टाइफायड एक तरह का बुखार है जो साल्मोनेला टाइफी _ Salmonella typhi नामक बैक्टीरिया के संक्रमण से होता है। इसे आंत्र ज्वर भी कहा जाता है। इसमें तेज़ बुखार चढ़ता है जो ज़्यादा-कम होता रहता है। इस बीमारी के दूर होने की सामान्य अवधि 21 दिन होती लेकिन अच्छी एंटीबायोटिक दवाओं के आ जाने अब एक सप्ताह में भी यह बुखार ठीक होने लगा है। इसके साथ पीलिया, निमोनिया, मेनिन्जाइटिस आदि हो सकता है। इस बुखार में सिर दर्द, बेचैनी, सूखी खांसी व नाक से ख़ून भी आ सकता है। पेट दर्द, एसीडिटी, भूख न लगना, कब्ज़ आदि की शिकायत भी देखने को मिलती है। किसी-किसी रोगी की छाती व पेट पर दाने निकल आते हैं, हृदय की धड़कन मंद हो सकती है। ठीक से इलाज न होने पर यह टाइफायड बुखार जानलेवा हो सकता है।
टाइफायड बुखार से बचाव
– दूषित व खुले में रखे खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
– शौच के बाद साबुन से ठीक से हाथ धोएं। भोजन करने के पूर्व भी हाथ अच्छी तरह साफ़ कर लेना चाहिए।
– इस बुखार का कोई भी लक्षण दिखे तो तत्काल योग्य चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
-जिसे टाइफायड बुखार हो गया है उसे साफ़-सफ़ाई के प्रति सावधान रहना चाहिए, थोड़ी सी लापरवाही से पुन: हो सकता है।
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टाइफायड बुखार के लिए क्या करें
– तुलसी की पत्ती व अदरक का 10-10 मिली रस व पांच काली मिर्च का चूर्ण एक चम्मच मधु के साथ रोगी को दें और चादर ओढ़ाकर सुला दें। थोड़ी देर के बाद बुखार उतर जाएगा।
– एक लीटर पानी में 10 मिली तुलसी की पत्तियों का रस, 10 ग्राम दालचीनी, 10 ग्राम जावित्री को डालकर तब तक उबालें जब पानी एक चौथाई रह जाए। इसे थोड़ी-थोड़ी देर में रोगी को पिलाते रहें, इससे टाइफायड बुखार में आराम मिलता है।
– मुन्नका, बड़ी इलायची, छोटी पीपल दो-दो नग, लौंग चार नग, काली मिर्च पांच नग, काकड़ा सिंगी, नागरमोथा, खुबकला, सोंठ व मुलहटी तीन- तीन मासा, तुलसी पांच पत्ते, पांच बतासा एक साथ कूट-पीसकर तैयार करें और एक पाव पानी में मिलाकर खुले बर्तन में उबालें। जब एक चौथाई पानी बचे तो उसे छानकर तीन रात सोने के पूर्व रोगी को पिला दें। टाइफायड ठीक होने के लिए ये तीन काढ़ा काफी हैं। बच्चों की उम्र के हिसाब से काढ़ा की मात्रा कम कर सकते हैं।
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