पेट की गर्मी एक सीमा तक बर्दाश्त होती है। जब यह बढ़ जाती है तो पेट में जलन शुरू हो जाती है और इससे परेशान व्यक्ति करवट भी नहीं बदल पाता। पेट की गर्मी बढ़ गई तो दस्त भी साफ़ नहीं होता और तमाम तरह की परेशानियां खड़ी होने लगती हैं। एलोपैथ में इसका स्थायी इलाज नहीं है। इससे पीड़त व्यक्ति को आयुर्वेद या होम्योपैथ का ही सहारा लेना पड़ता है। होम्योपैथ में इसका बहुत ही कारगर इलाज है जो कुछ ही दिन के प्रयोग से अपना असर दिखा देता है और पेट की गर्मी और जलन विदा हो जाती है। आज यह पोस्ट होम्योपैथ की उसी दवा के बारे में आपका ज्ञानवर्धन करेगी।
पेट की गर्मी
मेरी सहकर्मी रेखा को पेट में भयंकर जलन शुरू हो गई थी। शुरू में तो उन्होंने बर्दाश्त किया लेकिन धीरे-धीरे जब जलन बढ़ने लगी तो परेशान हो गईं। उनके साथ उनका पूरा परिवार परेशान था। एलोपैथिक दवाएँ चल रही थीं लेकिन कोई लाभ नहीं था। आसपास के सभी बड़े चिकित्सा संस्थानों में उन्होंने संपर्क किया लेकिन जब दवा खाती थीं तो थोड़ी राहत मिलती थी, दवा का असर खत्म होते ही उनकी समस्या अपने मूल रूप में वापस लौट आती थी। जब चारों तरफ़ इलाज कराकर थक गईं तो पड़ोसी की सलाह पर उन्होंने शहर के एक बड़े होम्योपैथिक चिकित्सक से संपर्क किया।
होम्योपैथिक चिकित्सक से सम्पर्क
चिकित्सक ने पहले उसका कारण जानना चाहा। रेखा ने बताया कि कुछ दिन पहले उन्हें चेरी का फल बहुत पंसद आया था और उसे उन्होंने पर्याप्त मात्रा में उसे खाया था। उसी के बाद यह समस्या उत्पन्न हुई थी। पहले समस्या बहुत न्यून थी जिसका उन्होंने एलोपैथिक इलाज कराया था। लेकिन बाद में बढ़ने लगी। चिकित्सक की समझ में बात आ गई कि समस्या चेरी की वजह से है और असंगत दवाओं ने इसे थोड़ा और बढ़ा दिया है। बातचीत से यह बात भी सामने आई कि उन्हें थोड़ी-थोड़ी देर पर प्यास लगती है और मृत्यु का भय भी सताता रहता है।
दवा का असर
ये सब लक्षण आर्सेनिकम एल्बम के लगे इसलिए उन्होंने 30 पोटेंसी में चार बार दवा लेने के लिए बता दिया। इससे उन्हें पहले ही दिन से आराम मिलना शुरू हो गया था। साथ ही दवाओं के रूप में उन्होंने ‘नक्स वोमिका 200‘, ‘रोविनिया 30‘ और ‘नेट्रम फास 30‘ का प्रयोग किया। वे पूर्णतया ठीक हो गईं और फिर कभी उनके पेट में जलन की समस्या नहीं उत्पन्न हुई। यह होम्योपैथ की ताक़त है। जहां सारी दवाएँ बेकार साबित हो रही थीं वहां होम्योपैथ के छोटे से प्रयोग ने रेखा को मौत के मुंह से बाहर खींच लिया था।