पेड़-पौधों के रूप में हमारे आसपास औषधियों का ख़ज़ाना भरा पड़ा है लेकिन जानकारी न होने से हम उनका इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं और छोटी-छोटी चीज़ों के लिए एलोपैथिक दवाइयों पर निर्भर होते जाते हैं। पलाश भी औषधीय गुणों से भरा एक वृक्ष है जिसकी छाल, पत्ते, जड़, फूल, फल आदि अनेक बीमारियों से हमें निजात दिलाने में समर्थ हैं। इसे ढाक, टेशू, गुजराती में खाकरा व तमिल में पुगु, कतुमुसक, किंजुल आदि नामों से भी जाना जाता है।

पलाश के औषधीय गुण और प्रयोग
गर्भवास्था
– गर्भवती महिला को दूध के साथ पलाश का एक फूल पीसकर प्रतिदिन पिलाने से बल-वीर्यवान संतान का जन्म होता है।
– गर्भ धारण करते ही यदि महिला को गाय के दूध में पलाश के कोमल पत्तों को पिलाना शुरू किया जाए तो बलशाली संतान का जन्म होगा।
– पलाश के बीजों का लेप करने से अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है।
आंखों के लिए लाभकारी
– टेशू के फूलों का रस व शहद मिलाकर लेने से या आंखों में काजल की तरह लगाने से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है।
– रतौंधी में पलाश की जड़ का अर्क आंखों में लगाने से फायदा होता है।
– रतौंधी की शुरुआत तो तो ढाक के फूलों का रस आंखों में डालने से फायदा होता है।
– आंख आने पर इसके फूलों के रस में मधु मिलाकर आंखों में लगाना चाहिए।
अंडकोष और मूत्र विकार
– अंडकोष की सूजन, महिलाओं के मासिक धर्म व पेशाब में रुकावट की समस्या में टेशू के फूलों को उबालकर पुल्टिस बनाकर पेड़ू पर बांधना चाहिए।
– पलाश की छाल का छह ग्राम चूर्ण का सेवन पानी के साथ करने से अंडकोष का पानी सूख जाता है और अंडकोष छोटा हो जाता है।
– ढाक के फूलों का एक चम्मच रस पीने से पेशाब की जलन व रुक-रुक कर पेशाब आने की समस्या से छुटकारा मिलता है।
– टेशू की छाल का काढ़ा मिश्री मिलाकर पीने से नाक, मलमार्ग, मूत्रमार्ग व योनि से होने वाला रक्तस्राव बंद हो जाता है।

पेट की समस्या
– ताज़ा दही के साथ घी में बना साग खाने से बवासीर में राहत मिलती है।
– पलाश के बीजों का 3 से 6 ग्राम चूर्ण सुबह दूध के साथ तीन दिन तक लें और चौथे दिन सुबह 10 से 15 मिली अरंडी का तेल गर्म दूध में मिलाकर पीने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं और पेट साफ होता है।
– पलाश के पत्तों या पत्तल पर भोजन करने से चांदी के बर्तन में किए गए भोजन का लाभ होता है।
त्वचा के लिए लाभ
– पलाश की गोंद का बारीक चूर्ण छिड़कने से पुराने से पुराने घाव भी भरने लगते हैं।
– बसंत ऋतु में टेशू के फूलों को पानी में उबालकर नहाने से गर्मी की तपन से रक्षा होती है और त्वचा रोग दूर होते हैं।
– दाद, खाज, खुजली में ढाक के बीजों को नींबू के रस में पीसकर लगाने से लाभ होता है।
– पलाश के बीजों का चूर्ण नींबू के रस में मिलाकर लगाने से दाद ख़त्म हो जाता है।
अन्य प्रयोग और लाभ
– पलाश के पत्तों का रस लगा देने से पंद्रह मिनट में बुखार की गर्मी उतर जाती है।
– पलाश की जड़ के रस में सरसो का तेल मिलाकर सुबह-शाम 2-2 चम्मच लेने से फीलपांव या हाथीपांव में आराम मिलता है।
– शरीर में कहीं गांठ हो तो इसके पत्तों को गर्म करके बांधने या उसका गर्म लेप लगाकर बांधने से राहत मिलती है।
– पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद दूध-मिश्री के साथ या आंवला के रस के साथ लेने से हड्डियां मजबूत होती हैं और बल-वीर्य में वृद्धि होती है।
– पलाश के बीजों को मदार के दूध में पीसकर लगाने से बिच्छू काटने का दर्द चला जाता है।
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