सूर्य नमस्कार सभी योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है। इस आसन को सुबह सूर्य के सामने करने चाहिए। जिससे हमे विटामिन डी मिलता है। इसके नियमित अभ्यास से मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। वज़न और मोटापा घटाने में भी सूर्य नमस्कार आसन (Surya Namaskar Aasan) बेहद लाभकारी है। इसके अभ्यास से साधक का शरीर निरोगी और स्वस्थ रहता है। इस आसन को बच्चों से लेकर बड़ों तक, स्त्री हो या पुरुष कोई भी कर सकता है।
सूर्य नमस्कार के लाभ
Benefits of Surya Namasakar Aasan
सूर्य नमस्कार से हमारा सारा शरीर प्रभावित होता है। इससे हमारे शरीर को शक्ति और स्फूर्ति मिलती है। सूर्य नमस्कार से शरीर की मांस पेशियाँ, आमाशय, जिगर, गुर्दे, पित्ताशय, फुसफुस को बल मिलता हैं, रीढ़ की हड्डी मज़बूत बनती और कमर में लचक उत्पन्न होती है। सूर्य नमस्कार हमारे शरीर के त्वचा सम्बन्धित रोगों का, उदर के रोगों का शमन करता और पाचनतंत्र की क्रियाशीलता में वृद्धि करता है। इसके नियमित अभ्यास से मन एकाग्र होता है और आलस्य, अतिनिद्रा आदि विकार दूर हो जाते हैं। सूर्य नमस्कार करने से आँखों की रोशनी बढ़ती है, ख़ून का प्रवाह तेज़ होता है, ब्लड प्रेशर में आराम मिलता है और कई रोगों से छुटकारा मिलता है। सूर्य नमस्कार की तीसरी व पांचवीं स्थितियाँ सर्वाइकल एवं स्लिप डिस्क वाले रोगियों के लिए वर्जित हैं।
सूर्य नमस्कार के 12 आसन व विधियाँ
Surya Namaskar Ke 12 Aasan
सूर्य नमस्कार में कुल 12 आसन होते हैं। इसमें 6 विधि के बाद फिर उन्हीं 6 विधि को उल्टे क्रम में दोहराते हैं। इस आसन को सुबह सूर्य की किरणों के सामने करना चाहिए। इन आसनों का अभ्यास स्वच्छ और खुलें हवादार वातावरण में करें। इन आसनों को क्रम बद्ध रूप से करना चाहिए।
सूर्य नमस्कार को स्टेप बाई स्टेप करने की विधि
Surya Namaskar Aasan Step by Step in Hindi
1. प्रणामासन । Pranamasana
पहले सीधे खड़े हो जाएँ। फिर दोनों हाथों को कंधे के समानांतर उठायें। दोनों हथेलियों को ऊपर की ओर ले जाएँ। हथेलियों के पृष्ठ भाग एक-दूसरे से चिपके रहें। फिर उन्हें उसी स्थिति में सामने की ओर लाएँ। तत्पश्चात नीचे की ओर गोल घुमाते हुए नमस्कार की मुद्रा में खड़े हो जाएँ।
2. हस्तउत्तानासन । Hastauttanasan
अब गहरी श्वास भरें और दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं। अब हाथों को कमर से पीछे की ओर झुकाते हुए भुजाओं और गर्दन को भी पीछे की ओर झुकाएँ।
3. हस्तपादासन । Hasta Padasana
इस स्थिति में आगे की ओर झुकतें हुए श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालें। हाथों को गर्दन के साथ, कानों से लगाते हुए नीचे लेकर जाएँ और हाथों से पृथ्वी का स्पर्श करें। अब कुछ क्षण इसी स्थिति में रुकें और घुटनों को एक दम सीधा रखें।
4. अश्वसंचालासन । AshwaSanchalanasana
इस स्थिति में हथेलियों को भूमि पर रखें। श्वास को लेते हुए दायें पैर को पीछे की ओर ले जाएँ। अब गर्दन को ऊपर की ओर उठाएँ। अब इस स्थिति में कुछ समय तक रुकें।
5. अधोमुखश्वानासन । Adho Mukha Svanasana
इस स्थिति में श्वास को धीरे-धीरे छोड़ते हुए बायें पैर को पीछे की ओर ले जाएँ। ध्यान रहें इस स्थिति में दोनों पैरों की एड़ियाँ परस्पर मिली हुई हों। अब गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कंठ में लगाने का प्रयास करें।
6. अष्टांगनमस्कारासन । AshtangaNamaskara
इस स्थिति में धीरे धीरे श्वास लें और शरीर को पृथ्वी के समानांतर रखें जैसे आप दंडवत प्रणाम के समय होते हैं, ठीक उसी के प्रकार शरीर को पृथ्वी के समानांतर रखें। अब घुटने, छाती और ठोड़ी पृथ्वी पर लगा दें। छाती को थोड़ा ऊपर उठायें। अब धीरे धीरे श्वास छोड़े।
7. भुजंगासन । Bhujangasana
इस स्थिति में धीरे-धीरे श्वास को लेते हुए छाती को आगे की ओर खींचे। हाथों को सीधे रखें, हथेलियां पृथ्वी पर लगी हों। अब गर्दन को धीरे धीरे पीछे की ओर ले जाएँ। घुटने पृथ्वी का स्पर्श करें तथा पैरों के पंजे खड़े रहें।
8. अधोमुखश्वानासन । AdhoMukhaSvanasana
यह स्थिति पांचवीं स्थिति के समान है। इस स्थिति में श्वास को धीरे-धीरे छोड़ते हुए बायें पैर को पीछे की ओर ले जाएँ। ध्यान रहें इस स्थिति में दोनों पैरों की एड़ियां परस्पर मिली हुई हों। अब गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कंठ में लगाने का प्रयास करें।
9. अश्वसंचालासन । AshwaSanchalanasana
यह स्थिति चौथी स्थिति के समान है। इस स्थिति में हथेलियों को भूमि पर टिकाएं। श्वास को लेते हुए दायें पैर को पीछे की ओर ले जायें। अब गर्दन को ऊपर उठाएँ। अब इस स्थिति में कुछ समय तक रुकें।
10. हस्तपादासन । Hasta Padasana
यह स्थिति तीसरी स्थिति के समान हैं। इस स्थिति में आगे की ओर झुकतें हुए श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालें। हाथों को गर्दन के साथ, कानों से लगाते हुए नीचे लेकर जाएँ और हाथों से पृथ्वी का स्पर्श करें। अब कुछ क्षण इसी स्थिति में रुकें और घुटनों को एक दम सीधा रखें।
11. हस्तउत्तानासन । Hastauttanasana
यह स्थिति दूसरी स्थिति के समान हैं। इसमें धीरे धीरे श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की ओर तानें तथा भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकायें।
12. प्रणामासन । Pranamasana
यह स्थिति पहली स्थिति के समान रहेंगी।
सूर्य नमस्कार को करने के बाद कुछ देर शवासन करें।
सूर्य नमस्कार की बारह स्थितियाँ हमारे शरीर के समस्त रोगों को दूर कर हमें निरोगी बनाती हैं। इसके नियमित अभ्यास से शरीर की फ़ालतू चर्बी कम हो जाती है। तो इस आसन के नियमित अभ्यास से निरोगी काया को पायें और एक स्वस्थ जीवन बितायें।
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