बहुमूत्र रोग से पाएं निजात

बहुमूत्र रोग यानी बार-बार पेशाब लगने की समस्‍या एक उम्र के बाद होने लगती है। युवावस्‍था में भी कमज़ोरी के चलते संभव है कि यह समस्‍या हो जाए। यह गंभीर रोग न होने के बावजूद परेशान बहुत करता है। ख़ासकर सफ़र में बड़ी दिक्‍कत होती है वह भी जब आप बस से यात्रा कर रहे हों। कभी-कभी यह रोग इतना परेशान करता है कि हर दस मिनट पर पेशाब महसूस होने लगता है। ऑफ़िस में काम करने या किसी ज़रूरी कार्य में व्‍यस्‍त होने पर यह समस्‍या अड़चन खड़ी करने लगती है। यदि यह रोग हो गया है तो बिल्‍कुल नहीं घबराएं, इस रोग की औषधियां आपके घर में मौजूद हैं, जिनका प्रयोग कर इससे हमेशा के लिए निजात पा सकते हैं। आज हम आपसे इन्‍हीं औषधियों के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं।

बहुमूत्र रोग

बहुमूत्र रोग दूर करने का लड्डू

भुना हुआ आधा किलो काला तिल और डेढ़ सौ ग्राम आंवला मिला लें, इसमें ज़रूरत के मुताबिक गुड़ डालकर 15-15 ग्राम के लड्डू बना लें। इस लड्डू का सुबह-शाम सेवन करने से बहुमूत्र रोग छू-मंतर हो जाएगा। ध्‍यान यह रखना है कि लड्डू खाने के बाद आधा घंटे तक पानी नहीं पीना है।

अन्‍य घरेलू उपचार

– आवंले के पांच ग्राम रस में मधु व एक चुटकी हल्‍दी मिलाकर पीने से थोड़ी ही देर में लाभ होता है।

– रोज़ मूली खाने से बहुमूत्र रोग की समस्‍या खत्‍म हो जाती है।

आंवले का पाउडर व गुड़ मिलाकर खाने से लाभ होता है।

– तीन-तीन ग्राम जवाखार व मिसरी ताज़ा पानी के साथ लेने यह समस्‍या समाप्‍त हो जाती है।

– कलमी शोरा, दालचीनी, राई, टेसू के फूल व काला तिल समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण दो ग्राम मात्रा में सुबह-शाम मधु के साथ सेवन करने से बहुमूत्र रोग ठीक हो जाता है।

– घी में बबूल का गोंद भूनकर खाने से लाभ मिलता है।

– अदरक का ताज़ा रस लेने से रुका हुआ पेशाब बाहर आ जाता है और बहुमूत्र रोग में लाभ होता है।

– बहेड़ा का छिलका व जामुन की गुठली पीसकर चूर्ण बना लें। चार ग्राम चूर्ण रोज़ पानी के साथ आठ दिन तक नियमित लेने से बार बार पेशाब होना ख़त्म हो जाता है।

– एक किलो पानी में एक पाव दूध व दस ग्राम कलमी शोरा मिला लें। इसे दिन में दो बार पीने से पेशाब खुलकर आता है और बार-बार पेशाब लगने की समस्‍या दूर हो जाती है।

– तीन-तीन दाना मुनक्‍का व काली मिर्च तथा छह दाना पिस्‍ता सुबह-शाम चबाने से बार-बार पेशाब जाने की समस्‍या से छुटकारा मिलता है। यह प्रयोग पंद्रह दिन करना चाहिए।

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