चोट लगने पर, गिरने आदि में हड्डी में फ्रैक्चर हो जाता है। यह सामान्य घटना है। हड्डी का फ्रैक्चर छोटा हो या बड़ा, ठीक होने में 45 दिन लेता ही है। उसके बाद भी पूरी तरह ठीक नहीं हो पाता, इसमें थोड़ा समय और लगता है। लेकिन प्लास्टर कराने के दो साल बाद भी ठीक न हो तो, गंभीर संकट उत्पन्न हो जाता है। पीडि़त अनेक जगहों पर दवा कराता है। स्थानीय स्तर से लेकर एम्स – अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान तक में वह दिखा कर जब थक जाता है और फिर भी हड्डी न जुड़े तो उसकी परेशानी का कोई अंत नहीं होता। ऐसी एक घटना से आपको मैं हड्डी काटने व हड्डी जोड़ने वाली होम्योपैथिक दवा के बारे में अवगत कराने जा रहा हूँ।
हड्डी का फ्रैक्चर
होम्योपैथ में एक बात और बताना चाहता हूँ कि कभी-कभी इस दवा से बीमारी बढ़ती हुई प्रतीत होती है लेकिन उसका बढ़ना ही उसके ख़त्म होने की प्रक्रिया होती है। लंबे समय तक जो ग़लत इलाज हुआ है, पहले यह दवा उसके दुष्प्रभाव को समाप्त करती है, उसके बाद मर्ज ठीक होने लगता है। यदि रोगी दवा के बारे में थोड़ा-बहुत जानता हो तो दवा देखकर घबरा सकता है। इसलिए जब भी होम्योपैथिक चिकित्सक के पास जाएँ तो अपना ज्ञान ताक पर रख दें और जैसा चिकित्सक कहे, वैसा करते चले जाएँ।
केस स्टडी
एक जानने वाला रेलवे के कर्मचारी है। दो साल पहले उसकी मोटरसाइकिल से एक्सीडेंट हो गया। चोट गंभीर नहीं थी लेकिन बाँह में दर्द था। ज़िला अस्पताल में दिखाया तो चिकित्सक ने एक्सरे कराने के लिए लिख दिया। एक्सरे कराने पर पता चला कि एक छोटी सी हड्डी का फ्रैक्चर हुआ है। चिकित्सक ने तत्काल प्लास्टर कर दिया। लगभग 45 दिन बाद प्लास्टर कट गया लेकिन बाँह का दर्द नहीं गया। उन्होंने निजी अस्पतालों से लेकर एम्स तक में संपर्क किया लेकिन बाँह का दर्द वैसा ही बना रहा। एम्स में उसकी नेलिंग की गई लेकिन हड्डी नहीं जुड़ी।
होम्योपैथी से उपचार
अंतत: किसी की सलाह पर उन्होंने होम्योपैथ की शरण ली और शहर के एक बड़े चिकित्सक से संपर्क किया। होम्योपैथिक चिकित्सक ने उन्हें एक्सरे कराने के बाद ‘केल्केरिया फ्लोर 30 एक्स‘ दी। यह हड्डी काटने की दवा है। चूँकि उनकी बाँह की जो हड्डी टूटी थी वह किनारे से तो जुड़ गई थी लेकिन बीच में गैप रह गया था, दर्द हमेशा बना रहता था। दोनों किनारे जुड़ जाने से कैलस का बहाव अवरुद्ध था। इसलिए उन किनारों को काटना पहले ज़रूरी था। इसके बाद चिकित्सक ने उन्हें ‘केल्केरिया फास 6 एक्स‘ व ‘सिम्फासटम 30‘ आदि दवाएँ दी। कुछ ही दिनों में उनकी हड्डी कटकर पुन: सही ढंग से जुड़ गई और बाँह का दर्द चला गया।