दर्द कोई भी हो, बहुत परेशान करता है। लेकिन जब हृदय में दर्द हो तो जान ही निकल जाती है और वह भी चुभने वाला हो तो पीड़ा से हाल बेहाल हो जाता है। ऐसे में मरीज न सो पाता है न बैठ पाता है और न ही सहजतावश कोई कार्य या बातचीत कर सकता है। एलोपैथ में इसकी बहुत दवाएं हैं लेकिन तभी तक दर्द नहीं महसूस होता है जब तक दवा का असर होता है, दवा का असर समाप्त होते ही दर्द पुन: शुरू हो जाता है। आज इसकी बहुत ही कारगर दवा आपको बताने जा रहे हैं। यह पोस्ट आपको एक ऐसी महत्वपूर्ण दवा के बारे में बताने जा रही है जो सिर्फ दो पुड़िया खाने के बाद हृदय का दर्द हमेशा के लिए ग़ायब हो जाएगी। यदि दुबारा हुआ भी तो कम से कम छह माह बाद ही संभव है। उसके पहले हृदय का दर्द नहीं लौटता है।
हृदय का दर्द
बात एक वरिष्ठ पत्रकार की कहानी से शुरू करता हूं। उनका नाम प्रेम प्रकाश है। अक्सर उन्हें हृदय का दर्द होता था। हमेशा उन्हें दर्द की दवा खानी होती थी। कभी-कभी तो स्थिति इतनी विकट हो जाती थी दवा खाने के बाद भी कोई अपेक्षित लाभ नहीं होता था और दर्द से कराहते रहते थे। कोई काम नहीं कर सकते थे। नौकरी ऐसी थी कि बहुत ज़्यादा छुट्टी संभव नहीं थी, इसलिए दवा लेकर काम करना पड़ता था। उनकी मुलाकात मुझसे हो गई। यह जानकर कि उन्होंने अनेक बड़े चिकित्सकों से संपर्क किया और हर माह लगभग पांच-सात सौ रुपये की दवा खा जाते हैं लेकिन स्थायी आराम अभी तक नहीं मिला।
ये भी पढ़िए- होम्योपैथिक उपचार में लक्षण पहचानना सबसे ज़रूरी
होम्योपैथिक चिकित्सक की आवश्यकता
मैंने उन्हें होम्योपैथिक चिकित्सक से दिखाने की सलाह दी, जिनकी चिकित्सा से मेरे एक मित्र की एलर्जी समाप्त हो गई थी, उन्हें नाक से हमेशा पानी बहता था, एलोपैथ ने कह दिया था कि इसकी कोई दवा नहीं है, जब भी नाक से पानी बहने या नमी की समस्या दिखे तो दवा खानी पड़ेगी। बहुत दिनों तक तो वे नाक में रूई लगाकर घूमा करते थे। बाद में उन्हें किसी ने शहर के बड़े होम्योपैथिक चिकित्सक डा. बनर्जी के बारे में बताया। डा. बनर्जी की दवा से मात्र छह माह में ही उनकी एलर्जी ठीक हो गई थी। मैंने उसी डॉक्टर से उन्हें इलाज कराने की सलाह दी।
ये भी पढ़िए- दिल को स्वस्थ रहने के लिए आहार
बीमारी का सफल इलाज
वे बहुत पीड़ित थे और ख़ास बात यह भी कि उनका होम्यौपैथ में बहुत विश्वास नहीं था। उनका मानना था कि होम्योपैथ से सर्दी-जुकाम ठीक होता होगा, गंभीर बीमारियों के लिए यह पैथी मुफीद नहीं है। लेकिन जिसपर उन्हें बहुत भरोसा था यानी एलोपैथ, उसका हस्र देख चुके थे, इसलिए मेरे कहने पर उन्होंने डा. बनर्जी से संपर्क किया। डा. बनर्जी ने उन्हें स्पाईजेलिया 1000 की मात्र दो पुड़िया दिया और कहा कि कल आइएगा। दूसरे दिन उनके दर्द का कहीं अता-पता नहीं था। दूसरे दिन वह जब डॉ० बनर्जी के पास पहुंचे तो पूरी तरह दर्द से मुक्त थे। उन्होंने कहा कि दवा काफी कारगर थी, कुछ दिन लगातार चला दीजिए ताकि दुबारा न हो। डॉ० बनर्जी ने कहा कि अब आपको दवा खाने की ज़रूरत ही नहीं है, यह दो पुड़िया ही काफ़ी है। यदि दुबारा दर्द हुआ भी तो छह महीने के अंदर तो क़तई नहीं होगा।