आजकल भोजन करने के लिए सभी होटलों व ज़्यादातर घरों में कांटा-चम्मच-छुरी का प्रयोग किया जाने लगा है। यह पश्चिम से आई हवा का असर है। भारतीय परंपरा में तो हाथ से खाना खाने की परंपरा है। आज भी अधिकाशं घरों ख़ासकर मध्य वर्गीय व निम्नवर्गीय घरों में हाथ से ही खाना खाया जाता है। गांवों में चले जाइए तो कांटा-चम्मच-छुरी उस रूप में नहीं मिलेंगे जिस रूप में खाना खाने में ये इस्तेमाल किए जाते हैं। कांटा-चम्मच-छुरी से खाना खाने व हाथ से खाना खाने में जमीन- आसमान का फर्क है। इसका संबंध सीधे आपकी ऊर्जा से है।
हाथ से खाना खाएँ, स्वास्थ्य पाएँ
1. पंच तत्व का समावेश
भोजन में शामिल चीजें पंच तत्व- अग्नि, हवा, आकाश, पृथ्वी व जल से बनी होती हैं, इसी पंचतत्व से हमारा शरीर भी बना होता है। जब हम हाथ से खाना खाते हैं तो पंचतत्व से पंचतत्व का मेल होता है और ऊर्जा अपनी समग्रता में हमारे शरीर में प्रवेश करती है। आयुर्वेद में हाथ का अंगूठा अग्नि, तर्जनी हवा, मध्यमा अंगुली आकाश, अनामिका पृथ्वी व कनिष्ठा अंगुली जल का प्रतीक कही गई है। इसलिए हाथ से खाना खाकर पंचत्वों से हम पंचतत्वों को पंचतत्वों में समावेशित करते हैं। यदि हम हाथ से भोजन न करके किसी अन्य चीज़ का प्रयोग करते हैं तो पंचतत्वों में असुंतलन उत्पन्न होता है जो बीमारियों का कारण बनता है।
2. ज्ञान मुद्रा
हाथ के अंगूठे व अंगुलियों को आपस में मिलाने से ज्ञान मुद्रा बनती है, जो हमारे भोजन को ऊर्जावान बनाती है और वह भोजन हमारी शरीर को ऊर्जावान बनाता है। इससे हमारा शरीर निरोग रहता है।
3. स्पर्श चिकित्सा
स्पर्श अपने आपमें एक चिकित्सा है। इसे हमारा शरीर व मस्तिष्क सबसे ज़्यादा अनुभव करता है और स्पर्श से संवेदनशील होता है। इसलिए हाथ से भोजन करने से हाथ, मस्तिष्क व पेट के बीच एक संबंध बनता है। हाथ जब भोजन को छूता है तो मस्तिष्क को संकेत जाता है कि भोजन अब मुंह में आने वाला है, मस्तिष्क तत्काल इसका संकेत पेट को दे देता है और पेट उसे पचाने के लिए तैयार हो जाता है। इससे जहाँ ध्यान भोजन पर केंद्रित होता है वहीं पाचन क्रिया सुधरती है। इसे माइंडफुल ईटिंग भी कहा जाता है। इस तरह भोजन करने से भोजन के पोषक तत्व बढ़ जाते हैं। कांटा चम्मच व छुरी से भोजन करने पर यह प्रक्रिया इतनी सघन रूप में नहीं होती।
4. तापानुकूलन
हाथ से भोजन करने से कभी मुंह नहीं जलता, क्योंकि जब आप हाथ से भोजन को छूते हैं तो उसका तापमान आपको पता चल जाता है, इसलिए ज़्यादा गर्म भोजन आप मुंह में नहीं डालते हैं, जब वह शरीर के तापमान के अनुकूल हो जाता है तो उसे खाते हैं। कांटा-छुरी-चम्मच से खाने पर यह अनुमान मुश्किल होता है।
5. स्वच्छ रहने की आदत
जब आपसे हाथ से खाना खाने को कहा जाए तो हम अपने हाथ धोकर ही खाना खायेंगे। इससे हमारे अंदर स्वच्छ रहने भावना बढ़ती है जिससे हम अनेक बीमारियों से खुद को बचा सकते हैं।