बवासीर का इलाज करने की विधियां

खानपान की बिगड़ी आदतों के कारण बवासीर जिसे पाइल्स या हेमोर्राइड कहते हैं, से कई लोग परेशान हैं। अव्यवस्थित दिनचर्या और कार्यशैली भी काफ़ी हद तक इसके लिए ज़िम्मेदार है। बवासीर में असहनीय दर्द हो सकता है, जो काफ़ी पीड़ादायक होता है। बवासीर में मलाशय के आस पास के भाग की नसों में सूजन और गांठे पड़ जाती हैं। इस लेख में बवासीर का इलाज आयुर्वेदिक दवाओं और योग के आधार पर बताया जा रहा है।
बवासीर गुदा के अंदर या बाहर हो सकता है। अंदर वाला बवासीर होने पर मस्सा अंदर की ओर होता है, जिससे नसों की सूजन दिखती है लेकिन महसूस होती है। इसके विपरीत बाहर वाले बवासीर में सूजन गुदा द्वार के बाहर होती है, इसलिए से देखा जा सकता है। कब्ज़ बवासीर के प्रमुख कारणों में से एक है।
बवासीर का इलाज
पेट साफ़ करते समय ज़ोर लगाने से अंदर वाले बवासीर में मस्से बाहर की ओर आते हैं, जिससे पीड़ा होती है। कड़े मल द्वारा मस्सों के छिलने का डर रहता है, जिससे ख़ून आ सकता है और घाव बन सकता है। बाहर वाले बवासीर में मस्से बाहर की ओर ही होते हैं, जिससे बैठने में परेशानी और दर्द होता है। इस पर हल्की सूजन और जलन महसूस होती है। कब्ज़ से परेशान मरीज़ के ये मस्से फट सकते हैं, जिससे रिसता ख़ून देखकर मरीज़ डर जाता है।
एलोपैथिक इलाज में सर्जरी की जाती है, जिसमें काफ़ी खर्च आता है। लेकिन कई बार सर्जरी सफल न होने से बवासीर की समस्या दुबारा झेलनी होती है। आयुर्वेदिक दवाओं से बवासीर का इलाज किया जा सकता है।

बवासीर का इलाज के तरीके

1- बवासीर का आयुर्वेदिक उपचार
2- बवासीर का होम्योपैथिक इलाज
3- बवासीर का इलाज बाबा रामदेव की औषधि से
4- बवासीर का इलाज योग अभ्यास से

बवासीर के लक्षण

1. मल त्याग के समय पीड़ा और रक्त स्राव
2. गुदा द्वार के आस पास सूजन, जलन और दर्द
3. कब्ज़, ख़राब हाज़मा और भूख में कमी, साथ ही पेट में गैस की समस्या
4. शारीरिक कमज़ोरी होना और चेहरे में सूजन रहना

आयुर्वेद में बवासीर का उपचार

1. नियमित व्यायाम अति आवश्यक है।
2. फलों का ताज़ा रस और सब्ज़ियों का सूप फ़ायदेमंद है।
3. रोज़ाना 4 लीटर पानी पीने की आदत बनाएं।
4. ख़ूनी बवासीर हो तो नींबू को काटपर उस पर पिसा कत्था लगाकर रात भर खुली छत पर रखें और सुबह जगते ही इनका रस चूस लें। इसके लिए 15 मिनट का समय रखें। उदड़ दाल और मांस मछली से परहेज़ करने ज़रूरत है। इस प्रयोग को 5 दिन करने के बाद आप फ़ायदा स्वयँ महसूस करेंगे।
5. एक केले को बीच से काटकर उस पर पिसा कत्था छिड़ककर रात भर खुली छत पर रखें और सुबह जगते ही इसका सेवन करें। एक सप्ताह में अपको परिणाम दिख जाएंगे।
6. 10 ग्राम धुले हुए तिल और ताज़ा मक्खन चबाकर खाने से ख़ूनी बवासीर का इलाज सम्भव है।
7. 50 ग्राम बड़ी इलायची को तवे पर भून लीजिए। ठंडी करके इसका पाउडर बना लें। रोज़ सुबह ख़ाली पेट यह बड़ी इलायची का भुना चूर्ण लेने से कब्ज़ की शिक़ायत दूर हो जाती है।
8. रसेदार खाद्य वस्तुओं का सेवन अपने भोजन में अवश्यक करें। सेब, संतरा, नींबू और दही आदि काफ़ी लाभकारी है।
9. 1 चम्मच शहद में एक चौथाई चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर खाने से बवासीर का इलाज कर पाना संभव है।
10. 50 ग्राम रीठे को तवे पर रखकर नीचे आग जलाएं। आधे घंटे बाद रीठे भस्म हो जाएंगे। इस भस्म को ठंडा होने के बाद पीसकर बारीक़ कर लें। अब 20 ग्राम रीठे की भस्म, 10 ग्राम सफेद कत्था और 3 ग्राम कुश्ता फोलाद पीसकर चूर्ण बनाएं। 1 ग्राम चूर्ण को 20 ग्राम मक्खन और 1 गिलास दूध के साथ रोज़ लें। ये उपाय 15 दिन करने से ख़ूनी बवासीर का इलाज हो जाएगा।

बवासीर में परहेज़

1. गुड़, गोश्त, आम और अंगूर न खाएं।
2. कब्ज़ की समस्या न बनने दें।
3. उड़द की दाल और मांस मछली न खाएं।
4. खट्टे, मिर्च मसालेदार और चटपटे व्यंजनों को खाना छोड़ दें।
5. पूरी तरह बवासीर का इलाज होने तक शराब न पिएं। चाय और कॉफ़ी की मात्रा भी सीमित करें।

बवासीर के लिए मरहम

1. 3 गोली सल्फाडायजीन, 6 ग्राम कपूर और 6 ग्राम बोरिक एसिड मिलाकर बारीक़ मिलाकर बारीक़ पीस लें। इसे 50 ग्राम वैसलीन में मिलाकर मिश्रण तैयार करें। दिन में 2 बार इसे मस्सों पर लगाना चाहिए।
2. बवासीर के मस्सों पर अरंडी का तेल मलने से राहत मिलती है।
3. जीरे को पीस मस्सों पर लगाने से आराम पहुंचता है।

होम्योपैथ में बवासीर का इलाज

होम्योपैथ एक जानी मानी चिकित्सा पद्धति है, इसमें भी बवासीर का इलाज मौजूद है। इसके लिए कुछ दवाएं अग्रलिखित हैं:
1. Hamamelis
2. Ratanhia
3. Graphites
4. Nux Vomica
5. Aesculus
उपरोक्त दवाओं के इस्तेमाल से पूर्व होम्योपैथ डॉक्टर से परामर्श अवश्य कर लें। साथ ही परहेज़ की सलाह भी लें।

बाबा रामदेव की दवा

बवासीर का इलाज करने के लिए बाबा रामदेव की दवा का प्रयोग भी प्रचलन में है। इस दवा का नाम दिव्य अर्श कल्प वटी है। यह आपको किसी भी पतांजली स्टोर पर मिल जाएगी।

सेवन की विधि

– दिव्य अर्श कल्प वटी की 2 गोलियां दिन में दो बार लेनी चाहिए। दिन में ख़ाली पेट और रात को खाने से पहले सेवन करें।
– आप यह दवा पानी, लस्सी या एलो वेरा जूस के साथ ले सकते हैं।

योग द्वारा बवासीर का उपचार

प्राणायाम अनेक मर्ज़ों की एक दवा है। बवासीर में भी प्राणायाम लाभ पहुंचाता है। साथ ही अनुलोम विलोम और कपालभाती करने से पाइल्स में जल्द आराम मिलता है।

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