भूमि आंवला – अनेक बीमारियों की औषधि

भूमि आंवला को भुई आंवला या भू-धात्री भी कहा जाता है। यह स्‍वत: उगता है और जगह-जगह मिल जाता है। अक्‍सर घर के गमले में भी उसकी उत्‍पत्ति हो जाती है और लोग उखाड़कर फेंक देते हैं। यह बहुत ही छोटा व पतला पौधा होता है। इसकी पत्तियां आंवले जैसी होती हैं और उसमें फल भी छोटे-छोटे आंवले जैसे लगते हैं। शरीर के विजातीय तत्‍वों को बाहर निकालने की इसकी क्षमता बेजोड़ है। पीलिया के रोग में इसका प्रयोग रामबाण है। साथ ही मुंह में छाले, मसूढ़ों में सूजन, मूत्र व जननांग विकारों में इसका उपयोग किया जाता है। शरीर के अंदरूनी घावों व सूजन में लाभदायक है तथा टूटी हड्डियों पर इसे पीसकर लगाया जाता है। पेट में कीड़ों को पनपने नहीं देता है और लीवर को मज़बूत करता है। एनीमिया, अस्थमा, ब्रोकइटिस, खांसी, पेचिश, सूजाक, हेपेटाइटिस, पीलिया व पेट के ट्यूमर में यह काफी उपयोगी है। भूमि आंवला की जड़ व बीजों को पीसकर महिलाओं को रजोनिवृत्ति के समय पिलाया जाता है। इसकी पत्तियों में शीतलता होती। ये पत्तियां गर्भाधान में भी मदद करती हैं।

भूमि आंवला , भुई आंवला

भूमि आंवला के फ़ायदे

– भूमि आंवला लीवर की सबसे अच्‍छी व उपयोगी औषधि है। लीवर की वृद्धि व सूजन को ख़त्‍म करने के साथ ही यह पीलिया को जड़ से समाप्‍त कर देता है। पीलिया के लिए इसके पौधे को जड़ से उखाड़ लें उसे धुलकर काढ़ा बनाकर या पीसकर पी जाएं। यह बिलरुबिन को घटाकर सामान्‍य कर देता है। यदि एक साल में एक महीना इसका काढ़ा नियमित पी लिया जाए तो पूरे साल लीवर की समस्‍या उत्‍पन्‍न नहीं होती है। पीलिया में इसे पीसकर छाछ के साथ भी लिया जाता है।

– हेपेटाइटिस बी व सी में भूमि आंवला, श्‍योनाक व पुनर्नवा का रस निकाल कर पीने से आराम मिलता है। नियमित सेवन से बीमारी ठीक हो जाती है।

– स्‍तन में सूजन या गांठ हो तो इसके पत्‍तों को पीसकर लगाया जाता है।

– जलोदर या ऑर्थराइटिस हो गया है और लीवर ठीक से काम नहीं कर रहा है तो भूमि आंवला में आधा ग्राम कुटकी व एक ग्राम सोठ मिलाकर काढ़ा बना लें और सुबह-शाम लें।

– इसके पत्‍तों को चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं। चबाकर रस पी जाएं।

– किसी तरह का पेट दर्द हो तो इसका काढ़ा पी लेने से तुरंत आराम मिलता है।

भूमि आंवला या भुई आंवला

– किडनी के संक्रमण व सूजन को ठीक करने के साथ प्रदर या प्रमेह की बीमारी में भी इसका उपयोग किया जाता है।

– शुगर के मरीजों का अक्‍सर घाव नहीं भरता है। लेकिन भूमि आंवला पीस कर घाव पर लगा देने से घाव भर जाता है। यदि भूमि आंवला का काली मिर्च के साथ सेवन किया जाए तो शुगर भी ठीक हो जाता है।

– रक्त प्रदर में भूमि आंवला व दूब का दो चम्‍मच रस सुबह-शाम लेने से आराम मिलता है।

– आंतों में संक्रमण या अल्‍सर होने पर भूमि आंवला व दूब को जड़ से उखाड़कर उसका आधा कप रस निकालें और पी जाएं। दो-तीन दिन में ही आराम मिल जाएगा।

– यदि काफ़ी दिन से बुखार आ रहा है और भूख नहीं लग रही है या कम लग रही है तो भूमि आंवला के साथ मुलेठी व गिलोय मिलाकर काढ़ा बना लें। आराम मिलेगा।

– भूमि आंवला के पौधे को पीसकर छाछ के साथ पीने से मलेरिया बुखार चला जाता है।

– खांसी आ रही हो तो भूमि आंवला व तुलसी के पत्‍ते का काढ़ा आराम पहुंचाएगा।

– इसके पत्‍तों को खुजली वाले स्‍थान पर मलने से खुजली ख़त्‍म हो जाती है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *