छुई-मुई प्रकृति का एक विलक्षण पौधा है, छूने पर वह शरमा जाता है। उसके पत्ते सिकुड़ जाते हैं। यह पौधा बच्चों को बहुत पसंद आता है, छूने पर जब यह पौध सिकुड़ता है तो बच्चे खिलखिलाते हैं और बार-बार उसे छूते हैं। इसे लाजवंती या शर्मीली के नाम से भी जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम माईमोसा पुदिका Mimosa Pudica है। वैसे तो यह संपूर्ण भारत में पाया जाता है लेकिन आदिवासी इलाकों में यह जगह-जगह बड़े पैमाने पर दिखता है। आदिवासी हर्बल नुस्खों के तौर पर इसका उपयोग करते हैं। आदिवासियों के अनुसार छुई-मुई के पौधों में अनेक प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता विद्यमान है। आज हम इसके इन्हीं गुणों की चर्चा करेंगे।

छुई-मुई के चमत्कारिक लाभ
आंतरिक व बाह्य घाव
यह घावों को बहुत जल्द ठीक करने में सक्षम है। इसकी जड़ों का चूर्ण बना लें और दो ग्राम चूर्ण दिन में तीन बार गुनगुने पानी के साथ लें तो आंतरिक व बाह्य घाव जल्दी ठीक होते हैं। आधुनिक शोधों के अनुसार हड्डियों के टूटने और मांसपेशियों के आंतरिक घावों को ठीक करने में इसकी जड़ों का कोई जवाब नहीं है।
पुरुषों में वीर्य की कमी
पुरुषों में वीर्य की कमी दूर करने में भी छुई-मुई की जड़ व बीजों के चूर्ण का दूध के साथ इस्तेमाल किया जाता है। जड़ व बीजों का 4 ग्राम चूर्ण रोज़ रात को सोते समय एक गिलास दूध के साथ नियमित एक माह तक लेने पर वीर्य की कमी की समस्या काफी हद तक दूर हो जाती है।
बवासीर व भगंदर
बवासीर व भगंदर रोग में भी छुई-मुई की जड़ व पत्तों का पाउडर लाभ पहुंचाता है। इसे दूध में मिलाकर दिन में दो बार लेने से बवासीर व भगंदर ठीक हो जाते हैं। इसकी पत्तियों का रस बवासीर के घाव पर पीसकर भी लगाया जा सकता है। इससे घाव सूख जाता है और अक्सर निकलने वाला खून रुक जाता है। मध्यप्रदेश के कई इलाकों के आदिवासी इसके पत्तों का एक चम्मच पाउडर मक्खन के साथ मिलाकर बवासीर पर लगाते हैं। उनके अनुसार इससे काफी लाभ होता है। आदिवासियों के अनुसार दिन में दो या तीन बार इसे लगाना चाहिए।

पेशाब की अधिकता
यदि पेशाब बहुत ज़्यादा आता है तो छुई-मुई के पत्तों को पीसकर नाभि के निचले भाग पर लगाना चाहिए। इससे अधिक पेशाब आना बंद हो जाता है। इसकी पत्तियों का चार चम्मच रस दिन में एक बार लेने से भी लाभ होता है।
मधुमेह
छुई-मुई का काढ़ा मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी है। यह शुगर को नियंत्रित करता है। काढ़ा बनाने के लिए सौ ग्राम पत्तियों को तीन सौ मिली पानी में डालकर काढ़ा बनाया जाता है।
शारीरिक दुर्बलता
इसके बीजों का चूर्ण दूध के साथ लेने पर शारीरिक दुर्बलता दूर होती है और शरीर को ताक़त व ऊर्जा प्राप्त होती है। चूर्ण बनाने के लिए बीजों को अच्छी तरह सुखा लेना चाहिए। तीन ग्राम चूर्ण रोज़ रात को सोते समय दूध के साथ लेना चाहिए।
खूनी दस्त
खूनी दस्त होने पर छुई-मुई की जड़ों का तीन ग्राम चूर्ण दही के साथ लेना चाहिए। इससे खूनी दस्त शीघ्र बंद हो जाता है। आदिवासियों के अनुसार इसकी जड़ों का काढ़ा पीने से भी खूनी दस्त में राहत मिलती है।

स्तनों का ढीलापन
स्तनों का ढीलापन दूर करने के लिए अश्वगंधा व छुई-मुई की जड़ को समान मात्रा में मिलाकर पीस लें और स्तनों पर लगाकर हल्के हाथ से मालिश करें। इससे स्तनों का ढीलापन दूर होता है और वे कड़े होने लगते हैं।