मधुमेह यानि डायबिटीज़ जानलेवा हो सकता है। सामान्य तौर पर यह रोग 40 की उम्र के बाद होता है। जब शरीर की व्यवस्था चीनी पचाने में अक्षम हो जाती है। अग्नाशय से इंसुलिन का स्राव कम होने लगता है, तो इस रोग की शुरुआत होती है। धीरे-धीरे कोलेस्ट्राल बढ़ने लगता है। शुगर के चलते आँख, गुर्दे, स्नायु, मस्तिष्क व हृदय रोगों का ख़तरा बढ़ जाता है। शुगर की मात्रा अधिक होने से लकवा मारने का भी भय रहता है। इसलिए मधुमेह का उपचार आवश्यक हो जाता है।
शुगर पचाने की शरीर की व्यवस्था
हम जो भोजन लेते हैं, उससे ग्लूकोज़ निकलता है। यह ग्लूकोज़ रक्त के साथ मिलकर नाड़ियों के माध्यम से हमारी कोशिकाओं तक पहुंचता है। दूसरी तरफ़ अग्नाशय से स्रवित होने वाला इंसुलिन भी रक्त के साथ मिलकर हमारी कोशिकाओं तक जाता है। यह इंसुलिन ही ग्लूकोज़ को पचाता है। इससे शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है। जब इंसुलिन का स्राव कम होने लगता है तो ग्लूकोज़ पचता नहीं और मधुमेह को जन्म देता है।
मधुमेह से हार्ट अटैक का ख़तरा
- मधुमेह के मरीज़ों में कम आयु में ही हार्ट अटैक की घटना देखने को मिली है। ये ठीक भी हो गए तो भी ख़तरा टलता नहीं, दूसरे हार्ट अटैक का भय सदैव बना रहता है।
- यदि मधुमेह के मरीज़ को एंजाइना है तो उसे साँस फूलने, चक्कर आने व हृदय गति असामान्य होने का डर बना रहता है।
- ग्लूकोज़ स्तर बढ़ जाने से रक्त में किरोन की मात्रा भी बढ़ जाती है। इससे अचानक शरीर में रक्त संचार कम हो जाता है और मरीज़ की मौत हो सकती है।
- मधुमेह के चलते ब्लडप्रेशर व हार्ट अटैक की आशंका बनी रहती है। इन तीनों मर्जों में घनिष्ठ संबंध है। इनमें से एक मर्ज हुआ तो दूसरे का ख़तरा बढ़ जाता है। सावधानी इसका बचाव है। नियमित जाँच कराते रहना चाहिए।
मधुमेह से बचाव
- नियमित आहार-विहार, व्यायाम, प्राणायाम ख़ासतौर से कपाल भारती प्राणायाम करते रहें। समय-समय पर जांच कराएं और चिकित्सक की सलाह लेते रहें।
- भोजन में जौ, चना, गेहूं, बाजारा, हरी सब्ज़ी, दही आदि का सेवन अधिक करें। आटे में दसवां भाग चने का आटा मिलाकर बनने वाली रोटी ज़्यादा लाभकारी है।
- सुबह धूप निकलने के पहले चार-पांच किलोमीटर टहलें और चीनी तथा चीनी वाले खाद्य पदार्थों से परहेज़ करें।
- जिनके शरीर का वज़न ज़्यादा है, वे कम करने का प्रयास करें। मैथुन वर्जित नहीं है, समय-समय पर मैथुन करते रहें, मैथुन भी एक तरह का व्यायाम है, अधिकता से बचें।
मधुमेह का उपचार
- मेथी का दाना एक गिलास गुनगुने पानी में रात को भिगो दें। सुबह उसे चबाकर खाएं और पानी को एक-एक घूंट करके पी लें। ऐसा करने से तीन माह में मधुमेह नियंत्रित हो जाता है।
- 15 बेल की पत्तियों को 30 ग्राम पानी में मिलाकर पीस लें और उसमें काली मिर्च के चार-पांच दाने पीसकर मिला दें। इसे साफ़ कपड़े से छान लें और सुबह-शाम नियमित सेवन करें।
- 6-7 बेल के पत्तों के साथ 29 श्याम तुलसी के पत्ते व 9 नीम की पत्तियां एक साथ मिलाकर अच्छे से पीस लें। इसे एक गिलास पानी के साथ लें। रोज़ दिन में एक बार करें।
उपरोक्त बातों को ध्यान में रखकर मधुमेह का उपचार और इससे बचाव किया जा सकता है।