सूर्य की रोशनी से ऊर्जा लेकर चलने वाले विमान सोलर इंपल्स 2 _ SOLAR IMPULSE 2 ने दुनिया का चक्कर लगाकर नया इतिहास रच डाला है। इस हवाई जहाज को पेपर प्लेन के नाम से भी जाना जाता है। इसके पायलेट्स 58 वर्षीय पिकार्ड _ Bertand Piccard और 63 वर्षीय आंद्रे बोर्शबर्ग _ André Borschberg थे। इसके यह ऐतिहासिक क्षण मंगलवार 26 जुलाई 2016 को था। बिना पेट्रोलियम ईंधन पूरी तरह सौर ऊर्जा से संचालित यह विमान अबूधाबी के अलबतीन एग्ज़ीक्यूटिव एयरपोर्ट पर उतारा गया, जहाँ तालियों की गड़गड़ाहट से इसका स्वागत किया गया।
सोलर इंपल्स 2 ने अंतिम पड़ाव की अपनी सफल उड़ान काहिरा से भरी थी, और फिर 48 घंटे बाद सुबह 4:05 बजे अबूधाबी में उतर गया। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 9 मार्च 2015 को हुई थी। स्विज़रलैंड मूल के प्रोजेक्ट डायरेक्ट बरट्रांड पिकार्ड _ Bertrand Piccard काहिरा से आबूधाबी की उड़ान में कॉकपिट में रहे। यह विमान लाल साग, साऊदी रेगिस्तान और साऊदी खाड़ी के ऊपर से उड़ान भरकर ज़मीन पर लौटा। बोर्शबर्ग _ Borschberg ने बिना रुके जापान के नागोया से हवाई तक 8924 किमी की दूरी 118 घंटे में तय कर ली। जो उड्डयन इतिहास में एक रिकॉर्ड है।
सोलर इंपल्स 2 की प्रमुखता
– इस विमान को कार्बन फ़ाइबर से बनाया गया है।
– लगभग किसी कार के बराबर भारी इस विमान में बोइंग 747 जितने बड़े पंख लगे हैं।
– बैटरी चालित इस विमान में 4 इंजन हैं।
– विमान उड़ाने के लिए इसके पंखों पर 17 हज़ार सोलर बैट्ररीज़ लगी हैं।
– औसत रफ़्तार 80 किमी प्रति घंटा है।
– उड़ान के समय ऑक्सीजन सिलिंडरों द्वारा सांस ली गई।
– विपरीत मौसम से बचाव के लिए स्पेशल कपड़े पहने गए।
– पायलेट्स को 20 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान में उड़ान भरी।
– इसमें एक सीट थी
42 हज़ार किमी की उड़ान भरने के दौरान इम्पल्स-2 ने चार महाद्वीप; एशिया, उत्तरी अमेरिका, यूरोप और उत्तरी अफ़्रीका, दो महासागर और तीन समुद्र लाँघे।
सौर ऊर्जा प्रयोग का बड़ा दिन
परियोजना निर्देशक, पिकार्ड ने कहा, भविष्य स्वच्छ है, आप भविष्य हैं, भविष्य आज है। वे मानते हैं कि सौर ऊर्जा पर उड़ने वाले सोलर इंपल्स 2 ने ऊर्जा के क्षेत्र में इतिहास रचा है। वे मानते हैं कि आज हमारे पास इस परियोजना को आगे ले जाने के लिए पर्याप्त हल और टेक्नोलॉजी है।
सोलर इंपल्स 2 पर एक नज़र
उद्देश्य: जैविक ईंधन की खपत को आधा करने को प्रैक्टिकल रूप देना एवं प्राकृतिक संसाधनों की बचत के साथ जीवन स्तर में सुधार
यात्रा पड़ाव: ओमान, भारत, म्यांमार, चीन, जापान, अमेरिका (कैलिफ़ोर्निया और न्यूयॉर्क), स्पेन, इटली, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात
– उड़ान का अंतिम पड़ाव आबू धाबी
– एक वर्ष में अपनी यात्रा पूरी की
– 9 मार्च 2015 में उड़ान भरी
– कुल 40000 किमी दूरी तय की
– पूरी तरह सौर ऊर्जा संचालित विमान
– 23 जून 2015 न्यूयॉर्क से अटलांटिक महासागर तक 6272 किमी की उड़ान 70 घंटे में पूरी करके स्पेन में उतरा। सोलर एनर्जी से उड़ने वाले विमानों में यह पहला ऐसा था।
– भारत में पहले अहमदाबाद और फिर बनारस में उतरा।
– चीन से म्यांमार की यात्रा के समय 28000 फ़ीट की ऊंचाई पर उड़ा।
Sourch & Image Credits – solarimpulse.com