भृंगराज के औषधीय उपयोग

बालों के लिए भृंगराज का कोई जवाब नहीं है लेकिन इसमें और भी औषधीय गुण होते हैं, जिनसे सामान्‍य व्‍यक्ति परिचित नहीं है। इसके सही प्रयोग से कैंसर जैसी बीमारी से भी लड़ा जा सकता है। कहा जाता है कि कायाकल्‍प करने की भृंगराज में अद्भुत क्षमता है। इसका (अंग्रेजी नाम : False Daisy; वैज्ञानिक नाम : Eclipta alba) आस्टेरेसी (Asteraceae) वंश का पौधा है। यह अधिकतर नमी वाले स्थानों में उगता है। वैसे तो यह लगभग पूरे संसार में उगता है किन्तु भारत, चीन, थाइलैंड एवं ब्राजील में बहुतायत पाया जाता है।

false daisy plant

भृंगराज के उपयोग

१. पेट के रोग

– भृंगराज की पत्तियों का रस या दस ग्राम चूर्ण दही में मिलाकर खाने से पेट की ख़राबी दूर होती है।

भृंगराज के पौधे का चूर्ण व हर्रा के फलों का चूर्ण समान मात्रा में लेकर गुड़ के साथ सेवन करने से एसिडिटी से निजात मिलती है।

२. गुदाभ्रंश

गुदाभ्रंश में मल द्वार थोड़ा बाहर निकल आता है। ऐसी समस्‍या में हल्‍दी व भृंगराज की जड़ पीसकर मलद्वार पर लगाने से लाभ होता है और कीड़ी काटने की बीमारी भी दूर होती है।

३. पीलिया

– पीलिया रोग में भृंग राज को जड़ से उखाड़कर उसका चूर्ण बना लें और उसमें मिश्री मिलाकर सौ ग्राम चूर्ण खा लें। इससे पीलिया समाप्त हो जाता है।

– भृंगराज के पौधे का 10 ग्राम रस निकालें और एक ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर दिन में तीन बार पिलाएं। तीन दिनों में ही लाभ दिखने लगेगा।

४. सफेद दाग़

सफ़ेद दाग़ को भी ख़त्‍म करने में भृंग राज कारगर है। इसके लिए काली पत्तियों व काली शाख़ाओं वाला भृंगराज ज़रूरी है। रोज़ दिन में एक पौधा आग पर सेंककर खाया जाता है। चार माह के नियमित प्रयोग से लाभ मिलता है।

५. गर्भस्राव

यह गर्भाशय को शक्तिशाली बनाता है। जिन स्त्रियों को गर्भस्राव की बीमारी है, उनके लिए यह काफ़ी लाभकारी है। ऐसी स्त्रियों को भृंगराज की ताज़ी पत्तियों का 5 ग्राम रस नित्य पीना चाहिए।

भृंगराज का फूल और पत्ते

६. आंखों की रोशनी

भृंगराज आंखों की रोशनी भी बढ़ाता है। इसकी पत्तियों का तीन ग्राम पाउडर एक चम्‍मच मधु में मिलाकर प्रतिदिन सुबह सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

७. तुतलाना

तुतलाने की समस्‍या में भृंग राज के पौधे के रस में देशी घी मिलाकर आग पर पका लें और एक माह तक नियमित पिलाएं। तुतलाने की समस्‍या दूर हो जाएगी।

८. बालों को काला करे

– किसी योग्‍य वैद्य से त्रिफला के चूर्ण को भृंगराज के रस की 3 बार भावना दिलाकर सुखा लें और रोज़ पानी के साथ आधा चम्मच लें। इससे बाल असमय सफ़ेद नहीं होते।

– सोने के पहले भृंगराज की नई पत्तियों का रस सिर पर मलने से बाल काले होने लगते हैं।

– आंवला व भृंगराज के नए पत्‍तों को पीसकर बालों की जड़ों में लगाने से लाभ होता है।

९. यकृत के रोग

भृंगराज यकृत की सभी बीमारियों को ठीक रखने की सामर्थ्‍य रखता है। इसके लिए इसका दस ग्राम तत्काल निकाला रस पीना चाहिए। ध्‍यान रहे जिस दिन इसका रस पियें, उस दिन केवल दूध पीकर ही रहें, भोजन न करें। यदि यह प्रयोग एक माह तक किया जाए तो कायाकल्‍प भी संभव है।

१०. योनिशूल

प्रसव के बाद महिलाओं को योनिशूल बहुत परेशान करता है। योनिशूल की स्थिति में समान मात्रा में भृंगराज व बेल की जड़ लेकर उसका पाउडर बना लें। पांच ग्राम पाउडर मधु के साथ खिलाएं। यह औषधि दिन में एक बार लेना बहुत है। एक सप्‍ताह के नियमित प्रयोग से योनिशूल ख़त्‍म हो जाता है।

११. भृंगराज का तेल

भृंगराज का तेल बालों के लिए अत्‍यंत उपयोगी है। इसके पत्तों का रस निकालकर उतनी ही मात्रा में उसमें नारियल तेल मिलाकर धीमी आंच पकाएं, जब केवल तेल बचे तो आग से उतार लें। यह तेल काले, घने बालों के लिए बहुत उपयोगी है। इसे आंच पर रखने से पहले इसमें आंवला का भी रस मिला लिया जाए तो यह और गुणकारी होता है। बाल झड़ने या रूसी में यह अत्‍यंत गुणकारी है।

१२. माइग्रेन

अधकपारी यानी माइग्रेन के दर्द में भृंगराज की पत्तियों को बकरी के दूध में उबालकर इसकी कुछ बूंद नाक में डालने से लाभ होता है।

१३. शैंपू

आंवला व भृंग राज के नए पत्‍ते, नीम, शिकाकाई, काला तिल व रीठा पीसकर पेस्‍ट बना लें। यह हर्बल शैंपू का कार्य करेगा। इससे बालों की जड़ें मजबूत होंगी तथा बाल साफ़-सुथरे रहेंगे। असमय पकेंगे भी नहीं।

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