यूरिक एसिड नियंत्रित करता है रक्तदान

खाद्य पदार्थों में मिलने वाले प्रोटीन प्युरीन तथा अधिक मात्रा में मीठा का सेवन करने से यूरिक एसिड बढ़ जाता है। यह वंशानुगत भी हो सकता है। गुर्दा यदि सीरम यूरिक एसिड का उत्सर्जन कम करता है तो भी यह बढ़ सकता है। इसके अलावा व्रत रहने या मोटापा कम करने के प्रयास में भी यूरिक एसिड का स्‍तर आश्‍चर्यजनक रूप से बढ़ जाता है, हालांकि यह अस्‍थायी होता है। रक्‍त में यदि आयरन की अधिकता है तो भी यूरेट का स्‍तर बढ़ा सकती है। ऐसी स्थिति में रक्‍तदान से यूरिक एसिड को नियं‍त्रित किया जा सकता है। पेशाब की या मधुमेह की दवाओं के सेवन से भी यह बढ़ सकता है।

यूरिक एसिड गाउट

यूरिक एसिड बढ़ने के लक्षण

यूरिक एसिड यदि बढ़ जाता है तो शरीर के छोटे जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है। इसे गाउट रोग भी कहते हैं। यदि उम्र 25 वर्ष से ज़्यादा हो गई है और सुबह सोकर उठने के बाद हाथ व पैर की उंगलियों के जोड़ में दर्द होता है या चुभन महसूस होती है तो संभव है कि यूरिक एसिड बढ़ गया हो। इसके प्रति लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए या थकान मानकर इसे टाल नहीं देना चाहिए, अन्‍यथा धीरे-धीरे जोड़ों का दर्द बढ़ सकता है और गंभीर परेशानी डाल सकता है। हाथ-पैर की अंगुलियों, घुटनों या टखनों में दर्द, दबाव या चुभन महसूस हो रही हो तो तुरंत योग्‍य चिकित्‍सक से परामर्श करना चाहिए। यह यूरिक एसिड बढ़ने का लक्षण है। सामान्‍य दर्द समझकर इसे अनदेखा करना स्‍वास्‍थ्‍य के साथ खिलवाड़ होगा। इसे गाउट आर्थराइट्स के नाम से जाना जाता है।

क्‍या है गाउट

गाउट, गठिया का ही एक रूप होता है। इस रोग में शरीर के अधिकांश जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है, ख़ासकर पैरों के अंगुलियों व अंगूठे के जोड़ में जकड़न हो जाती है। एड़ी, उंगली, कलाई, घुटने, टखने व कोहनी के जोड़ में दर्द शुरू हो जाता है। जोड़ों पर सुर्खी व सूजन आ जाती है।

प्रभाव

ख़ून के साथ बढ़ा हुआ यूरिक एसिड शरीर के अनेक स्‍थानों पर पहुंच जाता है, ख़ासकर जहां हड्डियां जुड़ती हैं वहां जाकर रावों के रूप मे जमा होने लगता है जिसकी वजह से छोटे जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है।

बचाव

यूरिक एसिड बढ़ने के यदि लक्षण दिखें तो तत्‍काल योग्‍य चिकित्‍सक से परामर्श लेना चाहिए। 25 वर्ष की आयु के बाद यदि शारीरिक परिश्रम ज़्यादा न हो तो अधिक प्रोटीन नहीं लेना चाहिए। रेड मीट, सी-फूड, रेड वाइन, दाल, राजमा, मशरूम, गोभी, टमाटर, मटर, पनीर, भिंडी, अरवी व चावल अधिक मात्रा में लेने से भी परहेज करना चाहिए।

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