गठिया आजकल एक आम रोग बन चुका है। 40 उम्र पार करते-करते अधिकांश लोग इस रोग की चपेट में आ जाते हैं। कुछ लोगों में र्हयूमेटाइड गठिया रोग (Rheumatoid Arthritis) घर कर लेता है, इससे निजात बहुत मुश्किल होती है। एलोपैथ के पास इसकी कोई दवा नहीं है, जब आप किसी एलोपैथिक चिकित्सक के पास जाएंगे और वह ईमानदार चिकित्सक होगा तो कहेगा कि इस रोग की कोई दवा नहीं है। जो दवा वह देगा, उसे हमेशा खाने के लिए कहेगा, उस दवा को जब तक खाएंगे, दर्द दूर रहेगा। दवा बंद होते ही दर्द फिर शुरू हो जाएगा। इस रोग में दी जाने वाली दर्द निवारक व एंटीबायोटिक दवाएं शरीर पर दूरगामी दुष्प्रभाव डालती हैं। आयुर्वेद में इस रोग को जड़ से ख़त्म करने की दवा है और वह भी बिल्कुल आप अपने घर पर बना सकते हैं। यह दवा एक तो आराम पहुंचाएगी और किसी तरह का नुक़सान भी नहीं करेगी।
कैसे बनाएं गठिया रोग की औषधि
सोंठ, काली मिर्च और पीपर – 5-5 ग्राम।
पिपरामूल, चित्रकमूल, च्वय, धनिया, बेल की जड, अजवायन, सफ़ेद जीरा, काला जीरा, हल्दी, दारूहल्दी, अश्वगंधा, पाठा, बायबिडंग, गोखुरू, खरैटी, हरड़, बहेड़ा, आंवला, शतावरी, मीठा सुरेजान, शुद्ध कुचला, बड़ी इलायची, दालचीनी, तेजपात, नागकेसर 4-4 ग्राम।
योगराज गुग्गल (7.5 ग्राम) और शुद्ध कपूर (आधा किलो) को कूटने के बाद बारीक पीस लें और छान कर रख लें।
अब एरंड का बीज गिरी एक पाव व शुद्ध घी आधा पाव व गाय का दूध आधा किलो और आवश्यकतानुसार खांड ले लें। एरंड के बीच गिरी को पीसकर गाय के दूध में मिलाकर मावा तैयार करें तथा उसे घी में मिलाकर भून लें। उसमें खांड की चाशनी तैयार कर मिला दें। इसके बाद पहले से तैयार औषधि को इसमें मिला दें। अब आपकी मुकम्मल औषधि तैयार हैं।
सेवन विधि
10-15 ग्राम औषधि दिन में दो बार दूध के साथ सेवन करें। इसके नियमित सेवन से र्हयूमेटाइड गठिया रोग के अलावा अनेकों प्रकार के वात रोग, आमवात, शूल, सूजन, वृषण वृद्धि व उदरशूल में लाभ मिलता है।