बाज़ार में मौजूद अनेक प्रकार के टॉनिक जिसमें चयवनप्राश, बोर्नविटा, बूस्ट, होर्लिक्स व बॉडी बिल्डिंग के सप्लीमेंट मौजूद हैं लेकिन इन सबसे ज़्यादा कारगर व असरकारक है मालकांगनी (Malkangni), जिसे अंग्रेजी में Intellect Plant भी कहते हैं। ख़ासकर सर्दियों के लिए यह सबसे अच्छा टॉनिक है। सस्ता है और पंसारी की दुकान पर आसानी से मिल जाता है।
क्या है मालकांगनी
मालकांगनी को संस्कृत में ज्योतिष्मति कहते हैं। एक पौधे का बीज है। इसके एक बीज में छह बीज होते हैं। यह पंसारी की दुकानों या जड़ी-बूटी वालों के यहां आसानी से मिल जाता है। बाजार में इसके तेल व बीज दोनों मिलते हैं और गुण में दोनों समान होते हैं। इसके बीजों गाढ़ा पीले रंग का तेल होता है जो बहुत कड़वा होता है। इसलिए ज़्यादातर इसके साबुत बीजों का ही सेवन किया जाता है।
मालकांगनी के लाभ
बुद्धि वर्धक
आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के अंतर्गत मालकांगनी बुद्धि बढ़ाने वाली दवाइयों में एक है। यह ठंडी के सीज़न में विद्यार्थियों के लिए अमृत मानी जाती है। च्यवनप्राश, कोड लीवर आयल आदि से यह कई गुना गुणकारी है। यादाश्त बढ़ाने में इसका कोई जवाब नहीं है। इसकी प्रशंसा सभी प्राचीन वैद्यों ने की है। इसके साथ शंखपुष्पी का चूर्ण लेने से इसका प्रभाव बढ़ जाता है। 5 वर्ष से लेकर किसी भी आयु वर्ग का व्यक्ति इसका सेवन कर सकता है। यह नशा छोड़ने में मदद करती है और नशा छोड़ने से होने वाले दुष्प्रभावों की भी रोकथाम करती है। डिप्रेशन व मानसिक रोगों में मालकांगनी तत्काल लाभ करती है।
नजला, जुकाम, सर्दी
नजला, जुकाम, सर्दी में मालकांगनी का चमत्कारी असर होता है। जिसे बार-बार सर्दी-जुकाम होता हो या जरा सा मौसम बदलने पर वे इसकी चपेट में आ जाते हों, उन्हें मालांकगनी का ज़रूर सेवन करना चाहिए। अकेले मालकांगनी उन्हें इन समस्याओं से निजात दिला देगी। कुछ ही दिन इसका सेवन एक वर्ष के लिए नजला, जुकाम व सर्दी से मुक्ति दिला देता है। आमतौर पर वैद्य भी कीमती दवाइयां जैसे स्वर्ण भस्म, मकरध्वज, सहस्रपुटी अभ्रक भस्म और मृगाक रस आदि लिखते हैं लेकिन इनसे जरा भी कम मालकांगनी नहीं है। जो मर्ज इन महंगी दवाइयों से ठीक न हुए हों, उन्हें मालकांगनी बड़ी सहजता से ठीक करने की ताकत रखती है। जिन्हें सर्दी अधिक लगती है उन्हें सर्दी के समय सुबह मालकांगनी खाकर घर से निकलना चाहिए। यह सर्दी बर्दाश्त करने की क्षमता को बढ़ा देती है।
थकान की समस्या
बहुत से लोग थोड़ा ही काम करके बहुत जल्दी थक जाते हैं, उनके लिए मालकांगनी रामबाण है। थोड़ा काम किए और थक गए तो चाय पीकर या अन्य उपायों से थकान दूर करने की कोशिश करेंगे। उनके लिए मालांगनी संजीवनी बूटी है। केवल दस दिन इसका सेवन उन्हें इस समस्या से निजात दिला देगा।
अपच
मालकांगनी अपच को भी दूर कर पाचन शक्ति को मजबूत करती है। यह भूख को बढ़ाती है और भोजन को आसानी से पचाती है। इसका प्रयोग करने के साथ यह ध्यान रखें कि जब भूख लगे तो भोजन ज़रूर करें, आमतौर पर भूख लगने पर लोग चाय पी लेते हैं इससे भूख मर जाती है। ऐसा करना लाभ के स्थान पर नुक़सान पहुंचा देगा। भोजन समय से करें और साथ में दूध-घी का अधिक प्रयोग करें। इससे वज़न भी बढ़ जाएगा, वज़न बढ़ाने के लिए जिम में जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। जो खिलाड़ी हैं या प्रतिदिन जिम में जाते हैं उन्हें इसके साथ शतावरी व अश्वगंधा का भी प्रयोग करना चाहिए।
श्वांस-दमा रोग में लाभदायक
मालकांगनी में श्वांस व दमा रोग को भी दूर करने की क्षमता है। कुछ ही दिन के सेवन से दमा व श्वांस रोग में इससे लाभ मिलने लगता है। लेकिन इस रोग में इस दवा का प्रयोग स्वयं नहीं करना चाहिए, किसी योग्य वैद्य से परामर्श लेकर ही इस दवा का पयोग करें।
ज्योतिष्मती तेल सेवन की विधि
मालाकांगनी का सेवन दो तरह से किया जाता सकता है। एक तो इसका तेल लिया जा सकता है और दूसरे बीजों को सीधे दूध के साथ निगला जा सकता है।
शुरू में मालकांगनी आयल की एक बूंद से शुरू करें, बाद में इसे बढ़ाते हुए दस बूंद तक ले जाएं। अधिक मात्रा में लेने से गर्मी ज्यादा होने लगती है। तेल बहुत कड़वा होता है इसलिए इसे चम्मच में लेकर चाट लें और तत्काल दूध पी लें। इसे 4 बूंद देशी घी या बादाम रोगन में मिलाकर सेवन करने अधिक लाभ होता है और हानि की आशंका क्षीण हो जाती है।
बीज सेवन की विधि
– बीजों का सेवन दूध के साथ किया जाता है। एक बीज से शुरू करना चाहिए और लगातार तीस दिन तक एक-एक बीज बढ़ाते जाएं। जैसे आज एक बीज, दूसरे दिन दो, तीसरे दिन तीन, इसी तरह तीस दिन तक तक एक-एक बढ़ाकर सेवन कर सकते हैं। यदि गर्मी अधिक लगे तो बीजों की मात्रा कम कर दें।
– मालाकांगनी के सौ ग्राम बीज लेकर उसे सौ ग्राम देशी घी में धीमी आंच पर भून लें, बीज जलने न पाए। इसके बाद इसे पीस कर रख लें। एक चौथाई चम्मच से दो चम्मच तक दूध से लिया जा सकता है। छोटे बच्चों को मीठा मिलाकर देना चाहिए।
प्रयोग में सावधानी
– जिसे स्थायी एनीमिया है उसे मालकांगनी का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे लोगों को इसका सेवन करने से थेलिसिमिया, परनीसियस एनीमिया, सिकल सेल एनीमिया, एडिसन डिजीज आदि आशंका बढ़ जाती है।
– नव विवाहित दंपति इसका प्रयोग न करें। बदचलन युवक-युवतियों को भी इसके सेवन से दूर रहना चाहिए। इसके सेवन के साथ संयम की ज़रूरत होती है। संयमी व्यक्ति को ही इसका पूरा लाभ मिल पाता है।
– जिस व्यक्ति के शरीर के किसी भाग से खून बह रहा हो या एक साल के भीतर उसे यह समस्या रही हो, उसे मालकांगनी का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
– पेट में अल्सर या अम्लपित्त वाले रोगी भी इसका सेवन न करें।
– जिस व्यक्ति को एक साल के अंदर पीलिया हुई हो, उसे भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
– शौच जाने पर यदि गहरे पीले रंग का मल आता हो और बार-बार शौच जाना पड़ता हो, उसे भी इस औषधि का सेवन नहीं करना चाहिए।
– जिसे किडनी से संबंधित कोई समस्या हो उसे भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
– इस्नोफिलिया से पीड़ित लोग भी इसका सेवन न करें।
– जिसे मुंह में बार-बार छाले पड़ते हों या एक्जीमा, सोराइसिस व खुजली आदि है, उसे भी मालकांगनी का सेवन नहीं करना चाहिए।
– गर्भवती स्त्रियों को भी इसका सेवन करने से बचना चाहिए।