डेंगू बुखार के बारे में सोचकर आज लोग डर जाते हैं। यह किसी माहमारी की तरह बढ़ रहा है। ज़रूरी सावधानी न बरतनें से इसका प्रकोप बढ़ता है। पूरी दुनिया में हर साल डेंगी से मरने वालों की संख्या हज़ारों में है। डेंगी बुखार एडीस मच्छर के काटने से होती है। यह जानना ज़रूरी है कि एडीस मच्छर साफ़ पानी में पनपता है। पानी की टंकी, पानी के ड्रम या कूलर के पानी में यह मच्छर अंडे देकर अपनी आबादी को बढ़ता है।
डेंगू बुखार में क्या करें
डेंगी बुखार के समय मरीज़ के खून में प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है। साथ-साथ ब्लड की कमी भी हो जाती है। यह बुखार कोई बड़ी बीमारी नहीं है, इसलिए किसी को इससे घबराने की ज़रूरत नहीं है। इस लेख में डेंगू बुखार के लक्षण और घरेलू इलाज की जानकारी दी रही है।
डेंगू बुखार के लक्षण
डेंगी बुखार के लक्षणों को पहचानकर हम समय पर इस बीमारी का इलाज शुरु कर सकते हैं और जल्दी से ठीक हो सकते हैं।
– डेंगू बुखार बहुत तेज़ आता है, तेज़ सर दर्द होता है, मांसपेशियों और जोड़ों में भयानक दर्द होता है। इसके अलावा शरीर में लाल चकते पड़ने लगते हैं, यह पैरों से शुरु होकर छाती तक फैल जाते हैं, फिर पूरे शरीर में भी पड़ सकते हैं।
– पेट ख़राब होना, पेट दर्द होना, कमज़ोरी महसूस होना, दस्त आना, चक्कर खाना और भूख कम लगना भी डेंगू बुखार के लक्षण हैं।
डेंगू बुखार होने के कारण
किसी डेंगू मरीज़ को जब कोई मच्छर काट लेता है, तो डेंगी वायरस उसमें पहुंच जाता है। जब डेंगी मरीज़ को काटने वाला मच्छर किसी दूसरे व्यक्ति को काटता है, तो उसे भी डेंगू बुखार हो जाता है।
डेंगू बुखार से बचाव के उपाय
डेंगू बुखार से कैसे बचें इसकी सही जानकारी होने पर हम इससे बच सकते हैं। डेंगी बुखार की रोकथाम के लिए हमें मच्छरों के काटने से बचें और मच्छरों की संख्या को बढ़ने को नियंत्रित करें।
– मच्छरों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशक फ़ॉगिंग की जाती है। इससे साथ ही मच्छरों को काटने का कोई मौका नहीं देना चाहिए। एडीज़ प्रजाति के मच्छर दिन में प्राय: सुबह और शाम को काटते हैं।
– पूरे कपड़े पहनकर रहना चाहिए और सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए।
– घर के अंदर पानी जमा न होने दें और पीने के पानी को सदा ढककर रखें।
– साफ-सफाई का ध्यान भी रखना ज़रूरी होता है।
– घर में मच्छर भगाने के क्वाइल, आलाउट या प्राकृतिक उपाय करने चाहिए।
– तुलसी के पौधे खिड़की और दरवाज़े के पास रखने से मच्छर कमरों में नहीं आते हैं।
डेंगू बुखार का आयुर्वेद उपचार
– प्लेटलेट्स की घटती संख्या को बढ़ने के लिए एलो वेरा, गिलोय, गेहूं के ज्वारे का रस और पपीते के पत्ते का रस पीना चाहिए। गिलोय उबालकर उसका पानी दिन में तीन बार पीने से डेंगी ठीक हो जाता है।
– गिलोय का रस घी या शहद में मिलाकर पीने से शरीर में खून की कमी को पूरा किया जा सकता है।
डेंगू बुखार का रामबाण इलाज
1 गिलास पानी में थोड़ी सी पिसी गिलोय और 5 पत्तियां तुलसी की डालकर उबाकर पिएं। साथ ही साथ तीन चम्मच एलो वेरा का रस पानी में मिलाकर पीने से आराम मिलेगा। पपीते का रस दिन में तीन बार पीने से प्लेटलेट्स की संख्या में इजाफा होता है।
यह उपाय डेंगू के साथ-साथ स्वाइन फ्लू और चिकनगुनिया में रामबाण इलाज साबित होता है।
डेंगू बुखार की होम्योपैथिक दवा
होम्योपैथिक दवा भी डेंगू बुखार उतारने में कारगर है। बताई गई दवाएं जानकारी के लिए हैं, आप डॉक्टरी सलाह से ही इनका प्रयोग कीजिए।
- Aconite 200
- Bryonia 200
- Arsenicum 200
- Dulcamara 200
- Bellodonna 200
Rhus Tox 200
इन दवाओं की एक-एक बूंद एक कप पानी में डालकर 1 घंटे बाद उसमें से 1 चम्मच पानी डेंगी के मरीज़ को पिलाएं। ये दवा शरीर में ख़ून बनाती है। बिना डॉक्टरी सलाह के इसका प्रयोग न करें।
आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाएं साइडइफ़ेक्ट नहीं देती हैं, लेकिन फिर भी डॉक्टरी सलाह से इनका प्रयोग करने पर जल्दी आराम आता है।
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