अनुलोम विलोम को करने की विधि और लाभ

शरीर की शुद्धि के लिए जैसे स्नान की आवश्यकता होती है, ठीक वैसे ही मन की शुद्धि के लिए प्राणायाम की आवश्यकता होती है। प्राणायाम से हम स्वास्थ्य और निरोगी होते हैं। इससे हम दीर्घायु बनते हैं। इसे करने से हमारी स्मरण शक्ति बढ़ती है और हम रोग मुक्त रहते हैं। इससे मन की चंचलता दूर होती है और मन एकाग्र होता है। तो आज हम आपको अनुलोम विलोम प्राणायाम को करने की विधि और लाभ के बारे में बतायेंगें।

Anulom Vilom Pranayam, अनुलोम विलोम प्राणायम

अनुलोम विलोम प्राणायाम

अनुलोम विलोम एक तरह का प्राणायाम है जिसे करने से कई बिमारियों में आराम मिलती है। इसमें अनुलोम का अर्थ है सीधा और विलोम का अर्थ है उल्टा। अनुलोम विलोम में बार बार सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को दोहराया जाता है।
लेकिन इस क्रिया को भी तीन प्रकार से करते हैं-1.पूरक, 2.कुम्भक और 3.रेचक।

1.पूरक

धीरे धीरे या एक नियंत्रित गति से श्वास अंदर लेने की क्रिया को पूरक कहते हैं।

2.कुम्भक

अंदर ली हुई श्वास को क्षमतानुसार रोककर रखने की क्रिया को कुम्भक कहते हैं।

3.रेचक

अंदर ली हुई श्वास को धीरे धीरे या एक नियंत्रित गति से छोड़ने की क्रिया को रेचक कहते हैं।
इस प्रकार इन तीनों प्रक्रियां को एक नियंत्रित गति से करना ही अनुलोम-विलोम कहलाता हैं।

अनुलोम विलोम करने का तरीका

  1. किसी खुली हवा में एक दरी बिछा लें।
  2. अब उस दरी पर अपनी कमर को एकदम सीधा करके आलथी पलथी मार कर बैठ जाएँ।
  3. अब दाएं हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छेद को बंद करें और बाएं नाक से सांस अन्दर की ओर धीरे धीरे खीचें और फिर बंद नाक यानि दाई नाक को धीरे धीरे खोलते हुए उससे सांस को बाहर की ओर धीरे धीरे छोड़ें।
  4. ठीक इसी प्रकार अब बाएं हाथ के अंगूठे से नाक के बाएं छेद को बंद करें और दाएं नाक से सांस अन्दर की ओर धीरे धीरे खीचें और फिर बंद नाक यानि बाएं नाक को धीरे धीरे खोलते हुए उससे सांस को बाहर की ओर छोड़ें।
  5. इस प्रकार इस प्रक्रिया को कम से कम 10 से 12 बार करें।

अनुलोम विलोम प्राणायाम के लाभ

  1. नियमित अभ्यास से शरीर स्वास्थ्य और निरोगी रहता है।
  2. स्मरणशक्ति बढ़ती है।
  3. नियमित अभ्यास से शरीर कफ, पित्त आदि रोग से बचाव रहता हैं।
  4. नियमित करने से फेफड़े स्वस्थ रहते हैं।
  5. दिल स्वस्थ रहता है। इस आसन को करने से हम जब ज़ोर ज़ोर से सांस अंदर की ओर लेते हैं तो शुद्ध वायु शरीर के अंदर जाकर सभी दूषित तत्वों को बाहर निकाल देती है जिससे शरीर में रक्त संचार अच्छे से होने लगता है।
  6. मन की चंचलता दूर होती है और मन एकाग्रचित होता है।

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