सही ढंग से दांतों की देखभाल न करने से दांत व मसूढ़े ख़राब हो जाते हैं और कम समय में ही दांत खोखले होकर गिरने लगते हैं, ऐसी स्थिति में भयंकर पीड़ा से भी रूबरू होना पड़ता है और अंतत: दांत उखड़वाने पड़ते हैं। यदि इनकी सही से देखभाल की जाए तो ये लंबे समय तक हमारा साथ निभाते हैं। दांतों में ठंडा-गर्म लगना, कीड़ा लगना (कैविटी), पायरिया (मसूड़ों से खून आना), मुंह से बदबू आना और दांतों का पीलापन आदि बीमारियां सामान्य हैं। इस तरह की समस्या ज़्यादातर लोगों में पाई जाती है।
दांतों में कीड़ा लगना
दांतों में कीड़ा लगने की मुख्य वजह मुंह में बनने वाला एसिड है। कुछ खाने या खाने के बाद यदि ब्रश न करें तो भोजन के कुछ अंश दांतों में रह जाते हैं जो मुंह में मौजूद बैक्टीरिया को इकट्ठा कर लेते हैं। ये बैक्टीरिया 20 मिनट के अंदर भोजन के उन अंशों ख़ासकर मीठी या स्टार्च वाली चीज़ों को एसिड में बदल देते हैं। लार में मिलकर यह एसिड दांतों पर चिपक जाता है, यदि उन दांतों की ज़्यादा दिन तक ठीक से सफ़ाई नहीं हुई तो यह प्लाक सख़्त होकर टारटर बन जाता है और दांतों व मसूड़ों को ख़राब करने लगता है। बैक्टीरिया के चलते जब दांतों में सुराख हो जाता है तो इसे ही कीड़ा लगना (कैरीज) कहते हैं।
दर्द में तत्काल राहत के लिए लौंग का तेल लगा सकते हैं या एक लौंग दर्द वाले स्थान पर लगाकर दबा दें, इसके बाद चिकित्सक से परामर्श लें। इससे बचने के लिए ज़रूरी है कि रात को ब्रश करके सोएं। मीठी व स्टार्च आदि चीज़ों का सेवन कम करें। मीठी चीज़ों को खाने के बाद कुल्ला या ब्रश ज़रूर कर लें।

दांतों की देखभाल करने के तरीके
दांतों में ठंडा-गर्म लगना
दाँतों में यदि ठंडा-गर्म लग रहा है तो ब्रश ज़्यादा दबाकर न करें। इसके लिए बाज़ार में अनेक प्रकार के टूथपेस्ट आते हैं, उनका प्रयोग कर सकते हैं। यदि दो-तीन माह बाद भी समस्या से निजात न मिले तो किसी योग्य चिकित्सक से परामर्श लें।
मुंह से बदबू
आमतौर पर दांतों या जीभ की ठीक से सफ़ाई न होने से उनमें सड़न होने लगती है और मुंह व सांसों से बदबू आने लगती है। लौंग या इलायची चबाने से इससे निजात मिल जाती है। थोड़ी देर तक शुगर फ्री च्यूइंगम चबाने से मुंह की बदबू के अलावा दांतों में फंसा कचरा भी निकल जाता है व दांतों का मसाज भी हो जाता है। इस तरह से दांतों की देखभाल की जा सकती है।
पायरिया
कुछ खाने में दर्द, मुंह से बदबू व मसूढ़ों खून आना पायरिया के लक्षण हैं। शुरू में सही से इलाज यदि नहीं कराया गया तो बाद में इसकी सर्जरी करानी पड़ सकती है।
नींद में दांत पीसना
तनाव व गुस्से के कारण लोगों को सोने में दांत पीसने की आदत पड़ जाती है। इससे आगे चलकर दांत घिस जाते हैं और कई तरह की बीमारियों को जन्म देते हैं। इससे बचने के लिए नाइटगार्ड का उपयोग करना चाहिए।

बरतें ये सावधानी
दांतों की देखभाल करने के लिए कुछ सावधानियां बहुत ज़रूरी हैं:
– दांतों के आसपास बैक्टीरिया अपना समूह न बना पाएं, इसके लिए दिन में कम से कम दो बार ख़ासकर सुबह व रात को सोने से पहले दो मिनट तक ब्रश करना चाहिए और जीभ को साफ़ रखना चाहिए।
– स्नैक्स खाने से बचें क्योंकि इसमें प्रयोग किए गए मसाले बहुत जल्दी बैक्टीरिया को दांतों के आसपास अपना समूह बनाने के लिए मदद करते हैं। जिससे दांतों में कैविटी हो जाती है।
– चीज़ व दूध का इस्तेमाल करें, चॉकलेट से बचें और मीठा कम खाएं। सोडा या फलों के जूस के स्थान पर पानी पीयें।
– हर छह माह में दांतों की जांच कराते रहें।
– छोटे बच्चों के मुंह में दूध की बोतल लगाकर न सुलाएं। चॉकलेट और च्यूइंगम न खिलाएं। यदि खिलाएं तो तुरंत कुल्ला करा दें।
– बच्चे के अंगूठा न चूसने दें, इससे दांत टेढ़े-मेढ़े हो सकते हैं।
– डेढ़ साल का हो जाने पर उनमें ब्रश से दांत साफ़ करने की आदत डालें।
– छह साल से कम उम्र के बच्चों को फ्लोराइड वाला टूथपेस्ट न दें।