माइक्रोवेव ओवन से विषाक्‍त होता है भोजन

वर्तमान युग में माइक्रोवेव ओवन का प्रयोग ज़्यादातर घरों में होने लगा है, लेकिन इसके दुष्‍प्रभावों को जानकर आप चौंकेंगे। इससे निकलने वाली सूक्ष्‍म तरंगें खाद्य पदार्थों को विषाक्‍त कर देती हैं। यहां तक कि कैंसर के कारक तत्‍व भी जन्‍म लेते हैं। रेडार के विकास के दौरान 1950 में रूसी वैज्ञानिकों ने माइक्रोवेव के संपर्क में रहने वाले श्रमिकों पर शोध किया तो चौंकाने वाले तथ्‍य सामने आए। उन श्रमिकों में लो ब्‍लड प्रेशर, हाई ब्‍लड प्रेशर, सिरदर्द, चक्कर आना, आंख में दर्द, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, चिंता, पेट दर्द, तंत्रिका तंत्र में तनाव, काम करने में मन न लगना, ध्‍यान का बार-बार बंटना, बालों का झड़ना, पथरी, मोतियाबिंद, प्रजनन से संबंधित समस्‍याएँ व कैंसर के कारक तत्‍व पाए गए। आगे चलकर उन श्रमिकों में अत्‍यधिक थकान, हृदय रोग, कोरोनरी धमनियों में रुकावट व दिल का दौरा पड़ने जैसी गंभीर समस्‍याएँ देखी गईं।

माइक्रोवेव ओवन

चूंकि मनुष्‍य के शरीर की प्रकृति विद्युत रासायनिक है। जब कोई शक्ति इस रासायनिक व्‍यवस्‍था में अवरोध उत्‍पन्‍न करती है तो पूरे शरीर की व्‍यवस्‍था अस्‍त-व्‍यस्‍त हो जाती है। सूक्ष्मतरंग चूल्हा या माइक्रोवेव ओवन (60 to 90 GHz) की सूक्ष्‍म तरंगें इसी तरह का रासायनिक अवरोध उत्‍पन्‍न करती हैं। इनसे या तो खाना पकाया जाता है या गरम रखने के लिए इनका इस्‍तेमाल किया जाता है। सूक्ष्‍म तरंग चूल्हा में द्विविद्युतीय (Dielectric) उष्मा सृजित होती है और मैग्नेट्रॉन से पैदा होने वाली सूक्ष्‍म तरंगें खाद्य पदार्थों में मौजूद पानी व ध्रुवीय अणुओं को गर्म करती है। इन्‍हें खाने शरीर की रासयनिक व्‍यवस्‍था में अवरोध उत्‍पन्‍न होता है।

माइक्रोवेव ओवन के बारे में

माइक्रोवेव ओवन का सर्व प्रथम प्रयोग नाजियों ने किया था। उन्‍होंने इसे अपने मोबाइल सपोर्ट ऑपरेशन के लिए विकसित किया था। इस पर जर्मनों ने चिकित्‍सा अनुसंधान किया था जो द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद मित्र शक्ति के हाथ लगा। सोवियत संघ ने भी कुछ माइक्रोवेव ओवन निकाल लिया और जीव-जगत पर पड़ने वाले उसके प्रभावों का परीक्षण कराया। परीक्षण के बाद सोवियत संघ इसे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए खतरा बताते हुए एक चेतावनी भी जारी की थी। इसके अलावा अन्‍य पूर्वी यूरोपीय वैज्ञानिकों ने भी इसके हानिकारक प्रभावों के प्रति सचेत किया था। लेकिन अमेरिका ने इन यूरोपीय रिपोर्टों को स्‍वीकार करने से मना कर दिया।

माइक्रोवेव ओवेन के दुष्‍प्रभाव

– माइक्रोवेव ओवन में मांस पकाने पर उसमें d-Nitrosodienthanolamines नामक एक कैंसर के कारक तत्‍व पैदा होते हैं। दूध व अनाज पकाने पर अमीनो एसिड कैंसर के कारक तत्‍व में तब्‍दील हो जाता है।

– बच्‍चों का खाना पकाने पर एक ऐसा ज़हर उत्‍पन्‍न होता है जो बच्चे की तंत्रिका तंत्र व गुर्दे को प्रभावित करने लगता है।

– खाद्य पदार्थों के पोषक तत्‍व नष्‍ट हो जाते हैं, शोध में इन पोषक तत्‍वों में 60 से 90 प्रतिशत की कमी पाई गई। विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन सी, विटामिन ई, आवश्यक खनिज व लिप्‍ट्रोपिक कारक बहुतायत मात्रा में कम पाए गए।

– खाद्य पदार्थों पिज़्ज़ा, फ्रेंच फ्राइज़, पॉपकॉर्न आदि में कई ज़हरीले रसायनों का रिसाव मिला।

माइक्रोवेव अवेन के नुकसान

– माइक्रोवेव ओवन में पका हुए खाना खाने वालों में पैथोजेनिक परिवर्तन देखा गया। उनमें कैंसर की प्रतिरोधक क्षमता को कम करने वाला लसीका संबंधी विकार पाया गया।

– रक्‍त में कैंसर के सेल अधिक मात्रा में बढ़े।

– पेट व आंतों में कैंसर होने की आशंका बलवती हुई।

– पाचन शक्ति कमज़ोर पाई गई।

एक मौत पर मुकदमा भी हुआ

अमेरिका के नोर्मा लेविट नामक व्‍यक्ति के कूल्‍हे की सर्जरी के बाद नर्स ने उसे ख़ून चढ़ाया जिसे उसने माइक्रोवेव ओवन में गर्म किया था। उस व्‍यक्ति की मृत्‍यु हो गई। 1991 में इस संबंध में अमेरिका में एक मुक़दमा हुआ था।

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