फलों, सब्ज़ियों, तिलहन व औषधीय पौधों के बीजों में स्वास्थ्य का रहस्य छिपा हुआ है। अनेक औषधियों में इनके बीजों, रस, छिलकों आदि का इस्तेमाल किया जाता है और ये बीज बहुत सारे रोगों को जड़ से समाप्त कर मनुष्य को स्वस्थ जीवन प्रदान करते हैं। आज हम आपसे ऐसे ही कुछ फलों व सब्ज़ियों आदि के बीजों, रस व छिलकों के औषधीय गुणों की चर्चा करेंगे।
फलों व सब्ज़ियों को खाने के लाभ
1. अनार
अनार के बीज एक तो कैलोरी से मुक्त होते हैं, दूसरे इनमें विटामिन सी पाया जाता है, इसलिए मोटापा नहीं बढ़ता है, इनके सेवन से चर्बी घटती है, वजन कम करने के लिए अनार के बीजों का सेवन फ़ायदेमंद है। साथ ही ये हृदय रोग, तनाव व यौन क्षमताओं में वृद्धि करते हैं। इनमें पर्याप्त मात्रा में एंटी ऑक्सिडेंट्स होते हैं।
– अनार के दानों को भूनकर उनका रस सेवन करने से अतिसार में लाभ मिलता है।
– अनार के पत्ते का एक चम्मच रस ताज़ा पानी में मिलाकर सुबह-शाम चालीस दिन तक नियमित पीने से महिलाओं में मासिक धर्म की गड़बड़ी ठीक हो जाती है। मासिक धर्म के दौरान इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
– मीठे अनार का रस पीने से दिल की धड़कन सामान्य होती है और शरीर को शीतलता मिलती है।
– यदि बहुत तेज खांसी आ रही है तो खांसी के दौरान अनार के छिलके को मुंह में रखकर धीरे-धीरे चूसना चाहिए। खांसी रुक जाती है।
– बवासीर में अनार के छिलकों का एक चम्मच चूर्ण सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है।
– एक-एक चम्मच अनार के छिलकों का चूर्ण ताजा पानी के साथ दिन में 2-3 बार लेने से बहुमूत्र रोग में लाभ होता है।
– साँस की बदबू दूर करने के लिए अनार के छिलकों को पानी में उबालकर उस पानी से कुल्ला किया जाता है।
– नकसीर में अनार के फूलों का ताजा रस निकालकर दो बूंद नाक में डालने से तत्काल लाभ मिलता है।
2. भांग

भांग का उपयोग ज्यादातर नशे के लिए किया जाता है। लेकिन इसमें अनेक औषधीय गुण विद्यमान होते हैं। इनकी पत्तियाँ जहां दर्द भगाती हैं, वहीं इसके बीज स्वास्थ्य के लिए काफ़ी लाभप्रद होते हैं। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन मिलता है। इसमें कैलोरी को जलाकर माँसपेशियों का विकास करने वाले सभी 20 अमीनो एसिड मौजूद होते हैं। व्यायाम के बाद जूस या शेक के साथ भांग के कुछ बीजों का सेवन काफ़ी लाभप्रद हो सकता है। इसे सेक्स क्षमता में वृद्धि करने वाला भी कहा गया है। लेकिन इसका प्रयोग करने पूर्व चिकित्सक की सलाह ज़रूर ले लेनी चाहिए।
– सिर दर्द में भांग की पत्तियों का दो-तीन बूंद अर्क कान में डालने से आराम मिल जाता है।
– 125 मिलीग्राम भांग और उसका आधा हींग मिलाकर खाने से मानसिक रोगों में लाभ मिलता है।
– भूख बढ़ाने के लिए काली मिर्च व भांग का चूर्ण सुबह-शाम लिया जा सकता है।
– घाव पर भांग का चूर्ण लगाने से घाव शीघ्र भरता है।
– भांग के बीजों के तेल से मालिस करने पर जोड़ों का दर्द दूर हो जाता है।
– आंवयुक्त अतिसार व कोलाइटिस में भांग का चूर्ण और उसका दो गुना शुंठी चूर्ण व चार गुना जीरा चूर्ण मिलाकर खाने से लाभ मिलता है।
3. तुलसी

तुलसी के बीजों से पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम प्राप्त होता है। इसके दो चम्मच बीज एक स्लाइस चेडर चीज़ के बराबर होते हैं। दूध के साथ इनका सेवन करने से पौरुष में वृद्धि होती है। वीर्य की गुणवत्ता व क्षमता बढ़ती है। इसका प्रयोग फालूदा में किया जाता है। भिगो देने पर यह जेली तरह फूल जाता है जिसमें थोड़ी सी गुलाब की ताज़ी पंखुड़ियाँ डालकर दूध या लस्सी के साथ लेने पर शरीर को ठंडक मिलती है। साथ ही यह पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है और त्रिदोषनाशक है।
– तुलसी के पांच ग्राम बीज रोज़ सोते समय दूध के साथ लेने से शीघ्र पतन व वीर्य की कमी की समस्या से निजात मिलती है। नपुंसकता दूर होती है और यौन शक्ति में वृद्धि होती है।
– यौन दुर्बलता दूर करने के लिए तुलसी, सफेद मूसली व मिश्री का मिश्रण पांच ग्राम सुबह-शाम गाय के दूध से लेने पर लाभ मिलता है। जितना तुलसी का बीज लें उसका दोगुना सफेद मूसली व चार गुना मिश्री मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को पांच ग्राम मात्रा में सुबह-शाम गाय के दूध के साथ लें।
– तुलसी के बीज सुबह-शाम पांच ग्राम पानी या दूध से लेने पर मासिक धर्म की अनियमितता दूर हो जाती है। इसका प्रयोग मासिक धर्म के दौरान ही करना चाहिए। यदि गर्भधारण की समस्या भी हो तो मासिक धर्म के दौरान उपरोक्त औषधि लें और मासिक धर्म का समय खत्म होने बाद तीन दिन तक माजूफल का दस ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ लेना चाहिए।
4. कद्दू

कद्दू के बीजों में पर्याप्त मात्रा में आयरन मिलता है जो शरीर में ऊर्जा को बनाए रखने में मदद करता है।
– लीवर की कमज़ोरी व दिल की समस्या के लिए दो-दो ग्राम अलसी व कद्दू के बीज प्रतिदन एक बार सेवन करने से लाभ मिलता है।
– पके हुए घावों या संक्रमण पर कद्दू के बीजों को पीसकर लगाने से लाभ मिलता है। घाव शीघ्र भर जाते हैं।
– जांच के बाद यदि पता चलता है कि बच्चों में पेशाब में कैल्शियम ओक्सेलेट आ रहा है तो भोजन के साथ कद्दू के बीज लेने से लाभ मिलता है। किडनी में पथरी का निर्माण कैल्शियम आक्सेलेट ही करते हैं।
– कद्दू के बीजों में एमिनो एसिड ट्रीप्टोफन पाया जाता है जो अनिद्रा की समस्या को दूर करता है।
– कद्दू के बीच मधुमेह रोगियों के लिए फ़ायदेमंद हैं। इसमें आसानी से पचने वाला प्रोटीन होता है तो रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित कर अग्नाशय को सक्रिय करता है।
– कद्दू के बीज के तेल में प्रोस्टेटिक अतिवृद्धि को कम करने वाला ओमेगा-3s पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
– इसके सेवन से शरीर में रक्त व ऊर्जा का स्तर बढ़ता है।
5. तिल

तिल का बीज हृदय को स्वस्थ रखता है। इसमें लिनोलेनिक एसिड अर्थात् ओमेगा 6 फ़ैटी एसिड एसिड मौजूद होता है जो कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करने में सहायता करता है। इसे भूनकर भी खाया जा सकता है।
– असमय सफेद हुए बालों को यदि तिल के पौधे की जड़ व पत्तों का काढ़ा बनाकर धोएं तो बाल काले होने लगते हैं।
– यदि बालों में नियमित काले तिल का तेल लगाया जाए तो जल्दी सफेद नहीं होते तथा मुलायम रहते हैं।
– गंजापन दूर करने के लिए तिल के फूल व गोक्षुर को समान मात्रा में लें और उसे घी व मधु में मिलाकर पीस लें। यह औषधि सिर पर लगाने से गंजापन दूर हो जाता है।
– बालों की रूसी दूर करने के लिए तिल का तेल सिर पर लगाएं, एक घंटे बाद गर्म पानी में तौलिया भिगोकर निचोड़े और सिर पर रख लें। तौलिया जब ठंडी हो जाए तो पुन: ऐसा ही करें। पांच मिनट सिर पर गर्म तौलिया रहनी चाहिए। इसके बाद ठंडे पाने से सिर धो लें।
6. अलसी

कैंसर की रोकथाम के लिए अलसी के बीजों को जाना जाता है। इसमें मौजूद लिग्नेन व ओमेगा 3 फ़ैटी एसिड सूजन दूर करते हैं। अलसी गुणकारी कोलेट्राल का सृजन करती है। साथ ही जोड़ों के दर्द में लाभ पहुंचाती है। स्वस्थ व्यक्ति सुबह-शाम एक-एक चम्मच अलसी पानी या भोजन के साथ ले सकता है। पीसकर इसका पाउडर ज्यादा दिन रखने से खराब हो जाता है। इसलिए आवश्यकतानुसार ही इसका पाउडर बनाएं।
– अलसी पाउडर, मधु, खोपराचूरा, मिल्क पाउडर व सूखे मेवे मिलाकर सेवन करने से कमज़ोरी दूर होती है।
– गेहूं के आंटे में 25 ग्राम अलसी पाउडर मिलाकर बनाई गई रोटी खाने से मधुमेह नियंत्रित होता है।
7. अंकुरित गेहूं

अंकुरित गेहूं में पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई पाया जाता है। यह पाचन के लिए उत्तम औषधि है, क्योंकि इसमें फाइबर मिलता है। इसे चबाकर खाने से शरीर की कोशिकाओं के विकार विदा हो जाते हैं और नई कोशिकाओं का विकास शुरू हो जाता है।
– अंकुरित गेहूं के नियमित प्रयोग से बाल व त्वचा में चमक आती है। किडनी, तंत्रिका तंत्र व ग्रंथियाँ मज़बूत होती हैं। यह शरीर की अतिरिक्त वसा को भी समाप्त करता है।
– मेटाबॉलिज़्म रेट बढ़ाने के लिए भी अंकुरित गेहूं का सेवन किया जाता है। यह विषैले तत्वों को प्रभावहीन कर ख़ून को शुद्ध करता है।