कीड़े-मकोड़े हमारे घरों के आस पास ही मौजूद होते हैं। कब कोई इनके दंश का शिकार हो जाए, ये बात कोई नहीं कह सकता है। लेकिन ऐसी स्थिति में कीड़े-मकोड़ों के काटने का इलाज मालूम हो तो बहुत आराम मिल सकता है। उनके ज़हर को आसानी से उतारा जा सकता है। इसलिए आज हम सामान्यतया ज़हर उतारने के विभिन्न तरीकों पर आलेख प्रस्तुत कर रहे हैं।
कीड़े-मकोड़ों के ज़हर को बेअसर करना
कीड़े-मकोड़ों के ज़हर को बेअसर करने के लिए आप निम्न परिस्थितियों में बताए गए उपचार कर सकते हैं।

मधुमक्खी और बर्र के विष का उपचार
– मधुमक्खी, भौरी, मक्खी यदि काट लें तो नमक के साथ तुलसी के पत्तों को पीसकर तुरंत लगाएं। गाय का गोबर काटे हुए स्थान पर तीन दिन लगाने से भी लाभ होता है।
– पशुओं खासकर घोड़ा, कुत्ता व बैल आदि पर बैठने वाली बगई पीली मक्खी यदि कान में घुस जाए तो शुद्ध घी का हलवा या सेब का टुकड़ा कान के आगे बांध देने से निकल आएगी।
अन्य प्रकार के विष को उतारना
– कितना भी घातक जहर शरीर में चला गया हो उसे पर्याप्त मात्रा में नीम का रस पिलाएं, उसके बाद घोड़ावज, मदनफल, मुलहठी या कड़वी तुम्बी के गर्भ का चूर्ण एक तोला पिलाकर उल्टी करा दें। जब तक नीला-नीला पित्त बाहर न निकले तब तक उल्टी कराते रहें।

बिच्छू के डंक का इलाज
– बिच्छू ने यदि काट लिया है तो पत्थर पर दो बूंद पानी डालकर उसपर निर्मली या इमली के बीज घिसें और उसे दंश वाले स्थान पर लगा दें, तुरंत राहत मिलेगी।
– पोटेशियम परमैंगनेट व नींबू के फूल को बारीक पीसकर अलग-अलग बोतल में रख लें। जहां बिच्छू काटे उस स्थान पर मूंग के दाने बराबर नींबू के फूल का चूर्ण व पोटेशियम परमैंगनेट का चूर्ण रखकर उसके ऊपर एक बूंद पानी डाल दें। थोड़ी देर में उभार आकर विष उतर जायेगा।
कनखूजरा का विष उतारना
– मदार का दूध लगाने से कानखजूरा का विष उतर जाता है। नमक का पानी सहने योग्य गर्म करके कान में डालने से कानखजूरा मर जाता है।
– कानखजूरा यदि शरीर पर चिपक गया हो तो उसके ऊपर सरसो का तेल डाल दें या आंच दिखा दें। वह मर जाएगा।
– यदि किसी ने धतूरा खा लिया है तो जितना उसने धतूरा खाया है उतनी ही मात्रा में कपास के पत्ते, बीज या फूल को पीसकर पिलाना चाहिए।

कुत्ता काटने पर उपचार
– यदि पागल कुत्ते ने काट लिया है तो मदार का दूध, गुड़ व तेल का लेप करने से जहर नहीं चढ़ेगा।
– केक्टसनुमा बिना कांटेवाली वनस्पति जिसे खरखोड़ी कहते हैं का दूध रोटी पर लगाकर खिलाने या कड़वी तुम्बी का गर्म पानी में घोलकर पिलाने से उल्टी होगी और पागल कुत्ते के काटने से आने वाला पागलपन दूर होगा।
सांप के ज़हर का इलाज
– सांप ने यदि डंस लिया है तो लोहा आग में लाल करके डंस वाले स्थान को जला दें। इससे नाग का ज़हर भी उतर जाता है।
– जहां सांप ने काटा है उस स्थान पर चीरा लगाकर विषयुक्त रक्त निकाल दें और उसमें पोटेशियम परमैंगनेट भर दें। इससे जहर का फैलना बंद हो जाता है।
– एक तोला मिंडल चूर्ण पानी के साथ पिला देने से उल्टी हो जाती है और सांप का जहर बाहर आ जाता है।
– दो ग्राम मिचाईकंद घिसकर पिला देने से तथा सांप के काटे हुए स्थान पर लगा देने से तुरंत लाभ मिलता है।
– सांप काटने के तुरंत बाद तुलसी का पत्ता खा लेने से जहर उतर जाता है।

सर्पदंश का विशेष प्रयोग
यदि सांप ने काट लिया है तो उसे नीम का पत्ता खिलाएं। यदि पत्ता कड़वा न लगे तो समझ लें कि विष चढ़ा हुआ है। चार-छह लोगों को बुलाकर उसे सुला दें और चारों तरफ से जकड़कर उसे सीधा सुलाए रखें, उसे जरा सा भी हिलने या उठने न दें।
अब पीपल के हरे पत्तों की डाली मंगवाएं, उसमें से दो पत्ते लेकर ‘सुपर्णा पक्षपातेन भूमिं गच्छ महाविष।’ मंत्र बोलते हुए पत्तों के डंठल को दूध निकलने वाले सिरे से धीरे-धीरे मरीज के कानों में इस प्रकार डालें कि डंठल का उंगली के तीसरे हिस्से जितना भाग ही अंदर जाए, जैसे ही डंठल का सिरा कान में पड़ेगा, वह अंदर खिंचने लगेगा व मरीज पीड़ा से चिल्लाने लगेगा, उठकर पत्तों को निकालने की कोशिश करेगा। लेकिन उसे हिलने न दें। डंठल को भी कसकर पकड़े रहें, खिंचने पर ज़्यादा अंदर न जाने दें। जब तक मरीज चिल्लाना बंद न हो जाए तब तक दो-दो मिनट के अंतराल पर पत्ते बदलकर इसी प्रकार कान में डालते रहें। सारा ज़हर पत्तें खिंच लेंगे। धीरे-धीरे पूरा ज़हर उतर जायेगा तब मरीज शांत हो जायेगा।
यदि डंठल डालने पर भी मरीज शांत रहे तो समझें कि ज़हर उतर गया है। इसके बाद नमक खिलाएं, यदि नमक खरा लगे तो समझे ज़हर उतर गया है। जब उसे राहत मिल जाए तो सौ से डेढ़ सौ ग्राम शुद्ध घी में 10-12 काली मिर्च पीसकर पिला दें व कानों में बिल्वादि तेल की बूंदें डाल दें ताकि कान न पके। कम से कम 12 घंटे तक मरीज को सोने न दें। उपयोग में आए पत्तों को या तो जला दें या जमीन में गाड़ दें क्योंकि उन्हें कोई जानवर खा लेगा तो मर जायेगा।
इस प्रकार कीड़े-मकोड़ों के ज़हर को बेअसर किया जा सकता है।