गोरखमुंडी आँखों के लिए अमृत समान है। जाड़े में यह पौधा हरा-भरा हो जाता है, इसमें फूल व फल आते हैं। इसकी जड़, फूल व पत्ते सभी में औषधीय गुण विद्यमान हैं। संस्कृत में इसे श्रावणी महामुण्डी अरुणा, तपस्विनी तथा नीलकदम्बिका आदि कई नामों से जाना जाता हैं। इस तीखी गंध वाले गोरखमुंडी को बुद्धिवर्धक भी कहा गया है। बाज़ार में गोरखमुंडी का फल तो मिल जाएगा लेकिन इसकी जड़ या पौधा नहीं मिलता है। इसे खेत या झाड़-झंखाड़ से उखाड़ना पड़ता है।
गोरखमुंडी आँखों के लिए नहीं बल्कि
…अजीर्ण, टीबी, छाती में जलन, पागलपन, अतिसार, उल्टी, मिर्गी, दमा, पेट में कीड़े, कुष्ठरोग, विष विकार आदि की रामबाण औषधि है। गर्भाशय, योनि संबंधी बीमारियों, पथरी-पित्त, अधकपारी आदि रोगों से छुटकारा के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। सुजाक, प्रमेह आदि धातु रोग में इसका प्रयोग अत्यंत लाभकारी है। इसका सुबह-शाम प्रयोग करने से पीलिया अतिशीघ्र समाप्त हो जाता है। इसके सेवन से बाल अधिक समय तक काले रहते हैं। इसका नियमित प्रयोग आवाज़ को सुरीला बनाता है।
गोरखमुंडी से नज़र के चश्मे उतर जाते हैं
दूध के साथ गोरखमुंडी की जड़ का चूर्ण आधा चम्मच सुबह-शाम लेने चश्मा उतर सकता है। यदि नहीं भी उतरा तो नंबर कम हो जाएगा। इसके पौधे का रस निकालें और रस के अनुपात में एक चौथाई घी मिलाकर पका लें। जब केवल घी शेष रह जाए तो उतार लें। गोरखमुंडी आँखों के लिए बहुत लाभदायक है।
गुड़ व गोरखमुंडी मिलाकर गोली बनाकर सुबह-शाम एक-एक गोली गरम दूध या पानी से इसका नियमित सेवन किया जा सकता है। जितना गुड़ लें उसका दूना पिसी हुई गोरखमुंडी मिलाएं और गोली बना लें। गोली बनाने के लिए यदि आवश्यक हो तो थोड़ा पानी मिला लें। इसका निर्माण यदि लोहे या पीतल की कढ़ाही में करें तो अधिक उत्तम है।
गोली बनाने का एक और तरीका है। 300 ग्राम गोरखमुंडी पीसकर छान लें। 100 ग्राम बचाकर 200 ग्राम गोरखमुंडी को 500 ग्राम पानी मे उबालें। जब पानी आधा बचे तो छान लें। ठंडा होने तक प्रतीक्षा करें। उसके बाद हाथ से दबाकर उसका रस निचोड़ लें। इस रस को लोहे की कढ़ाही में 100 ग्राम गुड़ के साथ धीमी आंच पर पकाएं। जब शहद के समान गाढ़ा हो जाए तो उतार लें। ठंडा होने पर इसमें बची हुई 100 ग्राम पिसी हुई गोरखमुंडी मिलाकर रख लें। 50 ग्राम चीनी/मिश्री के साथ 10 ग्राम छोटी इलायची मिलाकर पीस लें और छानकर थाली में रख लें। अब हाथ में देशी घी लगाकर पकाई हुई औषधि की मटर के दाने के बराबर गोली बना लें और उस गोली को पिसी हुई चीनी-इलायची में डालकर मिला दें। 3 दिन छाया में सुखाने के बाद इसका नियमित सेवन करें। सुबह-शाम 1-1 गोली गरम दूध या गुनगुने पानी से लें।
इन गोलियोंं के सेवन से आंखें तो ठीक होंगी ही, थकान भी दूर भाग जाएगी। साथ ही कील, मुहांसे, फुंसी, गुर्दे के रोग, सिर के रोग आदि में लाभ मिलेगा। जन्हें पेशाब की समस्या है, लगता है कि पूरा पेशाब बाहर नहीं आ रहा है या ख़ून आता है तो उन्हें ठंडे पानी से इसका सेवन करना चाहिए। चाय पीने से परहेज़ करें।
गोरखमुंडी के लाभ और प्रयोग की विधियाँ
- गोरखमुंडी के चार ताज़े फल ख़ूब चबाकर पानी पी लें। इससे न तो आंखों की रोशनी कम होगी और न ही एक साल तक आंख लाल होगी।
- गंदा पानी पीने से होने वाला बाला रोग (नारू) गोरखमुंडी के पत्ते के लेप से ठीक हो जाता है।
- वात रोग के लिए गोरखमुंडी व सोंठ बराबर-बराबर मात्रा में लें। गोरखमुंडी का चूर्ण, घी व मधु में मिलाकर लेने से वात रोग समाप्त हो जाते हैं।
- कुष्ठ रोग में गोरखमुंडी का चूर्ण और नीम की छाल का काढ़ा सुबह-शाम पीने से लाभ मिलता है।
- गोरखमुंडी के बीजों का चूर्ण व समान मात्रा में शक्कर मिलाकर प्रतिदिन दो चम्मच ठंडे पानी से लेने से योनि का दर्द, फोड़े-फुंसी आदि बीमारियों में लाभ मिलता है तथा शरीर की स्फूर्ति बढ़ती है।
- गोरखमुंडी के पौधे उखाड़कर सुखा लें। उसे पीसकर घी व चीनी के साथ हलुआ बनाकर खाने से दिल, दिमाग व लीवर को ताकत मिलती है।
- गोरखमुंडी का काढ़ा पथरी की समस्या को दूर करता है।
- यौन शक्ति बढ़ाने के लिए गोरखमुंडी के पत्ते व जड़ के चूर्ण को गाय के दूध के साथ लिया जाता है।
- गोरखमुंडी की छाल विहीन जड़ का चूर्ण मट्ठे के साथ एक चम्मच रोज़ लेने से बवासीर जड़ से समाप्त हो जाता है। जड़ को सिल पर पीस कर उसे बवासीर के मस्सों में तथा कंठमाल की गाठों में लगाना लाभदायक होता है। इसके प्रयोग से पेट के कीड़े भी नष्ट हो जाते हैं।
इस प्रकार गोरखमुंडी आँखों के लिए लाभकारी होने के साथ अन्य रोगों के उपचार में भी काम आता है।