सभी माँ-बाप चाहते हैं कि वे कम से कम एक बच्चे के माता-पिता बनें और उसका पालन पोषण करें। माता-पिता बन भी गए और एक समय बीत जाने के बाद जब बच्चा न खड़ा हो सके और न ही अपने पैरों पर चल सके तो चिंतित होना लाज़मी है। क्योंकि यदि बच्चा अपने पैरों पर खड़ा नहीं हुआ तो माता-पिता के सारे सपने चकनाचूर होने लगे।
बच्चों का देर से चलना
आमतौर पर छह माह में बच्चे बैठना शुरू कर देते हैं और एक साल से ऊपर होते-होते अपने पैरों पर खड़ा होना और धीरे-धीरे चलना शुरू कर देते हैं। लेकिन जब एक साल बीत जाए, दो साल बीत जाए और धीरे-धीरे पाँच साल बीत जाए और बच्चा बकइया ही चलता रहे तो माता-पिता के सामने एक गंभीर संकट उपस्थित हो जाता है। इसका अन्य पैथियों में इलाज है या नहीं लेकिन होम्योपैथिक में बहुत ही कारगर इलाज है जो दो पुड़िया में ही बच्चे की यह समस्या दूर कर देता है, आज हम उसी दवा के बारे में आपसे चर्चा करेंगे।
क्या है दवा
बच्चों का देर से चलना बिल्कुल नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। एक व्यक्ति के बच्चे के साथ यह समस्या थी। एक साल का जब वह हुआ तो उसके दाँत निकलने लगे। उस समय उसे अत्यधिक दस्त हुए थे। इसके अलावा उसकी कोई बीमारी माता-पिता को याद नहीं थी। उसकी उम्र पाँच साल हो गई लेकिन न तो वह खड़ा होता था और न ही चलता था। कभी-कभी मेज या चारपायी का पाया पकड़कर खड़ा हो जाता था, बस इतना ही था। बाक़ी जब चलता था तो बकइया ही चलता था, घिसट कर। यह देख माँ-बाप को बड़ी निराशा होती थी। एकलौता बेटा था। उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण चिकित्सा संस्थानों में उसका इलाज कराया, जहाँ किसी ने बताया, थोड़ी भी संभावना नज़र आई तो वहाँ गए। लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ। उन्हें किसी ने सलाह दी कि एक बार किसी अच्छे होम्योपैथिक चिकित्सक को भी दिखा लीजिए।
उन्होंने एक बड़े होम्योपैथिक चिकित्सक को दिखाया। चिकित्सक ने उसका लक्षण देखा, पूरी हिस्ट्री पूछी लेकिन माता-पिता को उसे दाँत निकलने के समय हुए दस्त के अलावा कुछ याद नहीं था। एक बात तो साफ़ थी कि बच्चे पैर में जान नहीं जा रही है, उसमें ताक़त नहीं लग रही है। नसों का कनेक्शन पैरों से कट गया है। उन्होंने उसे केल्केरिया कार्ब 1000 की दो पुड़िया दी थी। दवा उन्होंने सुबह 11 बजे दी थी और शाम 5 बजे माता-पिता ने खुशी-खुशी आकर चिकित्सक को बताया कि उनका बच्चा चलने लगा है। यह होम्योपैथिक की ताक़त है। उस दवा ने नसों का कनेक्शन पैरों से जोड़ दिया, पैरों में जान जाने लगी और बच्चा चलने में समर्थ हो गया।
Keywords – Bachche Ka Der se Chalna