हम सभी रावण के पुष्पक विमान के बारे में जानते हैं। यह वह विमान था जो उसने धन-सम्पत्ति के देवता कुबेर से प्राप्त किया था। बहुत वर्षों तक कइयों ने इसे मिथक मानकर हमारे ऋषि मुनियों और उनके ज्ञान का अनादर किया। उनकी बंद आँखें खुलने का समय आ गया है। अभी अफ़गानिस्तान जो कभी भारत वर्ष का हिस्सा था, वहाँ एक 500 साल पुराना विमान मिला है। यह सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि यह विमान महाभारत काल का हो सकता है। आइए इस महाभारत काल के विमान की जानकारी लेते हैं…
महाभारत काल के विमान
प्रमुख साइट Wired.com की एक रिपोर्ट के अनुसार एक 5000 साल पुराने भारतीय विमान को अफ़गानिस्तान की एक गुफ़ा में देखा गया है। यह विमान एक टाइम वेल में सुरक्षित अथवा फंसा हुआ है। टाइम वेल एक इलेक्ट्रॉन मैग्नेटिक रेडिएशन ग्रैविटी फ़ील्ड Electron Magnetic Radiation Gravity Field जैसा होता है, इसके बारे सबसे पहले अल्बर्ट आइंस्टाइन Albert Einstein ने यूनिफ़ाइड फ़ील्ड थ्योरी Unified Field Theory में लिखा था। इस फ़ील्ड के प्रभाव में आने वाला जीव अदृश्य हो जाता है।
इस विमान को महाभारत काल का माना जा रहा है और इसकी डिज़ाइन का विवरण महाभारत और अन्य प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। महाभारत काल के विमान को अफ़गान की गुफा से निकालने की कोशिश की जा रही है, लेकिन दुर्भाग्य वश सही इस कार्य में लगे सोल्जर्स गायब हो गये या फिर मारे गये।
21 दिसम्बर 2010 को रशियन फ़ॉरेन इंटेलिजेंस सर्विस Russian Foreign Intelligence Service (RFIS) ने अपनी सरकार को जो रिपोर्ट दी थी उसके अनुसार यह फ़्लाइंग मशीन महाभारत काल का विमान है। जिसका इंजन शुरु होने के साथ ही यह अत्यधिक प्रकाशमान हो जाता है।
रूसी रिपोर्ट बताती है कि महाभारत काल के विमान या फ़्लाइंग मशीन में चार मज़बूत पहिए हैं और विमान प्रज्ज्वलन हथियारों से लैश है। यह विमान अन्य घातक हथियारों का प्रयोग करने में भी सक्षम बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि हथियार अगर किसी लक्ष्य पर केंद्रित करके चलाए जायें तो लक्ष्य भस्म हो जाता है। यह प्रागैतिहासिक काल की मिसाइल्स हैं।
अमेरिका वैज्ञानिकों के दल ने जब इसे निकालने का प्रयास किया तब टाइम वेल सक्रिय हो गया है और इसके साथ पास खड़े आठ सोल्जर्स गायब हो गए।
टाइम वेल की डिज़ाइन गैलेक्सी की तरह स्पाइरल होती है, अगर कोई जीव इसकी परिधि में प्रवेश कर जाये तो वह अदृश्य हो जाता है।
रूसी रिपोर्ट के अनुसार टाइम वेल 5 अगस्त को दुबारा सक्रिय हुआ, जिससे 40 सिपाही और प्रशिक्षित जर्मन शेफ़र्ड कुत्ते इसकी चपेट में आ गए।
संस्कृत भाषा में विमान मात्र फ़्लाइंग मशीन के आकार का नहीं होता है, यह किसी मन्दिर या महल की आकृति का भी हो सकता है।
चीन भी इस काम में लगा हुआ है। उसने ल्हासा और तिब्बत में कुछ संस्कृत विमान से सम्बंधित अभिलेख खोज निकाले थे, जिन्हें चंडीगढ़ विश्वविद्यालय को अनुवाद के लिए भेजा गया था।
डॉ० रूथ रैना बताती हैं कि ये अभिलेख अंतरतारकीय अंतरिक्ष विमानों Interstellar Spaceships के निर्माण से सम्बंधित हैं।
ये बातें प्राचीन भारतीय ज्ञान विज्ञान और तकनीक से जुड़े ऐसे साक्ष्य हैं जो आज कइयों के दिमाग़ की धूल झाड़ सकते हैं।
इन अभिलेखों से जो साक्ष्य मिल रहे हैं वे प्राचीन सभ्यताओं द्वारा आकाश में उड़ने वाली फ़्लाइंग मशीनों के रहस्य से पर्दे उठा रही हैं।
छत्तीसगढ़ में 10,000 साल पुरानी गुफ़ा में यूएफ़ओ के भित्तिचित्र यहाँ देखें।
महाभारत काल के विमान पर वीडियो –

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