हैजा रोग या कालरा में अचानक उल्टी व दस्त दोनों होने लगता है। तत्काल इलाज न होने पर शरीर धीरे-धीरे ठंडा पड़ने लगता है और मरीज़ पर मृत्यु का ख़तरा मंडराने लगता है। यह रोग गर्मियों में अधिक होता है। शुरू में हल्के पलते दस्त के साथ उल्टी होती है और कमज़ोरी मालूम पड़ती है। इसके बाद तेज़ दस्त की आवृत्ति बढ़ती है और आंखें भीतर की ओर धंसने लगती हैं। यदि ध्यान नहीं दिया गया तो दस्त व उल्टी और तेज़ हो जाती है तथा शरीर ठंडा पड़ने लगता है। पेशाब बंद हो जाता है।
हैजा रोग के कारण
इसका मूल कारण अनियमित, दूषित व ज़रूरत से ज़्यादा खान-पान माना जाता है। खाली पेट रहने से गर्मियों में लू लग जाती है, इसकी वजह से भी हैजा हो जाता है। अजीर्ण, बदहज़मी भी इसका एक कारण है।

हैजा के लक्षण
– हैजा रोग में उल्दी-दस्त की आवृत्ति कई बार होती है। शरीर में पानी कम हो जाता है।
– प्यास अधिक लगती है और पेशाब कम या बंद हो जाता है।
– तत्काल कमज़ोरी आ जाती है, आंखें धंस जाती हैं और हाथ-पैरों में अकड़न शुरू हो जाती है।
– शरीर में ऐंठन, दर्द, बेचैनी शुरू हो जाती है।
– होंठ, दांत व नाखून काले पड़ने लगते हैं।
तत्काल करें ये उपाय
– हैजा के रोगी को ठंडा पानी कतई न पिलाएं।
– जब प्यास लगे तो सौंप या पुदीना का रस बहुत कम मात्रा में पिलाया जा सकता है।
– यदि पानी पिलाना अति आवश्यक हो तो पानी उबालें और जब उसका सोलहवां भाग बचे तो आग से उतार कर ठंडा होने पर थोड़ी-थोड़ी देर में एक-एक चम्मच पिलाएं। बर्फ भी चुसाया जा सकता है।
– कोशिश करनी चाहिए कि रोगी का शरीर ठंडा न होने पाए, इसके लिए शीशे की बोतल में हल्का गर्म पानी भरकर उसके दोनों पैरों के बीच में रखें।
– रोगी के कमरे में कपूर का दीपक जलाएं और उसे कपूर सुंघाएं।
– सरसों के तेल में कपूर मिलाकर उसके हाथ-पैरों में मालिश करें।
– रोगी को स्वच्छ स्थान पर रखें जहां सूर्य की रोशनी व शुद्ध हवा मिल सके।
हैजा में औषधीय प्रयोग
– शरीर ठंडा होने लगे तो हाथ-पैरों में सोंठ का चूर्ण मलें और मधु में कपूर, कस्तूरी व मकरध्वज मिलाकर चटायें।
– राई पीसकर पेट पर लगाने से उल्टी बंद हो जाती है।
– हैजा में रोगी को नींबू पानी या पानी में नारियल पानी मिलाकर पिलाना चाहिए, ताकि उल्टी के साथ दूषित चीजें बाहर निकल जाएं।
– पानी में लौंग उबालकर पिलाने से तत्काल आराम मिलता है और हैजा ठीक हो जाता है।
– तुलसी की पत्ती व काली मिर्च पीसकर चटाने से हैजा ठीक होने लगता है।
– प्याज व नींबू का रस गर्म पानी में मिलाकर पिलाने से आराम मिलता है और धीरे-धीरे हैजा ठीक हो जाता है।
– हैजा रोग जब तक पूरी तरह ठीक न हो जाए नींबू-पानी पिलाते रहना चाहिए।
– नीले रंग के शीशे की बोतल में जल भरकर धूप में गर्म कर लें और उसमें से 28 मिली पानी में नींबू का रस मिलाकर हर पांच-दस मिनट पर पिलाएं। यह क्रिया तब तक करें जब तक उल्टी-दस्त बंद नहीं हो जाता।
– दस्त व उल्टी रोकने के लिए लालमिर्च, अजवाइन, शुद्ध कपूर, शुद्ध अफीम और शुद्ध कुचला बराबर-बराबर मात्रा में लेकर उसे जल योग से चने के बराबर गोली बना लें। रोगी को 1 से 3 गोली ठंडे पानी के साथ दें। -हैजा में पेशाब बंद हो सकता है। इसे खोलने के लिए 5 ग्राम शुद्ध पारद, 5 ग्राम शुद्ध गंधक खरल में कज्जली कर लें। उसमें 30 ग्राम असली जवाखार (यवक्षार) मिलाकर पुन: खरल करें। इसे आधा से एक ग्राम तक मिश्री के साथ ठंडे पानी से दें।
– पेट के निचले हिस्से पर मिट्टी का लेप लगाने, बर्फ घुमाने, कटि स्नान व मेहन स्नान से भी पेशाब खुल जाता है।
रोगी को क्या खिलाएं
– हैजा के रोगी को रोग के दौरान फल के अलावा खाने को कुछ न दें।
– रोगी को आराम मिलने पर मूंग की दाल से रोटी का छिलका दिया जा सकता है।
– पुदीने की चटनी, दलिया, पतली खिचड़ी व अजवाइन का रस देना चाहिए।
– हैजा रोग ठीक होने के 48 घंटे तक रोटी नहीं देनी चाहिए।
हैजा की रोकथाम
– कभी बदहज्मी हो तो तत्काल इलाज कराएं।
– गंदे तथा भीड़ वाले स्थानों पर भोजन न करें।
– बासी, सड़े-गले व खुले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
– ऐसे नल का पानी न पिएं जिसके आसपास गंदगी हो।
– गर्मी में धूप व लू से बचकर रहें।
– भोजन आवश्यकता से ज्यादा न करें और कोशिश करके सादा भोजन का ही सेवन करें। भोजन करने के दौरान पानी पीने से बचें।
– भोजन के साथ प्याज, पुदीना, नींबू, पकी इमली का सेवन करें।
– रात को अधिक जागने व ज्यादा काम करने से भी बचना चाहिए।
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