मलेरिया के बुखार को शीर ज्वर भी कहते हैं। यह बुखार चढ़ता और उतरता रहता है। ये बुखार दो हफ़्ते तक रह सकता है। मलेरिया बुखार की वजह से हर साल कई लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं। मलेरिया फैलाने वाला मच्छर गंदे पानी में पनपता है। इस आलेख में मलेरिया के लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार के बारे में चर्चा करेंगे। साथ छोटे बच्चों को मलेरिया से बचाने के उपाय भी जानेंगे।
मलेरिया बुखार के लक्षण
मलेरिया बुखार 3 तरह का होता है।
– कोल्ड मलेरिया में मरीज़ को ठंड लगने के साथ-साथ शरीर में कंपकपी होती है।
– हॉट मलेरिया में मरीज़ को तेज़ बुखार, पसीना और उल्टी की शिक़ायत होती है।
– स्वीट मलेरिया में मरीज़ को बहुत ज़्यादा पसीना आता है।
आइए जानते हैं मलेरिया के मरीज़ में क्या क्या लक्षण दिखाई दे सकते हैं:
– तेज़ बुखार चढ़ना
– उल्टी होना
– सिर दर्द होना
– ठंड लगने के साथ कंपकपी छूटना
– मांसपेशियों में दर्द होना
– शरीर का तापमान 104 डिग्री से अधिक होना
– शारीरिक कमज़ोरी
– जी घबराना
– रोज़ एक समय पर बुखार चढ़ना उतरना
मलेरिया बुखार के कारण
– मलेरिया बुखार मादा एंडीज मच्छर के काटने से फैलता है। इसके साथ-साथ मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के पनपने के कारण का भी पता करना चाहिए।
– मच्छर रुके हुए पानी में अंडे देते हैं। इसलिए जहाँ ये मच्छर होंगे वहाँ कहीं गंदा पानी जमा होगा, बहुत दिन से पानी का भराव होगा।
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छोटे बच्चों में मलेरिया
– अगर बच्चा ज़्यादा रोए, बेचैन हो जाए, तेज बुखार चढ़े, उल्टी आए और शरीर पर लाल चकते पड़ जाएं; या फिर इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
– बड़ों की तुलना में छोटे बच्चों का इम्यून सिस्टम कमज़ोर होता है, इसलिए वो जल्दी शिकार हो जाते हैं। बच्चों को मलेरिया बुखार होने पर उनका ज़्यादा ध्यान रखें और नज़रअंदाज़ न करें।
– बच्चे ज़्यादातर खुले में रहते हैं, इसलिए उन्हें कई तरह के इंफ़ेक्शन और मच्छरों को काटने का खतरा ज़्यादा होता है। बच्चे जब भी घर के बाहर निकलें तो उन्हें पूरे कपड़े पहनाकर ही जाने दें।
मलेरिया का आयुर्वेदिक उपचार
– शीत ज्वर की आंशका होने पर 70 मिली पानी में 3 ग्राम चूना मिलकर उसमें नींबू निचोड़कर पिएं। ये उपाय करने से बुखार उतर जाता है।
– मलेरिया फ़ीवर के इलाज के लिए 5 मिली प्याज के रस में 4 पिसी कालीमिर्च मिलाकर दिन में 3 बार पिएं।
– चिरायता मलेरिया बुखार के इलाज की सबसे असरदार आयुर्वेदिक औषधि है। 250 मिली पानी में 15 ग्राम चिरायता, थोड़ी लौंग और दालचीनी मिलाएं। इस पानी के इस्तेमाल से मलेरिया बुखार ठीक हो जाता है।
– एक गिलास पानी में 10 ग्राम मुनक्का और 10 ग्राम अदरक डालकर पानी आधा रह जाने तक उबालें। अब इस पानी को ठंडा करके पिए।
– गरम पानी में नींबू रस मिलाकर पीने से बुखार कम चढ़ता है।
– थोड़ी सी फिटकरी तवे पर भून कर चूरन बना लें। अब आधा चम्मच चूरन बुखार आने के 3 घंटे पहले पानी से साथ लें। हर 2 घंटे के बाद ये उपाय करने से बुखार में आराम मिलता है।
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Malaria Ayurvedic Treatment in Hindi
– जब बुखार न हो तब 10 ग्राम तुलसी के पत्तों के रस में ½ चम्मच कालीमिर्च पाउडर मिलाकर चाट लें। इस नुस्खे से मलेरिया बुखार खत्म हो जाएगा।
– बुखार तेज़ होने पर माथे पर ठंडे पानी की पट्टियां रखें, इससे शरीर का तापमान कम होने लगेगा। इसके अलावा ठंडे पानी से तौलिए को भिगोकर पूरा शरीर पोंछ दें।
– एक गिलास पानी में 1 चम्मच शहद, 1 चम्मच दालचीनी और आधा चम्मच कालीमिर्च पाउडर मिलाकर गर्म कर लें और इसे ठंडा करके पिएं। इस घरेलू उपाय से मलेरिया बुखार के इलाज में चमत्कारिक फ़ायदा मिलेगा।
– जामुन के पेड़ की छाल को सुखाकर पीस लें और चूरन बना लें। अब 5 ग्राम चूरन को गुड़ के साथ दिन में 3 बार लेने से मलेरिया से आराम मिलता है। यह समस्या उनमें देखने में आती है, जिनका इम्यून सिस्टम बहुत कमज़ोर होता है। इसलिए डॉक्टरी सलाह के अनुसार दवा खाएं और ज़्यादा से ज़्यादा आराम करें। खाने पीने का पूरा ध्यान रखें और शरीर में पानी की कमी न होने दें।
वायरल बुखार और टायफाइड के लिए बाबा रामदेव की आयुर्वेदिक दवा भी आती है। आप डॉक्टरी सलाह से उसे भी प्रयोग कर सकते हैं।
कई बार मलेरिया के साथ ही टायफाइड बुखार भी हो जाता है। इस स्थिति में ज़रा सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती हिअ।