हल्दी के बारे में तो आप जानते ही होंगे। आज मैं आंबा हल्दी के औषधीय उपयोग के बारे में बताने जा रहा हूं। इसके पौधे भी हल्दी के जैसे ही होते हैं। इसके पत्ते लंबे तथा नुकीले होते हैं। इसकी गांठ हल्दी से थोड़ी बड़ी तथा भीतर से थोड़ी लाल होती है जबकि हल्दी की गांठ छोटी और भीतर से पीली होती है। इसमें सिकुड़न तथा झुर्रियां नहीं होती हैं। यह पाचक व वायु को शांत करने वाली है। पथरी को तोड़ने वाली व रुक-रुक कर पेशाब आने की समस्या को समाप्त करने वाली है। इसका लेप घाव व चोट में भी लाभ करता है। खांसी, सांस रोग व हिचकी में भी यह लाभ पहुंचाती है। इसका मंजन करने से मुंह के रोग विदा हो जाते हैं। इसका अधिक मात्रा में सेवन हृदय को नुकसान पहुंचा सकता है। आइए जानें कि इसका विभिन्न रोगों में क्या उपयोग हैं।
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आंबा हल्दी के फ़ायदे
१. सूजन
एलोवेरा के गूदे में आंबा हल्दी डालकर थोड़ा गर्म करके बांध देने पर सूजन चली जाती है। इससे घाव भी भरता है।
२. चेचक के दाग़
चेचक का दाग़ मिटाने के लिए सरकंडे की जड़, जलाई हुई कौड़ी व आंबा हल्दी को कूटकर छान लें। इसे भैंस के दूध में मिलाकर रात को सोते समय लगा लें। उसी समय रात को पानी में भूसी भिगो दें। सुबह उठकर उस भूसी वाले पानी से मुंह से धो लें, शाम को भी भूसी वाले पानी से मुंह धुलें तो अधिक लाभकारी होगा। कुछ दिन के नियमित प्रयोग से चेचक के दाग़ चले जाएंगे।
३. चोट
– 10-10 ग्राम आंबा हल्दी व चोट सज्जी लेकर पानी में पीस लें। इसे कपड़े पर लगाकर चोट या मोच पर बांध देने से लाभ होता है। केवल आंबा हल्दी को भी पीसकर गर्म करके बांध देने से चोट व सूजन दूर हो जाती है।
– 20-20 ग्राम पपड़िया कत्था व आंबा हल्दी तथा तीन-तीन ग्राम कूपर व लौंग लेकर पानी के साथ पीस लें और उसे चोट या मोच पर बांध दें। आराम मिलेगा।
– 10-10 ग्राम मुरमक्की, आंबा हल्दी व मेदा लकड़ी लेकर पानी के साथ पीस लें और थोड़ा गर्म करके चोट या मोच पर बांध देने से आराम मिलता है।
– 3 ग्राम आंबा हल्दी सुबह शाम पानी से लें। दस-दस ग्राम मेदा लकड़ी, कुरंड, चोट सज्जी, कच्ची फिटकरी व आंबा हल्दी पीसकर कपड़े पर लगाकर चोट पर बांधने से आराम मिलता है।

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४. घाव
10-10 ग्राम चोट सज्जी व आम्बा हल्दी लेकर पानी के साथ पीस लें और 50 मिली गर्म तेल में उसे मिला दें। ठंडा होने पर रूई में भिगोकर घावों पर लगाने से लाभ होता है।
५. हड्डी
10-10 ग्राम आंबा हल्दी व चौधारा लेकर घी में भून लें। उसमें पांच-पांच ग्राम सज्जी व सेंधानमक मिलाकर टूटी हड्डी व अंदर की चोट में लाभ होता है।
६. गिल्टी (ट्यूमर)
– अलसी, घीग्वार, आंबा हल्दी व ईसबगोल को एक में मिलाकर आग पर थोड़ा गर्म कर लें और उसे गिल्टी पर बांधें। कुछ दिन के नियमित प्रयोग से लाभ होगा। सूजन चली जाएगी।
– 10-10 ग्राम आम्बा हल्दी, राल व गुड़ तथा 6-6 ग्राम नीलाथोथा व गुग्गुल लेकर पीस लें और उसमें थोड़ा सा गुड़ मिलाकर गिल्टी पर बांध दें, जल्दी फूट जाएगी और आराम मिलेगा।
– समान मात्रा में चूना, आंबा हल्दी व गुड़ मिलाकर एक में पीस लें और गिल्टी पर बांध लें। इससे भी गिल्टी जल्दी फूटती है।
७. पेट दर्द
काला नमक व आंबा हल्दी मिलाकर पानी के साथ पीने से पेट दर्द में राहत मिलती है।
८. उपदंश (फिरंग)
10-10 ग्राम राल, गुड़ व आम्बा हल्दी तथा 6-6 ग्राम नीला थोथा व गुग्गुल मिलाकर पीसकर बांध दें, जल्दी आराम मिलता है।

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९. पीलिया
5 ग्राम सफेद चंदन, 7 ग्राम आंबा हल्दी का चूर्ण मधु में मिलाकर एक सप्ताह तक सुबह-शाम खाने से पीलिया रोग विदा हो जाता है।
१०. खाज व काला दाग
त्वचा पर कहीं भी खुजली या काला दाग़ है तो आंबा हल्दी को पीसकर लगाने से दोनों में अराम मिलता है। खाज-खुजली व दाग़ मिट जाते हैं।