फलों-सब्ज़ियों के जूस का फ़ायदा किसी से छिपा नहीं है। बस इसके सेवन के तरीके में थोड़ा बदलाव कर असीमित शक्तियाँ प्राप्त की जा सकती हैं। यह भोजन से कई गुना ज़्यादा शक्ति प्रदान करता है और मोटापा जैसे रोग भी नहीं होते। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। ध्यान यह रखना चाहिए जिस अनाज, फल या सब्ज़ी का रस या जूस निकाल रहे हैं वह बासी न हो या ज़्यादा देर का कटा हुआ न रखा हो, अन्यथा उल्टा असर करेगा। काफ़ी पहले का निकाला हुआ जूस भी सेवन नहीं करना चाहिए। जूस यदि निकाल कर काफ़ी देर तक रख दिया जाए तो उसके एन्जाइम सक्रियता, थायमिन, रिबोफ्लेविन, एस्कार्बिक एसिड आदि उपयोगी तत्व नष्ट होने शुरू हो जाते हैं, साथ ही हानिकारक कीटाणु भी उसमें प्रवेश कर जाते हैं। हमेशा रस या जूस बैठकर धीरे-धीरे कप या गिलास से ही पीना चाहिए। जब पियें तो कोशिश करें कि ऊपरी होठ जूस में डूबा रहे, इससे वायु पेट में नहीं जाती।

फलों-सब्ज़ियों के जूस निकालने की विधि
जो फल या सब्ज़ियाँ ठोस हैं जैसे नाशपाती, गाजर, टमाटर, ककड़ी, आलू, अन्नानास, लौकी आदि, इनका रस निकालने के लिए अनेक प्रकार की मशीनें आती हैं। नींबू, संतरा, मौसमी आदि फलों का रस निकालने के लिए दूसरे तरह की मशीनें आती हैं। बिजली व हाथ से चलाने वाली दो तरह की मशीनें हैं, इनमें हाथ से चलाने वाली मशीन को रस निकालने के लिए ज़्यादा उपयोगी माना जाता है। सब्ज़ियों को कूटकर या कद्दूकस करके भी रस निकाला जाता है। रस निकलने के बचे हुए अपशिष्ट को फेंके नहीं, उसे आंटे में मिलाकर रोटी बना लें, यह कब्ज़ को दूर करेगा।
भोजन की जगह जूस कब पिएँ
– कुछ बीमारियों में यदि संभव हो तो भोजन नहीं लेना चाहिए, उसकी जगह रस या जूस ही लेना चाहिए।
– कब्ज़ ने यदि परेशान कर रखा है तो फल व सब्ज़ियों को कच्चा ही खाएं तथा लौकी, ककड़ी, टमाटर, गाजर, आंवला, पालक, छह घंटे भिगोया हुआ किसमिस, मुनक्का, अंजीर, गेहूं ज्वारा, नाशपाती, संतरा, आलू, सेव, करेला, पपीता या बेल जैसे फलों-सब्ज़ियों के जूस का लाभ लें।
– अजीर्ण अपच में खाना खाने से आधा घंटे पहले आधा चम्मच अदरक का रस लें। गाजर, चुकंदर, संतरा, ककड़ी अन्नानास का रस भी फ़ायदेमंद है।
– यदि उल्टी या मिचली आ रही है तो टमाटर, नींबू, अनार, संतरा, गाजर, चुकंदर का रस लाभ करेगा।
– पेट में गैस ज़्यादा बन रही है यानी एसीडिटी है तो लौकी, ककड़ी, तरबूज, मौसमी, सेव, आलू, चित्तीदार केला, पपीता आदि फलों-सब्ज़ियों के जूस फ़ायदेमंद हैं। पत्ता गोभी व गाजर का रस मिलाकर लेने से काफ़ी आराम मिलता है। पेठे का रस भी काफ़ी लाभदायक है।
– एक्यूट एसीडीटी में गाजर का रस व ठंडा दूध काफ़ी कारगर है।

– यदि बार-बार दस्त आ रहा हो तो बेल का रस, गाजर, ककड़ी, लौकी के रस के साथ डेढ़ चम्मच ईसबगोल की भूसी ली जा सकती है। छाछ के साथ भी ईसबगोल की भूसी लेने से आराम मिलता है।
– पीलिया में गन्ना, मूली, मूली के पत्ते, मौसमी, करेला, संतरा, अनानास, चकोतर, कच्ची हल्दी, पपीता, मधु व पालक के रस के सेवन से लाभ मिलता है।
– शुगर में बेल, नीम के पत्ते, पालक, गाजर, टमाटर, करेला, पत्ता गोभी व जामुन का रस लेने से लाभ मिलता है।
– पथरी की शिकायत है तो मूली व पालक, सेव, गाजर, टमाटर व इमली का रस लें। रस निकालते समय इनके छोटे-छोटे बीजों को निकाल दें।
– किडनी के रोग में ककड़ी, फालसा, तरबूज, करेला, लौकी, गाजर, चुकन्दर, अनानास, अंगूर, इमली, टमाटर आदि फलों-सब्ज़ियों के जूस का सेवन करना चाहिए।
– गला यदि पकड़ लिया है, खराश है या कांटा जैसा लग रहा है, कुछ निगल पाने में तक़लीफ़ हो रही है तो गर्म पानी में एक नींबू व शहद मिलाकर लें। केवल गर्म पानी पीने से भी आराम मिलता है। गाजर, अनानास, चुकन्दर पालक, प्याज, अमरूद व लहसुन का रस भी फ़ायदेमंद है।
-खांसी आ रही है तो नींबू का रस व मधु, गर्म पानी, गाजर, लहसुन, प्याज, अदरक व तुलसी का रस 50 सीसी लेना चाहिए।
– नींद न आ रही हो तो अमरूद, सेव, आलू, लौकी, पालक, गाजर व प्याज का रस लेने से आराम मिलेगा।
– मुंहासे में आलू, गाजर, पालक, चुकन्दर, अंगूर, टमाटर व ककड़ी का रस लेने से फ़ायदा होता है।
– ख़ून की कमी में पालक आदि साग, टमाटर, आंवला, चुकन्दर, रिजका, दूब का पत्ता, करेला, पत्ता गोभी, अंगूर, खुरबानी, छह घंटा पूर्व भिगोए हुए किसमिस व मुन्नका का रस फ़ायदेमंद है।
– मुंह में छाले पड़ गए हैं तो पत्तागोभी, चौलाई, पालक, ककड़ी, टमाटर व गाजर का रस सेवन करना चाहिए।
– ब्लड प्रेशर में ककड़ी, प्याज, टमाटर, संतरा, सोयाबीन, लौकी, गाय की दही का छाछ, दही, मौसमी व गाजर के रस का सेवन करना चाहिए।
– वज़न बढ़ाने के लिए पपीता, अन्नानास, केला, दूध, आम व संतरा के रस लाभकारी हैं।
– वज़न कम करने के लिए ककड़ी, तरबूज, लौकी, पालक, पेठा, खीरा, टमाटर आदि के रस के सेवन से लाभ मिलता है।
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