंध है।

2. रक्त संचार में कमी

रक्त संचार महिला या पुरुष दोनों में सेक्स ड्राइव को प्रभावित करता है। मोटापे के कारण वजाइना में ब्लड सर्कुलेशन ठीक से न होता और वो असन्तुष्ट रहती है। जिससे वे सेक्शुअल लाइफ़ का मज़ा नहीं ले पाती हैं।

3. झिझकना

सेक्शुअल एक्टिविटीज़ में पार्टिसिपेट करते समय मोटी महिलाएँ सोचती हैं कि उनका पार्टनर उनके बारे में क्या सोच रहा होगा। इसलिए वे खुलकर कामक्रीड़ा का आनंद नहीं ले पाती हैं।

4. चर्मोत्कर्ष

चर्मोत्कर्ष पाने में मोटापा बड़ी बाधा बन जाता है। कई महिलाएँ इंटीमेसी के दौरान जांघ में दर्द होने के कारण भी ठीक से सेक्स नहीं कर पाती हैं।

Fitness mantta
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मोटापा कम करने के उपाय

– खान पान में उचित बदलाव करके बिना वज़न घटाए भी सेक्स ड्राइव बढ़ाई जा सकती है।
– कम वसा युक्त भोजन करके ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रख सकते हैं। इससे सेक्शुअल लाइफ़ बेहतर होगी।
– आहार में असंतृष्ट वसा और प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएँ। इससे शक्ति मिलने के साथ वज़न भी कम होगा। जिससे हार्मोंस का असंतुलन कम हो जाएगा।
– शरीर के सभी भागों में रक्त संचार बनाए रखने के लिए आपको एक्सरसाइज़ ज़रूर करनी चाहिए। इसके लिए योग, तेज़ चाल, साइकलिंग आदि की मदद से जननांगों में रक्त संचार बढ़ा सकते हैं।
– आनुवांशिक मोटापे के लिए डॉक्टरी सहायता लें और व्यसनों से बचें।

ओबेज़ होने का पता कैसे चले

बॉडी मास इंडेक्स जिसे संक्षेप में बीएमआई कहते हैं, के द्वारा ओबेज़ होने का पता चल सकता है। बीमाई 23 सामान्य और 25 अधिक को मोटापे की श्रेणी में रखा गया है।

ओबेसिटी का इलाज

मोटापा अवसाद का कारण बन सकता है। एंटी डिप्रेसेंट दवाएँ इसका इलाज कर सकें, यह ज़रूरी नही हैं। मोटापे के सही इलाज के अभाव मरीज़ के शरीर में विटामिंस कम हो जाते हैं। ख़ून की कमी से चिड़चिड़ापन हो जाता है। इसका समय पर सही इलाज ज़रूरी है। वरना सेक्शुअल लाइफ़ जहन्नुम हो जाती है।

मोटे पार्टनर का सहयोग करें

पार्टनर मोटापे का शिकार हो जाए तो दूसरे को उसे कंफ़र्ट ज़ोन में रखना चाहिए। उसको मोटा मत बोलें और न ही कोई चुटकुला कसें। उसे एक्सरसाइज़ और वज़न घटाने के लिए हेल्प करें।

मोटापा शरीर को बेडौल नहीं करता बल्कि हार्मोनल और बॉडी सिस्टम में हो रहे अवांछित बदलावों को दर्शाता है। न्यूट्रिशंल और मेटाबलिक मूल्यांकन के बाद ओबेज़ मरीज़ का इलाज शुरु किया जाता है। इसमें यूरिक एसिड, हार्मोंस, किडनी, लिपिड, लीवर फ़ंक्शन आदि मेटाबोलाइट की जांच की जाती है। मोटापे के लिए मेडिकल और सर्जिकल ट्रीटमेंट किया जाता है। सेक्शुअल फ़ंक्शन के मामले में बैरियाट्रिक मेटाबलिक ट्रीटमेंट से संतोषजनक परिणाम देखने को मिले हैं।

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