बाज़ार में आजकल विषाक्त फलों और सब्ज़ियों की भरमार है। ज्यादा मुनाफा के चक्कर में ग्राहकों को बीमारियां बांटी जा रही हैं। ये बीमारियां बांटने वालों को शायद यह नहीं पता कि समाज में बीमारियां फैलेंगी तो उनके परिवार भी इससे बच नहीं पाएंगे। जिस दिन समाज बीमार होगा, देश का स्वास्थ्य ख़तरे में पड़ जाएगा। लेकिन भविष्य के ख़तरे की अनदेखी कर कुछ फल व सब्ज़ी उत्पादक व व्यापारी इनमें जाने-अनजाने ज़हर घोल रहे हैं। वह ज़हर धीरे-धीरे हमारे शरीर में एकत्रित हो रहा है।
विषाक्त फलों और सब्ज़ियों का बढ़ता बाज़ार
बाज़ार में धड़ल्ले से बिक रही इन चीजों के ज़हरीली होने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी चिंता ज़ाहिर कर इन आशंकाओं की तस्दीक कर दी है। सब्ज़ी, फल, अनाज, दूध व दवा में मिलावट से लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। सब्ज़ियां ताज़ी लगे, इसके लिए उन्हें रंग-रोगन कर बाज़ार में उतारा जा रहा है, ये रंगी हुई हरी सब्ज़ियां लीवर, आंत व किडनी पर बुरा प्रभाव तो डालती ही हैं, साथ ही महिलाओं को बांझ व पुरुषों को नपुंसक भी बना रही हैं। इनका दुष्प्रभाव ये है कि पहले की अपेक्षा रोगों व रोगियों की संख्या में बड़ी बढ़ोत्तरी हुई है।
इसके अलावा सब्ज़ियों की जल्दी वृद्धि के लिए रसायनों के प्रयोग के साथ ही ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाया जाता है, यह इंजेक्शन अधिक दूध के लिए गाय-भैंस को भी लगाया जाता है। ये सब्ज़ियां व दूध हमें स्वास्थ्य देने की जगह बीमार बना रहे हैं। साथ ही रसायनयुक्त, सिंथेटिक दूध और दूध में यूरिया व डिटर्जेंट की मिलावट हमें असमय ही रोगों का शिकार बना रही है।
क्या है ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन?
ऑसीटोसिन इंजेक्शन इतना गर्म होता है कि गाय-भैंस का दूध उतारने के लिए लगाया जाता है। यदि इसे डिलेवरी पीरियड में महिला को दे दिया जाए तो उसे तुरंत दर्द शुरू होकर डिलेवरी हो जाती है। इसका उपयोग अब सब्ज़ियों की जल्दी वृद्धि के लिए किया जाने लगा है। इसे लगाने के बाद रातों-रात सब्ज़ियां तैयार हो जाती हैं। जो लौकी शाम को बतिया होगी वह सुबह दो किलो की लंबी लौकी हो जाएगी। आप समझ सकते हैं कि यह कितना घातक है। यह कैंसर जैसे रोगों को जन्म दे रहा है। इसकी वजह से लड़कियों में असमय जवानी के अंकुर फूटने, युवाओं में स्वप्नदोष व नपुंसकता आदि की समस्या उत्पन्न हो रही है। साथ ही इससे आखों की रोशनी कम होने, मोटापा, ब्लडप्रेशर, हाइपरटेंशन व हृदय रोग आदि की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। इस इंजेक्शन पर प्रतिबंध है, फिर भी यह बाज़ार में धड़ल्ले से बिक रहा है।
रंगी हुई सब्ज़ियां व फल
सब्ज़ियों को हरे रंग का बनाने में मेलेकाइड ग्रीन (कपड़ा रंगने का रसायन) का प्रयोग किया जाता है। यह रसायन लीवर, आंत, किडनी सहित पूरे पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। मेलेकाइट ग्रीन का अधिक सेवन पुरुषों को नपुंशक और महिलाओं का बांझ बनाने के साथ ही कैंसर का कारक बन रहा है। फलों को लाल करने में भी रसायन का प्रयोग किया जा रहा है।
मिलावट का स्तर 40 फीसद से ऊपर
खाद्य पदार्थों में मिलावट का स्तर 40 प्रतिशत से ऊपर चला गया है। यह बात हम नहीं राज्य खाद्य एवं अपमिश्रण विभाग की रिपोर्ट कह रही है। पिछले दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने ख़ुद स्वीकार किया है कि खाद्य पदार्थों में मिलावट का स्तर काफी ऊपर तक पहुंच सका है।
पर हम कुछ कर नहीं सकते
अफ़सोस है कि जानने के बाद भी हम कुछ कर नहीं सकते। बड़े-बड़े चिकित्सक भी यह बात जानते हैं कि लेकिन वे घर पर सभी सब्ज़ी व फल नहीं उगा सकते और मजबूरी में उन्हें बाज़ार पर निर्भर रहना पड़ता है। जान-बूझकर हम यह ज़हर ले रहे हैं। इस पर तब तक रोक नहीं लग सकती, जब तक राज्य खाद्य एवं अपमिश्रण विभाग व स्वास्थ्य विभाग कड़े कदम नहीं उठाता। हम ऐसे विषाक्त फलों और सब्ज़ियों के जरिये धीमा ज़हर लेते रहेंगे और बीमारियों को निमंत्रण देते रहेंगे।