आंतों के छाले का होम्‍योपैथिक इलाज

आंतों के छाले पड़ने से पेट में भयंकर दर्द होने लगता है। जलन, ऐंठन, उबकाई आदि की समस्‍याएं उत्‍पन्‍न हो जाती हैं। रोगी न तो कुछ खा पाता है और न ही सो पाता है। भूख लगती है लेकिन चिकित्‍सक भोजन नहीं करने देते। क्‍योंकि जान जाने का खतरा रहता है। आंतों में पूरी तरह घाव हो जाता है। होम्‍योपैथ में इसका बहुत ही आसान व कारगर उपाय है जिसका प्रयोग करने के बाद न केवल छाले ठीक हो जाते हैं बल्कि उसे खाना भी पचने लगता है। जरूरत इस बात की है कि होम्‍योपैथ का चिकित्‍सक अच्‍छा होना चाहिए और उसकी पकड़ में लक्षण आ जाने चाहिए। यदि लक्षण पकड़ में आ गए तो रोग को विदा होने में समय नहीं लगता है।

आज इस पोस्‍ट के जरिये मैं उसी दवा के बारे में बताने जा रहा हूं जो आंतों के छालों को बिना किसी परेशानी के आसानी से ठीक कर देगी और मौत के मुंह में जा रहा व्‍यक्ति जिंदगी की गलियों में लौट आएगा।

आंतों के छाले

दवा के पूर्व अपने पड़ोसी के बेटे की कहानी भी आपको बताऊंगा। मेरे बगल में शर्मा जी के बेटे को यह समस्‍या हो गई थी। आंतों में भयंकर छाले पड़ गए थे। पेट में दर्द, जलन होने के साथ ही उबकाई आती थी। पहले इधर-उधर उन्‍होंने इलाज कराया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। एलोपैथ के बड़े चिकित्‍सकों से परामर्श करने के बाद भी उनके हाथ निराशा ही लगी। एक तो बच्‍चे को भूख लगती थी लेकिन चिकित्‍सक कुछ भी खिलाने से मना कर दिए थे, उनका कहना था कि यदि इसने कुछ भी खाया तो इसे बचा पाना मुश्किल होगा। इस डर से उसे कुछ खाने को नहीं दिया जाता था, वह पेट के दर्द, जलन से तो परेशान था ही, भूख से भी बिलबिला रहा था।

aant ke chhale

डॉक्टर से मुलाक़ात

आप सोच सकते हैं कि बेटा खाना मांगे और मां-बाप के सामने उसे खाना न देने की मजबूरी हो तो उनके ऊपर क्‍या गुजरती होगी। यही स्थिति शर्मा जी के साथ थी। उन्‍हें मैंने डॉ० बनर्जी से मिलने की सलाह दी जिनकी मीठी गोली ने मेरे अनेक परिचितों की असाध्‍य पीड़ा हर ली थी। जिन्‍हें लगता था कि वे ठीक नहीं हो पाएंगे, उन्‍हें भी डा. बनर्जी की होम्‍योपैथिक दवाओं ने जिंदगी दी थी। शर्मा जी तुरंत अपने बेटे को लेकर वहां गए। चिकित्‍सक ने उससे बात की। लक्षणों को देखा और ‘नाइट्रिक एसिड 1000‘ की दो पुड़िया दी और दूसरे दिन बुलाया।

दवा का असर

दूसरे दिन जब वह चिकित्‍सक के पास पहुंचा तो पेट का दर्द गायब हो गया था। चिकित्‍सक ने उसे पतली रोटी अच्‍छी तरह सिंकवा कर मूंग की दाल में मीजकर दो-चार कौर खिलाने को कहा। शर्माजी को घबरा गए, क्‍योंकि एलोपैथिक चिकित्‍सकों ने कह रखा था कि इसने कुछ भी खाया तो इसे बचाना मुश्किल होगा। उन्‍होंने एलोपैथिक चिकित्‍सकों की यह बात डॉ० बनर्जी को बताई। डॉ० बनर्जी ने कहा कि घबराने की बात नहीं है, भगवान का नाम लेकर उसे दो-चार कौर खिला दें और कल आकर उसका हाल बताएं। दूसरे दिन शर्मा जी की खुशी का ठिकाना नहीं था। भोजन लड़के को पच गया था। कुछ दिन ही दवा का सेवन करना पड़ा और आंतों के छाले पूरी तरह ठीक हो गए।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *