दाद, खाज, खुजली को जड़ से मिटाएं

दाद, खाज, खुजली एक गंभीर चर्म रोग है। यदि समय से इस पर ध्‍यान नहीं दिया गया तो यह त्‍वचा पर अपनी जड़ें जमा लेता है और कितना भी एंटी फ़ंगल क्रीम लगाएं, ठीक होने के कुछ दिन के बाद पुन: हो जाता है। खासतौर से गुप्‍तांगों के आसपास यह तेज़ी से फैलता है। जब दाद के बाद काले निशान पड़ जाते हैं तो उसे एक्ज़िमा कहते हैं।

दाद, खाज, खुजली

दाद, खाज, खुजली के कारण

रसायनिक चीज़ों – साबुन, चूना, सोडा, डिटर्जेंट आदि का ज़्यादा प्रयोग, कब्‍ज़, रक्‍त विकार, महिलाओं में मासिक धर्म की गड़बड़ी और किसी दाद, खाज, खुजली वाले व्‍यक्ति के कपड़े पहनने से यह रोग हो सकता है।

लक्षण

इस रोग में त्वचा पर छोटे-छोटे लाल दाने निकल आते हैं, इनमें खुजली होती है और खुजलाने के बाद जलन होती है। बाद में ये दाग़ के रूप में फैलने लगते हैं। यदि पूरे शरीर में एक्ज़िमा हो गया है तो बुखार भी आ सकता है।

बचाव

– जिन्‍हें दाद, खाज, खुजली हो गई है उन्‍हें सबसे पहले चाहिए कि नहाते वक़्त साबुन, शैंपू आदि का इस्‍तेमाल बंद कर दें। यदि ज़रूरी हो तो नहाने में ग्लिसिरीन सोप का इस्‍तेमाल करें। नहाने के बाद नारियल का तेल लगाएं।

– यदि पुराना दाद, खाज, खुजली है तो एंटी फ़ंगल क्रीम का प्रयोग कुछ दिनों तक लगातार करें, आमतौर पर लोग एंटी फ़ंगल क्रीम लगाते हैं और थोड़ा ठीक होने पर लगाना बंद कर देते हैं, इससे दाद और ज़िद्दी हो जाता है।

– कपड़े साफ़ करते वक्‍त अच्‍छी तरह धुल लेना चाहिए, उसमें डिटर्जेंट का थोड़ा सा भी अंश नहीं होना चाहिए। पूरी तरह सूख जाने के बाद ही पहनें।

– एक्ज़िमा में समुद्र के पानी से नहाना श्रेयष्‍कर है।

– नमक का सेवन बंद कर दें, यदि ज़रूरी हो तो बहुत कम मात्रा में नमक लें।

– पानी में नीम के पत्‍तों को उबाल कर स्‍नान करने से आराम मिलता है और एक्ज़िमा के कीटाणु नष्‍ट हो जाते हैं।

– दाद, खाज, खुजली में खट्टे, चटपटे व मीठी चीज़ों के सेवन से बचें।

– यदि खुजलाने के बाद उसमें से पानी निकलता है या पसीजता है तो उसपर पानी का प्रयोग न करें।

उपचार

– अनार के पत्‍तों को पीसकर लगाने से दाद ठीक हो जाता है।

– दाद को पहले खुजला लें और फिर उसपर नींबू का रस लगा दें। दिन में तीन-चार बार ऐसा करने से कुछ ही दिनों दाद चला जाता है।

– केले का गूदा मसलकर उसमें नींबू का रस मिला लें और दाद पर लगा दें, कुछ दिनों के नियमित प्रयोग से दाद समाप्‍त हो जाएगा।

– बथुआ की सब्‍ज़ी खाने व उसे उबालकर उसका रस निचोड़कर पीने से किसी भी प्रकार के चर्म रोग में लाभ मिलता है।

– गाजर को घिस लें और उसमें सेंधा नमक डालकर हल्‍का गरम कर लें, इसे दाद पर नियमित लगाने से दाद जड़ से चला जाता है।

– कच्‍चे आलू का रस पीने से दाद ठीक हो जाता है।

– सूखे सिंखाड़े को नींबू के रस में घिस कर लगाने से दाद, खाज, खुजली दूर हो जाती है। इसे लगाने पर पहले जलन होगी लेकिन बाद में ठंडा करता है।

अन्य उपचार

– हल्‍दी का लेप लगाने से भी दाद ठीक हो जाता है। इसे दिन में तीन बार और रात को सोते समय एक बार लगाएं।

– गर्म पानी में अजवाइन पीसकर लगाने या अजवाइन को पानी में मिलाकर धोने से दाद चला जाता है।

– नीम के पत्‍तों का रोज़ 12 ग्राम रस पीने से दाद ठीक हो जाता है।

– गुलकंद व दूध पीने से भी लाभ होता है।

– दाद, खाज, खुजली को जड़ से समाप्‍त करने के लिए नीम की पत्‍ती को दही के साथ पीसकर लगाया जाता है। यह बहुत ही कारगर औषधि है।

– गेंदे की पत्तियों को पानी में उबालकर प्रभावित जगह पर दिन में तीन-चार बार लगाएं। गेंदे के फूल में एंटी बैक्टीरियल व एंटी वायरल तत्व होते हैं जो चर्म रोग को दूर करने में सहायक होते हैं।

पकने वाला दाद
पका हुआ दाद

पकने वाले दाद के उपचार

त्रिफला को तवे पर रखकर राख होने तक गरम करें और उसके ऊपर एक कटोरी उल्‍टी करके रख दें ताकि उसका भाप या धुंआ बाहर न जाकर त्रिफला की भस्‍म में ही रम जाए। पूरी तरह जल जाने पर उसे उतार लें और मसलकर उसकी भस्‍म बना लें। भस्‍म में समान मात्रा में थोड़ी सी फिटकरी, वनस्‍पति घी, देशी घी, सरसो का तेल व पानी मिलाकर खरल में अच्छी तरह मर्दन करें। अब मलहम तैयार है। पकने वाले व स्राव युक्‍त दाद के लिए यह रामबाण औषधि है।

ज़िद्दी व रूखे दाद के उपचार

ज़िद्दी व रूखे दाद को जड़ से समाप्‍त करने के लिए समान मात्रा में पलाश के बीज, मुर्दाशंख, सफ़ेदा, कबीला, मैनशिल व माजु फ़ल लें, उसमें करंज के पत्तों का रस और नींबू का रस मिलाकर खरल में पूरे दिन मर्दन करें। इसके बाद इसकी गोली बनाकर सुखा लें और प्रभावित स्‍थान पर गुलाब जल के साथ घिसकर इसे लगाएं।

ज़िद्दी दाद के लिए घरेलू तेल

पचास ग्राम गंधक लेकर उसे पीस लें। लगभग 6-9 इंच चौड़े व 12- 18 इंच लंबे साफ़ सूती कपड़े में गंधक को फैलाकर अच्‍छे तरह से बेलनाकार रोल कर लें। फिर सूती धागे से इसे अच्‍छी तरह बांध दें। यह रस्‍सी के आकार को हो गया। इसे दो फुट ऊंची लकड़ी की छड़ी से बांध दें। अब इस गंधक वाली कपड़े की रस्‍सी में जितना सरसो का तेल सोख सके, उतना तेल लगाएं। अब उस रस्‍सी के नीचे एक बड़ी कटोरी रख दें और गंधक वाली कपड़े की रस्‍सी को नीचे से जला दें। उसके जलने से तेल टपक कर कटोरी में गिरेगा। जब रस्‍सी जलकर ख़त्म हो जाए या तेल गिरना बंद हो जाए तो कटोरी को हटा लें और उसे छानकर किसी कांच की शीशी में रख लें।

पुराने से पुराने दाद, खाज, खुजली पर इसके नियमित प्रयोग करने से रोग समाप्‍त हो जाता है। ध्‍यान रहे कि जब रस्‍सी जल रही हो तो उसके धुएं से दूर रहें तथा इस तेल को खुले घावों पर न लगाएं और न ही यह किसी तरह आंखों के संपर्क में आने दें।

– दाद को किसी मोटे व रूखे कपड़े से खुजलाकर उसपर यह तेल लगाएं और उसपर पीपल या केले का पत्‍ता रखकर पट्टी बांध दें। कुछ ही दिन के प्रयोग से ज़िद्दी दाद भी चला जाएगा।

– शरीर में खुजली से प्रभावित स्‍थानों पर यह तेल लगाकर उसे भांप से सेकें। यदि पूरे शरीर में खुजली हो तो यह तेल लगाकर धूप में बैठना चाहिए और एक घंटे बाद गर्म पानी से नहा लेना चाहिए।

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