आते-जाते रास्ते में कहीं भी शिरीष वृक्ष के फूलों की भीनी-भीनी खुशबू आपका ध्यान खींच सकती है। इसके पेड़ बड़े होते हैं और पत्ते इमली के पत्तों जैसे होते हैं। बरसात में इसपर सुंदर सफेद, लाल या पीले फूल लगते है, ठंडी आते-आते फलियां लग जाती हैं। यह केवल सुगंध व सौंदर्य ही प्रदान नहीं करता बल्कि त्रिदोषशामक है। इसके पत्ते, छाल, बीज, फूल व जड़ में चमत्कारी र्औषधीय गुण विद्यमान हैं। आज उन्हीं गुणों के बारे में हम आपसे चर्चा करेंगे।
शिरीष वृक्ष के औषधीय लाभ
Albizia Lebbeck Health Benefits in Hindi
आंखों का दर्द
– शिरीष के पत्तों का काजल आंखों के सब प्रकार के रोग दूर करने में समर्थ है। काजल बनाने के लिए इसके पत्तों का रस निकालकर उसमें एक कपड़ा भिगोकर सुखा लें। ऐसे ही तीन बार भिगोएं और सुखाएं। उस कपड़े बत्ती बनाकर चमेली के तेल में जलाकर काजल बना लें। आंखों में प्रतिदिन इस काजल को लगाने से आंखों के सब प्रकार के रोगों में लाभ होता है।
– आंखों के दर्द के लिए शिरीष के पत्तों का रस निकाल लें और इसे आंखों में काजल की तरह लगाएं।
– आंखों के फूला व मांडा के लिए शिरीष के बीजों की मींगी तथा खिरनी के बीज का कुछ भाग लेकर पीस लें और इसे पानी मे उबाल लें। अब इसे शिरीष के पत्तों के रस में मिलाकर घोंटें। अब इसकी छोटी-छोटी गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। इन गोलियों को स्त्री के दूध में घिसकर आंखों में लगाने से आंखों का फूला व मांडा चला जाता है।
– इसके पत्तों की लुगदी बनाकर बंद आंखों पर कुछ देर रखने से आंखों की लाली या किसी भी समस्या में लाभ होता है।
चेहरे के दाग, धब्बे, मुंहासे
चेहरे पर निखार लाने तथा चेहरे के दाग, धब्बे, मुहांसे को दूर करने के लिए शिरीष के फूलों का पेस्ट लाभप्रद है। इसके फूलों को पीसकर प्रतिदिन चेहरे पर लगाएं। यह प्रयोग नियमित एक माह तक करने पर चेहरे पर निखार आता है तथा दाग, धब्बे, मुंहासे आदि खत्म हो जाते हैं।
दांत व मसूढ़ों के रोग
दांत व मसूढ़ों के रोग में शिरीष वृक्ष की जड़ का काढ़ा बहुत ही लाभप्रद है। इसकी जड़ का काढ़ा बनाकर गरारा करने तथा इसकी जड़ का चूर्ण बनाकर मंजन करने से दांत व मसूढ़े मजबूत होते हैं। दांत व मसूढ़ों के सभी लोगों में यह लाभप्रद है। पायरिया में शिरीष की छाल का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से बहुत लाभ होता है तथा मसूढ़ों से खून निकलना बंद हो जाता है।
कुष्ठ रोग
शिरीष के पत्तों व बीजों में कुष्ठ रोग को नष्ट करने की क्षमता है। पंद्रह ग्राम शिरीष के पत्ते के साथ दो ग्राम काली मिर्च मिलाकर पीस लें। इसका नियमित चालीस दिन तक सेवन करने से कुष्ठ रोग नष्ट होता है।
– कुष्ठ प्रभावित अंगों पर शिरीष के बीजों का तेल प्रतिदिन लगाने से कुष्ठ कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है। इस तेल से कुष्ठ के कीड़े तो मरते ही हैं, अन्य त्वचा रोगों में भी लाभ होता है।
कब्ज़
कब्ज़ से परेशान हैं तो शिरीष के दस ग्राम बीज व पांच ग्राम हरड़ लेकर उसका चूर्ण बना लें, इस चूर्ण में दो चुटकी सेंधा नमक मिला दें। प्रतिदिन रात को खाना खाने के बाद एक चम्मच यह चूर्ण लेने से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है।
पेट के कीड़े
पेट में यदि कीड़े हैं तो शिरीष वृक्ष आपकी मदद करेगा। शिरीष की छाल दस ग्राम लें और उसे आधा लीटर पानी में उबालें। जब पानी 100 मिलीलीटर रह जाए तो छानकर पी जाएं। इस प्रयोग से दस्त होगा और दस्त के साथ पेट के कीड़े बाहर आ जाएंगे।
शीतपित्ती के दानें
यदि शीतपित्ती के दानें निकले हों तो शिरीष के फूलों को पानी के साथ पीसकर दानों पर लगाएं तथा इसके फूलों को पीसकर चटनी बना लें, एक चम्मच चटनी को एक चम्मच मधु के साथ सेवन करें। इससे शीतपित्त ठीक होगा और दानें नष्ट हो जाएंगे।
त्वचा रोग
दाद, खाज, खुजली, जख्म आदि सभी प्रकार के त्वचा रोगों में सफेद शिरीष की छाल पीसकर लगाने से लाभ होता है। इसके पत्तों की पोटली बनाकर फोड़े- फुंसियों व सूजन वाले स्थान पर बांधने से लाभ मिलता है। गर्मी में फोड़े-फुंसी व पित्त के सूजन पर इसके फूलों का लेप लगाने से आराम मिलता है। इसके बीज का उपयोग करने से त्वचा की अर्बुद व गांठ खत्म होती है।
अन्य प्रयोग
– शिरीष वृक्ष की छाल का काढ़ा जलोदर के रोगी को पिलाने से पेट का पानी पेशाब के रास्ते बाहर आ जाता है।
– कान के दर्द में शिरीष के पत्तों का रस गर्म करके उसमें थोड़ी हींग मिलाकर कान में डालने से लाभ होता है।
– शिरीष वृक्ष के पांच ताजे फूलों या बीजों को रुमाल में लपेटकर सूंघने से सिर का दर्द चला जाता है।
– थूहर के दूध के साथ शिरीष के बीजों को पीसकर लगाने से या केवल शिरीष के फूलों को ही पीसकर लगाने से जहरीले कीड़े का विष उतर जाता है।
– पेशाब में जलन हो तो दस ग्राम शिरीष के पत्तों को पानी में घोटकर मिश्री मिलाकर सुबह-शाम पीने से जलन समाप्त हो जाएगी।
– प्रतिदिन सुबह-शाम घी के साथ शिरीष की छाल का एक से तीन ग्राम चूर्ण खाने से रक्त साफ होता है और शरीर की शक्ति में वृद्धि होती है।
– शिरीष के बीजों को मिट्टी की हंडिया में जलाकर राख बना लें और सरसो के तेल या देशी घी में मिलाकर खुजली या एक्जिमा पर लगाने से लाभ होता है।
– शिरीष के बीजों को पीसकर लगाने पर पाइल्स के मस्से सूख जाते हैं।
– माहवारी के दौरान दर्द हो तो माहवारी शुरू होने से चार दिन पहले शिरीष की दस ग्राम छाल लें और उसे दो सौ ग्राम पानी में मिलाकर काढ़ा बनाकर पीयें। माहवारी शुरू होने पर इसे बंद कर दें।
– एक भाग शिरीष के बीज, दो भाग अश्वगंधा व एक भाग मिश्री मिलाकर सुबह-शाम लेने से कमजोरी दूर होती है।
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