प्यार का सपना सच हुआ – एक सच्ची कहानी

[dropcap]मैं[/dropcap] तब क्लास 8 में था, जब मैंने उसे पहली बार उसकी गली में देखा था। उस वक़्त मुझे उसके बारे में कुछ भी नहीं पता था, मैं नहीं जानता था कि वो कौन है? कहाँ पढ़ती है, उसका नाम क्या है, उसके घर में कौन-कौन है? कुछ दिनों बाद उसने मेरे ही स्कूल में एडमीशन ले लिया। स्कूल में आते जाते वो मेरे सामने कई बार आई लेकिन कभी उसको कभी ध्यान से नहीं देखा। हम दोनों एक ही क्लास में थे इसलिए हममें बातें होने लगीं। पर कभी उससे नाम पूछने का मौक़ा नहीं मिला। एक दिन टीचर क्लास में ही कॉपी चेक कर रही थी तब उन्होंने उसका नाम पुकारा और मुझे उसका नाम पता चल गया। उसका घर मेरे घर के ही रास्ते में पड़ता था, इसलिए हम छुट्टी होने पर साथ ही घर जाने लगे। इस तरह हम दोनों में बातचीत बढ़ने लगी। और इसके बाद हम सुबह स्कूल भी साथ ही जाने लगे। लेकिन मैंने कभी उससे प्यार का सपना नहीं देखा, न ही उसकी तरफ़ कभी कोई पहल हुई।

स्कूल के दिन

हम दोनों इंटरवल में कैंटीन साथ जाने लगे लेकिन दोनों अपने अपने बिल अलग देते थे। हमने कब हाई स्कूल पास कर लिया कुछ पता ही नहीं चला। इंटरमीडिएट में भी हमने एक ही स्कूल में एडमीशन ले लिया। मुझे 11वीं में धीरे-धीरे उससे प्यार का एहसास होने लगा। मैं अब उसके प्यार का सपना देखने लगा, लेकिन कभी मैंने उसे इस बारे में बताया नहीं। हम अब भी एक साथ ही स्कूल जाते और छुट्टी में घर लौटते थे। साथ रहते रहते उसे भी मुझे प्यार हो गया था लेकिन वो कभी ये बात कह नहीं पायी।

प्यार का सपना

जब उसे प्रोपज़ किया…

एक बार हमारे मोहल्ले में एक शादी पड़ी जिसमें वो भी आयी। उसने इतने सुंदर कपड़े पहने हुए थे कि मैं उसे देखता ही रह गया। उससे मेरी नज़र हट ही नहीं रही थी। मेरे दिल में इश्क़ के गुलाब खिलने लगे थे और उसे प्रोपोज़ करने का जी कर रहा था। मेरे दिल में उसके प्यार का सपना हक़ीक़त कब बनेगा, इस बात की मुझे बएवो शादी में अपनी सहेलियों के साथ आयी थी और उसे उनके बीच से बुलाना मुश्किल था। फिर भी मैंने एक बहाने उसे अकेले बुलाया और बातों बातों में अपने प्यार का इज़हार कर दिया। उसने जवाब में कहा कि वो इस बारे में सोचकर बतायेगी।

उसका जवाब आया

अगले दिन हम साथ ही स्कूल गए लेकिन हममें बातें नहीं हुई, बस एक हेलो के बाद हम स्कूल पहुँच गए। मैं उससे बात नहीं कर पा रहा था, सच बताऊँ तो पूरी तरह घबराया हुआ था। उस दिन पहली बार हम एक ही क्लास में साथ बैठे हुए कुछ नहीं कह पा रहे थे। स्कूल की छुट्टी हुई और मैं गेट के बाहर उसका इंतज़ार कर रहा था। लेकिन वो अकेले ही घर जाने लगी तो मुझे लगा कि शायद वो मुझसे नाराज़ हो गयी है। लेकिन कुछ दूर जाने के बाद उसने मुझे पुकारा और उसकी आवाज़ सुनकर मेरे दिल की धड़कनें और बढ़ गयीं। मैं दौड़ता हुआ उसके पास पहुँचा और हम घर की तरफ़ एक साथ जाने लगे। इस बीच उसने कहा कि तुमने कल जो पूछा था उसका जवाब नहीं चाहिए? मैंने घबराकर कहा कि – देखो, दोस्ती मत तोड़ना। वो हँसने लगी और कहा कि तुम तो बिल्कुल पागल हो, मेरा जवाब हाँ है। मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ। ये बात सुनते ही मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और प्यार की पहले स्पर्श को अनुभव किया।

इसके बाद हम बेझिझक प्यार में डूबते चले गए और हममें दिन रात बातें होने लगीं। मुझे लगा जैसे मेरे प्यार का सपना सच हो गया हो। अब हम दोनों बात-बात पर एक दूसरे के घर आने जाने लगे क्योंकि एक दूसरे को देखे बिना रहा ही नहीं जाता था। हमारे पैरेंट्स को हमारे प्यार के बारे में पता चल गया था। लेकिन उन्हें हमारे प्यार से कोई एतराज़ नहीं था। हमारे पैरेंट हम पर पूरा विश्वास करते थे। इस तरह हमने इंटरमीडिएट भी साथ-साथ पास कर लिया। इसी तरह हमने साथ-साथ गैजुएशन पूरी कर ली और हमारा प्यार किसी से भी छुपा नहीं था।

रिश्ते में दरार

अब हमारी उम्र शादी की हो चुकी थी इसलिए उसके पैरेंट्स को लगा कि हमारी शादी हो जानी चाहिए। इसलिए उन्होंने मेरे घर आकर हमारी शादी की बात की लेकिन मुझे पहले एक अच्छी जॉब की तलाश थी इसलिए मैंने शादी से इंकार कर दिया। लेकिन इससे हमारे प्यार के रिश्ते में दूरियाँ आ गयीं। वह सोच रही थी कि कहीं जॉब मिलने के बाद मैं उसे धोखा तो नहीं दूँगा, अगर जॉब मिलने के बाद भी मैंने उससे शादी नहीं की तो उसकी ज़िंदगी ख़राब हो जाएगी। मैंने उसे समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन उसके दिल की बात बार बार ज़ुबाँ पर आ ही जाती थी, पर मैं उसकी बात को समझता था और उसपर कभी ग़ुस्सा नहीं करता था। उसका दिल का डर भी तो जायज़ था।

एक दिन मुझे एक मल्टी-नेशनल कम्पनी में अच्छी पोस्ट पर जॉब मिल गयी। इसके बाद मैंने अपनी माँ से उसके घर वालों से शादी की बात करने को कहा। और फिर एक अच्छी डेट देखकर हमारी शादी की बात पक्की कर दी गयी। हम दोनों बहुत ख़ुश थे, ख़ासकर उसकी ख़ुशी तो देखने लायक़ थी। हमारी शादी आती फ़रवरी में हो गयी और इस तरह हमारे प्यार का सपना हक़ीक़त में बदल गया।

आख़िरश मेरे प्यार का सपना…

मैं अपने आप को ख़ुश क़िस्मत मानता हूँ कि मुझे मेरा प्यार मिल गया और वो सब मिला जिसकी मैंने ख़ाहिश की थी। ऐसे दुनिया में कितने लोग होंगे जिनका प्यार पूरा होता है। मैं भगवान को थैंक्यू कहता हूँ कि उसने मुझ पर अपनी कृपा रखी। तो ये थी मेरी कहानी, स्कूल लाइफ़ से प्यार मिलने तक…!

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